Adha Mudda -Sabse Bada Mudda - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ४

-----अध्याय ४."कल्पनाओं के सपने |"-----

सपनों की बात की जाए तो पुरुष के सपने-सपने होते हैं, वहीँ नारी के सपने-सपने क्यों नहीं होते? नारियां ही अपने सपनों का गला क्यों घोटती है? क्या सपने नारीलिंगी और पुरुषलिंगी होते हैं, कि पुरुषों के सपने ज्यादा मायने रखते हैं और स्त्रियों के सपनों की कम कीमत होती है? लड़की के केस में यह निर्णय कौन लेगा मां-बाप लेंगे ,भाई लेगा ,पति लेगा या खुद चुनने का अधिकार मिलेगा, जिस तरह लड़कों को अपने सपने चुनने का अधिकार रहता है/मिलता है? समान तरह की आजादी, समान तरह का माहौल नारी को कब मिलेगा? आज 0.0001% से भी कम नारियां अपने सपनों के लिए कार्य करने के लिए स्वतंत्र है |जबकि कोई कहानी बिना नारी के नहीं बनती, कोई परिवार बिना नारी के नहीं बनता फिर भी दुनिया नारी के साथ ऐसा क्यों करता हैं?, न जाने क्यों? नारियों के सपनों की कीमत नहीं समझती ये दुनिया अब वह समय आ गया है कि नारी को यह बंधन तोड़ना ही होगा, इन बंधनों से लड़कर,अपने सपनों को पूरा करना ही होगा |साफ बात यह है कि परिवार को जोड़ने का काम केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं रहेगी बल्कि अब परिवार को जोड़ने का काम दोनों का होना चाहिए |बहुत सह लिया, परिवार को जोड़ने के नाम पर, सब कुर्बान कर दिया नारियों ने परिवार के लिए लेकिन वह समय आ गया है कि इन बंधनों को, इन बेड़ियों को तोड़कर वह अपने सपनों को पूरा करें |उसको पूरा हक है अपने सपनों को पूरा करने का, हवा के रुख को मोड़ने का, पूरा हक है उन्हें जो पुरुष अपना सपना पूरा कर सकता है, देख सकता है वह सब नारी को देखने सुनने का हक़ है, पूरा करने का हक़ है |एक पुरुष कभी भी बच्चे को जन्म नहीं दे सकता परंतु नारी देती है इससे उसका महत्व और बढ़ जाता है जो एक जीवन चक्र को चलाती है, सबसे महत्वपूर्ण कार्य को करती है पर वो कोई भी सपने को पूरा नहीं कर सकती, अपने को पूरा नहीं कर सकती है, हर बंधन को जोड़ सकती है पर बंधन को तोड़ नहीं सकती है |अपने सपनों को पूरा करने के लिए, अपने आप को साबित करने के लिए उसे मजबूत होना ही होगा, उसे बेड़ियों से निकलना ही होगा, उसे बेड़ियों को तोड़ना ही होगा इस बात को सोच कर नहीं बैठना कि परिवार की जिम्मेदारी जोड़ने की केवल उसी की है, जितना परिवार को जोड़ने की जिम्मेदारी उसकी है, उतनी ही उसके पति की भी है, यदि पति/भाई आपका अपना सपना नहीं छोड़ सकता तो आप अपना सपना क्यों छोड़ती है? संबंध, सपने, परिवार, खुशियां और समाज आदि सब चीजों को एक सामंजस्य बनाकर ही हमें चलना होगा, अपने हर सपने का गला घोट देना, खुद को मिटा देना, खुद ही खुद घुटन महसूस करना कहाँ तक जायज है? आप परिवार के साथ तो खुश है परंतु आप खुद में एक मिनट भी सोचती है तो आपको दुख होता है कि काश मुझे भी सपने पूरा करने का मौका मिलता, यह दुख न हो ऐसी चाहत है मुझे, ऐसी आहट आई है मुझे, सभी के सपने पूरे हो, सभी के सपने पूरे होंगे थोड़ी सी मेहनत करने से, थोड़ा सा सामंजस्य बनाने से, थोड़ा सा पुरुषों के द्वारा समझौता करने से, नारी ही क्यों समझौता करें ,पुरुष क्यों नहीं कर सकता? जबकि महान तो नारी है, पुरुष नहीं |

-----सच्चे अर्थों में-----

१. सपना(नारी के)= सपना(पुरुष के)

(नारी हो या पुरुष दोनों के सपने अच्छे होते हैं, दोनों के सपने खुशियां भरते हैं ,परंतु अभी केवल ज्यादातर पुरुषों के ही सपने साकार होतें है अब समय आ गया है कि महिलाओं को भी अपने सपनों को साकार करना ही होगा तभी एक उज्जवल भविष्य, उज्जवल परिवार, उज्जवल देश और उज्जवल संसार का निर्माण होगा| )

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"सबके सपने, होंगे पूरे |

अब मेरे भी सपने, होंगे पूरे |

अब बात समझ आ जाएगी, पिया को |

अब बात समझ आ जाएगी, माता-पिता को |

अब बात समझ आ जाएगी दुनिया को |

कि मैं भी हूं |

कि मैं भी हूं |

यहां, वहां, सारे जहां में|

बिन मेरे न तेरा अस्तित्व |

बिन मेरे न तेरा अस्तित्व |

बिन तेरे न मेरा अस्तित्व |

तू सूरज तो मैं चंदा हूं |

तू दिन तो मैं रात हूं |

मेरे बिना न तू है |

तेरे बिना न मैं हूं |

हम पूरक है एक-दूसरे के |

हम पूरक है एक-दूसरे के |

फिर क्यों है, इतनी बेइंतहा|

फिर क्यों है, तू खामोश |

फिर क्यों है, तू खामोश |

तू जो करता, मैं भी करना चाहूं |

तू जो चाहता, मैं भी वह सब चाहूं |

जो तेरे सपने हैं, वह मेरे सपने हैं |

जो तेरे अपने हैं, वह मेरे अपने हैं|

जो तेरी चाहते हैं, वो मेरी भी चाहते हैं |

जो तेरा फैशन है, वो मेरा भी फैशन है |

जो तू मन मर्जी करे, मैं भी मेरी मनमर्जी करना चाहूं|

जो चाहे तू ,वह मैं भी चाहूं |

जो तेरे लिए न गलत है, तो मेरे लिए वो कैसे गलत है|

ये समझ जरा, मान जरा, जान जरा, पहचान जरा|

हिम्मत है तो देकर देखो, मेरा हक |

हिम्मत है तो देकर देखो, मेरा मन |

हिम्मत है तो देकर देखो, सम्मान जरा |

हिम्मत है तो देकर देखो, मान जरा |

अब तो तू अपना फर्ज निभा |

अब तो तू अपना कर्ज चुका |

अब तो तू अपना कर्ज चुका ||"

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"नारी में बारे में बातें, नारी के नजरिये से |"
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