ADHA MUDDA-SABSE BADA MUDDA book and story is written by DILIP UTTAM in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. ADHA MUDDA-SABSE BADA MUDDA is also popular in Women Focused in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - Novels
by DILIP UTTAM
in
Hindi Women Focused
"अर्धांगिनी"----- कहने को अर्धांगिनी कहा जाता है परंतु आधा हिस्सा दिया किसने, आधा हक दिया किसने, और आधा अधिकार/मान-सम्मान दिया किसने, आधा तो क्या उसे हर मोड़ पर छला जाता है, तोड़ा जाता है, मोड़ा जाता है और लज्जित किया जाता है और मौका मिलते ही पुरुष उसे सताने लगते हैं, रुलाने लगते हैं, उसकी हर भावनाओं का कत्ल करते लगते हैं| वह यह जरा सा भी नहीं सोचते कि नारी पर क्या गुजरेगी? झगड़े के बाद, घटना होने के बाद तब देखते हैं कि नारी अब उससे ज्यादा ही रूठ गई है और वह न बोलेगी
----- अध्याय १."अर्धांगिनी"----- कहने को अर्धांगिनी कहा जाता है परंतु आधा हिस्सा दिया किसने, आधा हक दिया किसने, और आधा अधिकार/मान-सम्मान दिया किसने, आधा तो क्या उसे हर मोड़ पर छला जाता है, तोड़ा जाता है, मोड़ा ...Read Moreहै और लज्जित किया जाता है और मौका मिलते ही पुरुष उसे सताने लगते हैं, रुलाने लगते हैं, उसकी हर भावनाओं का कत्ल करते लगते हैं| वह यह जरा सा भी नहीं सोचते कि नारी पर क्या गुजरेगी? झगड़े के बाद, घटना होने के बाद तब देखते हैं कि नारी अब उससे ज्यादा ही रूठ गई है और वह न बोलेगी
-----अध्याय २."जीवनदायिनी"----- सच्चे अर्थों में क्या है नारी? ----- "नारी को जानना है तो अपनी मां को जानिए, माँ को समझिये, माँ के प्यार को, अहसास को, कर्मठता को , सच्चाई को,अच्छाई को, सब्र को, लगाव को, धीरज ...Read Moreसहनशीलता को, खुश रहने की कला को, परिवार जोड़ने की कला को, हर माहौल में ढ़लने की कला को, हर मुसीबत को डटकर सामना करने की कला को ,ऐसी हजारों बातें हैं जिनका हमें विश्लेषण करना ही होगा, उन्हें खुद के अंदर समाना ही होगा, उन्हें मानना ही होगा, जिन्हें हमें हर समय ध्यान रखना ही होगा, तभी हम नारी के
-----अध्याय ३. दोगलापन ----- हमेशा पूरा ज्ञान नारी को ही क्यों दिया जाता है? पुरुषों को पूरा ज्ञान क्यों नहीं दिया जाता? ये करो, वो करो यह सब स्त्रियों को ही बोला जाता है, ...Read Moreक्यों? क्या वह प्राणी नहीं है? क्या उसमें जी नहीं है? क्या उसमें मन नहीं है और ये कहीं और बाहर शुरू नहीं होता यह अपने खुद के घर से ही शुरू होता है और तो और अधिकतर यह जन्म के पूर्व से ही शुरू हो जाता है, घर के अधिकतर लोग चाहते हैं कि आने वाला बच्चा लड़का हो आखिर क्यों? ------ यही
-----अध्याय ४."कल्पनाओं के सपने |"----- सपनों की बात की जाए तो पुरुष के सपने-सपने होते हैं, वहीँ नारी के सपने-सपने क्यों नहीं होते? नारियां ही अपने सपनों का गला क्यों घोटती है? क्या सपने नारीलिंगी और पुरुषलिंगी ...Read Moreहैं, कि पुरुषों के सपने ज्यादा मायने रखते हैं और स्त्रियों के सपनों की कम कीमत होती है? लड़की के केस में यह निर्णय कौन लेगा मां-बाप लेंगे ,भाई लेगा ,पति लेगा या खुद चुनने का अधिकार मिलेगा, जिस तरह लड़कों को अपने सपने चुनने का अधिकार रहता है/मिलता है? समान तरह की आजादी, समान तरह का माहौल नारी को कब
----- अध्याय ५. मैं पराई जो हूं ----- शादी पर लड़की की रजामंदी न लेना क्या उचित हैं? शादी लड़की की पसंद का न करना क्या सही है? लड़के शादी के नाम पर कई-कई लड़कियों को ...Read Moreरहते हैं क्या यह सही है? लड़की को आज भी अपनी पसंद का लड़का चुनने की आजादी क्यों नहीं हैं? लड़की प्रेम कर ले तो, घर की इज्जत दांव पर लग जाती है ऐसा क्यों परिवार वाले, घर वाले ,समाज वाले मानते हैं और लड़का कर ले तो यार अब लड़के ने कर लिया तो क्या करें ऐसे विचार, ऐसी सोच क्यों है? -----