Nakhun book and story is written by Vijay Vibhor in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Nakhun is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
नाख़ून - Novels
by Vijay Vibhor
in
Hindi Moral Stories
उन दिनों बहुत कम घरों में फोन होते थे। सुविधानुसार लैंडलाईन पर बात करने के लिए मोहल्ले वाले अपनी रिश्तेदारियों में पड़ौसियों का नम्बर दे देते थे। ताकि अड़ी–भीड़ में रिश्तेदारियों की खोज–ख़बर मिलती रहे । वैसे तो पड़ौसियों के फोन आने से फोन मालिकों को बड़ी परेशानी होती थी । लेकिन जिस घर में छोटे बच्चे होते थे, उस घर में फोन की घंटी बजना घर के छोटे बच्चों के लिए एक खेल के माफ़िक था। जब भी फोन की घंटी बजती तो बच्चे एक–दूसरे से आगे भागते कि सबसे पहले कौन फोन उठाएगा। फिर यदि किसी पड़ौसी के लिए
उन दिनों बहुत कम घरों में फोन होते थे। सुविधानुसार लैंडलाईन पर बात करने के लिए मोहल्ले वाले अपनी रिश्तेदारियों में पड़ौसियों का नम्बर दे देते थे। ताकि अड़ी–भीड़ में रिश्तेदारियों की खोज–ख़बर मिलती रहे । वैसे तो पड़ौसियों ...Read Moreफोन आने से फोन मालिकों को बड़ी परेशानी होती थी । लेकिन जिस घर में छोटे बच्चे होते थे, उस घर में फोन की घंटी बजना घर के छोटे बच्चों के लिए एक खेल के माफ़िक था। जब भी फोन की घंटी बजती तो बच्चे एक–दूसरे से आगे भागते कि सबसे पहले कौन फोन उठाएगा। फिर यदि किसी पड़ौसी के लिए
लेकिन नहीं, माँ को तो घर में बहू चाहिए थी। बे–मन शादी के लिए हाँ कर दी थी। फिर शादी में खुद की किसी भी तरह की पसंद को थौपा भी नहीं था माँ–बाप पर। उनकी पसंद का लत्ता–कपड़ा, ...Read Moreपसंद अनुसार खर्च चलाना, उनकी ही पसंद की हुई लड़की से शादीय सब कुछ तो उनकी ही पसंद का था।कहीं ऐसा तो नहीं कि माँ ने पास–पड़ौस में जो अच्छे दहेज की उम्मीद जताई थी..... नहीं–नहीं..... ऐसा नहीं होगा..... अरे हो भी सकता है..... आख़िर इंसान का लालची मन कुछ भी करवा सकता है।दिमाग पर बोझ लिए–लिए ही न जाने