Huk book and story is written by Divya Shukla in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Huk is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
हूक - Novels
by Divya Shukla
in
Hindi Moral Stories
आज मेरी सुबह कुछ जल्दी हो गई कुछ देर बाहर लान में टहलती रही फिर चाय की तलब लग आई अख़बार अभी आया नहीं था, सोचा चाय बना लूँ तब तक आ ही जायेगा, अभी सब सो रहे थे एक कप चाय बना कर मै लान में ही चली आई, अब तक अख़बार आ गया था, उठा कर मै सरसरी निगाह से खास खबरें देखने लगी, हेड लाइंस देखने के बाद पेपर पलटा तो अंदर के पन्ने पर छपी खबर पर निगाह रुक गई धक से हो गया दिल ---
यह खबर पढ़ कर दो बरस पहले की सारी बातें चलचित्र सी घूम गई ----
हूक (1) आज मेरी सुबह कुछ जल्दी हो गई कुछ देर बाहर लान में टहलती रही फिर चाय की तलब लग आई अख़बार अभी आया नहीं था, सोचा चाय बना लूँ तब तक आ ही जायेगा, अभी सब सो ...Read Moreथे एक कप चाय बना कर मै लान में ही चली आई, अब तक अख़बार आ गया था, उठा कर मै सरसरी निगाह से खास खबरें देखने लगी, हेड लाइंस देखने के बाद पेपर पलटा तो अंदर के पन्ने पर छपी खबर पर निगाह रुक गई धक से हो गया दिल --- यह खबर पढ़ कर दो बरस पहले की
हूक (2) तभी माँ ने कहा “ नीरू जल्दी नहा ले अभी तुमसे मिलने कमला और मालती भी आती होंगी सुबह सुबह ही सोना नाउन तुमको देख गई अब जै घर काम पर जायेगी खबर कर देगी बिटिया आई ...Read Moreअब करे भी क्यों न तुम आई ही हो इतने दिनों के बाद बहुत खुश थी अभी आती होगी वो भी “ मै अपने कपड़े ले नहाने चल दी | जैसे ही बाहर आई तो फूला बुआ सामने ही बैठी सरौते से सुपारी काट रही थी,,, उन्हें देख कर मै बहुत खुश हो गई मुझे देखते ही बोली “ इंहा आवा बिट्टी हमरे पास “ लिपटा लिया पास बिठा कर स्नेह से हाथ पकड मेरी बांह सहलाती हुई बोली “ तुम्हें हम सब के तनिको सुधि नहीं आवत रही कसत पथरे का करेज हुई गवा बिटिया एतने बरस बाद सुधि भय ?” मेरी भी आँखे नम हो गई,, “ भला आप सब कैसे भूल सकती हूँ बुआ रघु और मिन्नी के जन्म के बाद उनकी परवरिश, पढ़ाई लिखाई में खुद को जरुर भूल गई पर मायका नहीं भूली माँ और
हूक (3) दिमाग जिस तरफ इशारा कर रहा था आत्मा उसे मानने से छिटक रही थी | मुझे मौन देख फूला बुआ ने पूछा “ किस सोच में हो बिट्टी अब तुम दो दिन को ही आई हो काहे ...Read Moreहो रही हो छछूंदर के पीछे, सब जानत हैं पैंतीस, चालीस साल की बिटिया ई पापी बाप बिन ब्याहे बैठाए है पचास लाख रूपया कुल संपत्ति बिटिया के नाम कर दिये और ये हरहट कम ऐबिन नहीं नागिन ऐसी गोलियाय के बैठी है सोलह बरिस के बनी है साज सिंगार देखो कवनो सुहागन से कम है क्या ?लाली लिपस्टिक चौबीस घंटा पोते नाजाने सोवत बख्त मुंह धोवत है की नाही, अब अगर कभी शादी करने को समझावे तो झनकही गईया जैसन बिदक जात है कहे लगी “ -------- “ नहीं करनी