Bidda Bua book and story is written by Roop Singh Chandel in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bidda Bua is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बिद्दा बुआ - Novels
by Roop Singh Chandel
in
Hindi Moral Stories
बिद्दा बुआ (1) आवाज बुआ की ही थी, जिन्हें सारा गांव बिद्दा बुआ कहकर पुकारता है "उठो भाइयो भोर भया, कुछ काम करो मत सोओ तुम. जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है." पूरे छः महीने बाद गांववालों को उनकी आवाज सुनाई पड़ी है. छः महीने अपने भतीजे गोपाल के पास जमशेदपुर में गुजारकर वे रात ही लौटी थीं, लेकिन किसी को पता न चल पाया था. ऎसा पहली बार हुआ था. नहीं तो बुआ कहीं बाहर से आएं, चाहे भतीजे के पास जमशेदपुर से या मामा के पोते रमेश के पास भोपाल से, आते
बिद्दा बुआ (1) आवाज बुआ की ही थी, जिन्हें सारा गांव बिद्दा बुआ कहकर पुकारता है "उठो भाइयो भोर भया, कुछ काम करो मत सोओ तुम. जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है." पूरे ...Read Moreमहीने बाद गांववालों को उनकी आवाज सुनाई पड़ी है. छः महीने अपने भतीजे गोपाल के पास जमशेदपुर में गुजारकर वे रात ही लौटी थीं, लेकिन किसी को पता न चल पाया था. ऎसा पहली बार हुआ था. नहीं तो बुआ कहीं बाहर से आएं, चाहे भतीजे के पास जमशेदपुर से या मामा के पोते रमेश के पास भोपाल से, आते
बिद्दा बुआ (2) और सच ही सुबह गोपाल बिलकुल चंगा था. बुखार गायब था. अब तो उनकी दवा के गुण गांव में घर-घर गाये जाने लगे. उस दिन से वे केवल गोपाल की ही बुआ नहीं, सारे गांव की ...Read Moreहो गयीं थीं. पहले विद्या बुआ, क्योंकि यही उनका नाम था, बाद में वे विद्या बुआ से हो गयीं बिद्दा बुआ. छोटा-बड़ा, जवान-बूढ़ा उन्हें इसी नाम से पुकारने लगे. जब भी किसीके घर कोई बीमार होता, बिद्दा बुआ को बुलाया जाता, दवा पूछी जाती. लेकिन वे दवा कभी बताती न थीं. कभी-कभी केवल इतना कहतीं--"दवा तो तुम्हारे गांव के आस-पास