Amar Prem book and story is written by Pallavi Saxena in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Amar Prem is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अमर प्रेम - Novels
by Pallavi Saxena
in
Hindi Love Stories
जीवन मरण के बारे में सोचते हुए हमेशा मन उलझ जाता है चारों ओर बस सवाल ही सवाल नज़र आते हैं मगर उत्तर कहीं नज़र नहीं आता। क्या है यह आत्मा, दिल दिमाग या फिर कुछ और क्या वाकई कुछ लोग मर कर भी इस मोह माया की ज़िंदगी से मुक्त नहीं हो पाते। क्या सच प्यार के बंधन में इतनी शक्ति होती है कि कोई एक दूजे के बिना मरकर भी खुद को उस बंधन से मुक्त महसूस नहीं कर पाता बस जीवन और मृत्यु के इसी ओह पोह से झूझते हुए बनी यह कहानी।
जीवन मरण के बारे में सोचते हुए हमेशा मन उलझ जाता है चारों ओर बस सवाल ही सवाल नज़र आते हैं मगर उत्तर कहीं नज़र नहीं आता। क्या है यह आत्मा, दिल दिमाग या फिर कुछ और क्या वाकई ...Read Moreलोग मर कर भी इस मोह माया की ज़िंदगी से मुक्त नहीं हो पाते। क्या सच प्यार के बंधन में इतनी शक्ति होती है कि कोई एक दूजे के बिना मरकर भी खुद को उस बंधन से मुक्त महसूस नहीं कर पाता बस जीवन और मृत्यु के इसी ओह पोह से झूझते हुए बनी यह कहानी।
सुशीला बुआ की बातों को सुनने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि “शायद माँ भी अपनी जगह गलत नहीं है नकुल”, यह दुनिया है ही ऐसी “जो घर से बाहर नौकरी करने निकली हर औरत को अपने बाप ...Read Moreजागीर समझती है” और हर कोई उसका फायदा उठाने की कोशिश करता है। हो न हो, यही वजह रही होगी की माँ नहीं चाहती थी कि मैं नौकरी करुँ और मुझे भी वही सब झेलना पड़े जो उन्हें झेलना पड़ा था कभी....“जानते हो नकुल मैं उनकी बहुत इज्ज़त करती हूँ, मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है। इसलिए मुझे उनसे कोई शिकायत भी नहीं है।
तभी सहसा काँच के टूटने की आवाज़ से नकुल की तंद्रा टूट जाती है और वह देखता है कि सुधा की वह तस्वीर जिस पर चंदन का हार टंगा हुआ था ज़मीन पर पड़ी है और उसका काँच टूटा ...Read Moreहै। जिसे देखकर नकुल के मन में विचार आता है कि शायद उसे यह एहसास दिलाने के लिए ही सुधा अब तक खुद अपनी ही तस्वीर में एक व्याकुल आत्मा के रूप में क़ैद थी और आज जब नकुल उसकी आत्मा की आवाज़ को सुन सका, महसूस कर सका, तो जैसे उसे मुक्ति मिल गयी। यह सब सोचते हुए नकुल अपने काँपते हाथों से उस तस्वीर को उठाते हुए देखता है, तो उसकी आँखों से बह रहे आंसुओं की दो बूंदें सुधा की उस तस्वीर पर भी टपक जाती है। टप टप और तब वह सुधा की उस तस्वीर से माफ़ी माँगते हुए उसे गले से लगा कर रो देता है।
हाँ वो उस दिन जब अंजलि से मुलाक़ात हुई तब मेरी भी समझ में नहीं आया कि मुझे उससे क्या पूछना चाहिए क्या नहीं तो मैंने भी बस यही पूछा था कि घर ग्रहस्थी के काम काज जानती हो ...Read Moreनहीं और तुम्हारे शौक क्या क्या है वगैरा –वगैरा
जल्दी बाज़ी और खुशी के मारे मैं यह बिटिया से पूछना ही भूल गया कि तुम्हारे घर में कौन –कौन है।
खैर कोई बात नहीं अब तो पता चल ही गया। असल में राहुल कि भी माँ नहीं है। इसलिए मुझे भी समझ नहीं आया कि बिटिया से क्या पूछना उचित होगा क्या नहीं।
ताकि अंजलि गलती से भी वेदेश में बस जाने का न सोच ले। इधर नकुल राहुल के मन कि हालत समझ रहा है। इसलिए वह दीना नाथ जी से रेकुएस्ट करता है कि आप कृपया अपनी बेटी से बात ...Read Moreऔर उसे भारत वापस लौट आने के लिए माना लीजिये
क्यूंकि अपना देश अपना ही होता है। दीना नाथ जी बात कि गंभीरता को समझे हुए उन्हें इस बात का दिलासा देकर विदा करते हैं कि वह अपनी और से पूरी कोशिश करेंगे अंजलि को वापस लौटाने के लिए मनाने कि,