प्रतिज्ञा - Novels
by Munshi Premchand
in
Hindi Short Stories
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
बनारस में अमृतराय नामक सज्जन रहते हैं। वे पेशे से वकील हैं पर उन्हें वकालत से ज्यादा समाज - सेवा ही पसंद है, दाननाद उन्के मित्र हैं। अमृतराय का विवाह शहर के जाने माने रर्इस लाला बदरी प्रसाद की प्रथम पुत्री से होता है पर प्रसव - काल में ही उसकी और बच्चे की भी मौत हो जाती है।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
बनारस में अमृतराय नामक सज्जन रहते हैं। वे पेशे से वकील हैं पर उन्हें वकालत से ज्यादा समाज - सेवा ही पसंद है, दाननाद उन्के मित्र हैं। अमृतराय का विवाह शहर के जाने माने रर्इस लाला बदरी प्रसाद की प्रथम पुत्री से होता है पर प्रसव - काल में ही उसकी और बच्चे की भी मौत हो जाती है।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
अमृतराय दो साल देशाटन करके वापस लौटते हैं तो लालाजी की दूसरी कन्या प्रेमा सयानी बन्कर दिखायी देती है। प्रेमा के परिचय से अमृतराय अपनी वेदना भूल जाते है और दोनों का परस्पर प्रेम होता है। लालाजी तो प्रेमा का विवह अमृतराय के दोस्त दाननाद से करना चाहते थे, पर अमृतराय से प्रमा का लगाव देखकर अपना निर्णय बद्ल्ते हैं। अमृतराय और प्रेमा का विवह होनेवाला ही है, पर एक घटना से सब कुछ बदल जाता है।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
अमृतराय आर्य - मंदिर में एक व्याख्यान सुनकर प्रतिज्ञा करते हैं की वे एक विधवा से ही शादी करेंगे। इस प्रतिज्ञा से लालाजी नाराज हो जाते है कि यह संप्रदाय के खिलाफ है। पर प्रेमा उसके निर्ण्य का स्वगत करती है और उस से अपना प्रेम त्याग देति है।
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अब दाननाद से फिर प्रेमा का विवाह तय होता है, दाननाद तो संकोच करते हैं कि मित्र से प्रेम करनेवाली युवती इस विवाह के लिए तयार नहीं होगी। पर अमृतराय के कारण दाननाद विवाह के लिए हॉ कहते हैं। दाननाद और प्रेमा का विवाह हो जाता है।
लाला बदरीप्रसाद के पडोस वसन्तकुमार प्रवाह के बीच में जाकर डूब जाते हैं इसलिए पूर्णा विदवा बन जाती है।
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लालाजी का पुत्र कमलाप्रसाद दुराचारी और लम्पट है। पूर्णा के सौंदर्य से वह चकित हो जात है और गलतनीति अपनाकर उसे पाने का प्रयास करते रहता है। वह जाल बिछाकर पूरणा को फॅसाना चाहता है और कई झूठी बातें कहकर उसका मन जीतने की कोशिश करता है।
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सुमित्रा, जो उसकी पत्नी है-पूर्णा को धैर्य देती है और अन्याय के खिलाफ लडने की प्रेरणा देती है। दाननाद प्रेमा को पाकर संतुषट नहीं शंकालु बन जाते हैं। उन्हें शक है कि प्रेमा अभी अमृतराय के प्रेम से बाहर नहीं आयी।
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वे कमलाप्रसाद की दोस्ती से अमृतराय के खिलाफ जाने लगते हैं और उनकी निन्दा भी करने लगते हैं। अमृतराय अपनी जमीन -जायदाद बेचकर वनीता-भवन का निर्माण करते हैं जो विदधवाओं और अनाथ बालिकाओं का शरणालय है, उसके संचालन के लिए अमृतराय चन्दा वसुल करना चाहते हैं तो कमलाप्रसाद और दाननाध इसकी भी आलोचना करते हैं।
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एक कार्यक्रम में कमलाप्रसाद के भेजे गये गुणडे लोग अमृतराय पर आक्रमण करते है। पर प्रेमा बीच में आकर उन्हें रोकती है। उसके भाषण से चन्दा - वसूली कार्यक्रम सफल हो जाता है। पर इससे दाननाद और प्रेमा के बीच दूरियॉ बढ जाती है।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
एक दिन बहान बनाकर कमलाप्रसाद पूर्णा को शहर से दूर अपने बगीचे में ले चलता हैं। वहां पूर्णा पर बलात्कार करने की कोशिश करता है
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
पूर्णा उस्के चेहरे पर कुर्सी दे-मारकर भाग जाती है, कमलाप्रसाद बुरीतरह चोट खाकर गिर पड़ता है। पूर्णा भागकर अमृतराय की शरण में जाती है और वनिता भवन में आश्रय पाती है। पूर्णा के कारण कमलाप्रसाद की जगहंसाई होती है और वह पूरी तरह बदल जाता है।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
दाननाद भी अपने किए पर पछतात है कि कमलाप्रसाद जैसे दुषट की बातों में आकर वे अमृतराय का विरोध करते आये।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
दाननाद भी अपने किए पर पछतात है कि कमलाप्रसाद जैसे दुषट की बातों में आकर वे अमृतराय का विरोध करते आये। वे अमृतराय से क्षमा मांगते हैं और अमृतराय तो सह्र्दय हैं, वे भी मित्रता का हाथ आगे बढ़ाते हैं।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
अमृतराय से क्षमा मांगते हैं और अमृतराय तो सह्र्दय हैं, वे भी मित्रता का हाथ आगे बढ़ाते हैं। दोनों मित्रों के पुनर्मिलन से प्रेमा बहुत खुश होती है और दाननाध को पूरे दिल के साथ अपनाती है।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
वनिता-भवन में जाकर पूर्णा मानसिक शान्ति का अनुभव करती है। वह भवन विधवाओं का आश्रम ही नहीं, उनका प्रशिक्षणाय भी है
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
भवन विधवाओं का आश्रम ही नहीं, उनका प्रशिक्षणाय भी है, वहं विधवाओं की बनी चीजों की बिक्री होती है और इससे उन्हें स्वावलम्बन का अनुभव भी होता है।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
वनिता-भवन में जाकर पूर्णा मानसिक शान्ति का अनुभव करती है। वह भवन विधवाओं का आश्रम ही नहीं, उनका प्रशिक्षणाय भी है, वहं विधवाओं की बनी चीजों की बिक्री होती है और इससे उन्हें स्वावलम्बन का अनुभव भी होता है। जब दाननाद अपने मित्र को प्रतिज्ञा की याद दिलाते हैं तब अमृतराय वनिता भवन की ओर दिखाकर सूचना देते है कि अब उसका निर्वाह करने में ही प्रतिज्ञा पूरी होगी।
प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट ...Read Moreहो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।
दाननाद अपने मित्र को प्रतिज्ञा की याद दिलाते हैं तब अमृतराय वनिता भवन की ओर दिखाकर सूचना देते है कि अब उसका निर्वाह करने में ही प्रतिज्ञा पूरी होगी। दाननाद जानते है कि अब अमृतराय आजीवन अविवाहित रहकर समाज सेवा करेगें।
इस उपन्यास में प्रेमचन्द ने नन्कलीन भारतीय समाज में व्याप्त विध्वा-समस्या का चित्रण किया। पूर्णा पात्र के द्वारा समाज में तिरस्कृत और पीड़ित विधवाओं की मजबूरियों का मरमस्पर्शी चित्रण किया गया। सुमित्रा और प्रेमा के पात्र आदर्श नारी - पात्र हैं तो कमलाप्रसाद अबलाओं पर अत्याचार करनेवाले दुष्टों का प्रतिनिधि है। प्रेमचन्द ने विध्वा-समस्या का समाधान अर्थिक स्ववलम्बन में दिखाया, जो आचरणात्मक है। प्रेमचन्द ने अपने जीवन में स्व्यं एक बाल - विधवा से विवाह करके समाग के सामने आदर्श प्रस्तुत किया। प्रस्तुत उपन्यास की भाषा सरल और व्यावहारिक है। कहावतों और मुहावरों के प्रयोग से उपन्यास सजीव बन पड़ा। हर दृष्टि से यह उपन्यास प्रेमचन्द की उत्तम कृतियों में से एक है।