Beti book and story is written by Anil Sainger in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Beti is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बेटी - Novels
by Anil Sainger
in
Hindi Moral Stories
मेरी शादी हुए पाँच साल हो गए हैं लेकिन मैं आजतक न तो अपने पति को और न ससुराल वालों को समझ पाई हूँ | सब कहते हैं कि दुनिया बदल रही है साथ ही हमारे देश की सोच भी बदल रही है | मगर मुझे पता नहीं क्यों लगता है कि कहीं कुछ नहीं बदल रहा है | शायद मुझे अपने ससुराल के हालात देख कर ऐसा लगता हो | लेकिन फिर सोचती हूँ कि ऑफिस की दूसरी औरतों के भी तो कमो-बेश यही हाल हैं | ऑफिस की सहेलियाँ चाहे कुछ भी बोलें, कितना भी मॉडर्न बने लेकिन
मेरी शादी हुए पाँच साल हो गए हैं लेकिन मैं आजतक न तो अपने पति को और न ससुराल वालों को समझ पाई हूँ | सब कहते हैं कि दुनिया बदल रही है साथ ही हमारे देश की सोच ...Read Moreबदल रही है | मगर मुझे पता नहीं क्यों लगता है कि कहीं कुछ नहीं बदल रहा है | शायद मुझे अपने ससुराल के हालात देख कर ऐसा लगता हो | लेकिन फिर सोचती हूँ कि ऑफिस की दूसरी औरतों के भी तो कमो-बेश यही हाल हैं | ऑफिस की सहेलियाँ चाहे कुछ भी बोलें, कितना भी मॉडर्न बने लेकिन
कॉलेज से आने के बाद मेरा नौकरी ढूंढने का सिलसिला शुरू हो गया | जितनी जल्दी नौकरी मिलती उतनी ही जल्दी छूट जाती थी | यह सिलसिला बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा था | एक दिन ...Read Moreमैं अपनी छठी नौकरी छोड़ कर घर आई तो उस समय पिता जी ऑफिस से आकर चाय पी रहे थे | उन्होंने मेरा झुका और परेशान चेहरा देख कर ही अंदाजा लगा लिया था कि मैं आज फिर से नौकरी छोड़ कर आई हूँ | मैं पानी पी कर अपने कमरे की ओर जाने ही लगी थी कि वह बोले
मेरी नौकरी लगे अभी डेढ़ साल ही हुआ था कि मेरी माँ को मेरी शादी का भूत सवार हो गया | मैं जब भी रात के खाने के लिए टेबल पर बैठती तो माँ खाना परोसते ही शादी का ...Read Moreअपनी झोली में से निकालती और शुरू हो जाती कि बेटा पहले तो तुम कहती थीं कि जब मेरी नौकरी लग जाएगी फिर ही शादी करुँगी | अब तो तुम्हारी नौकरी लगे हुए भी दो साल होने को हैं | अब क्या कहना है तुम्हारा | मैं हर बार एक ही सवाल सुन-सुन कर परेशान हो बोलती कि माँ कभी
यह सब उस जमाने तक ठीक था जब औरत घर से बाहर नहीं निकलती थीं | तब वह केवल घर और बच्चों तक ही सीमित थीं | आज वक्त बदल चुका है | आज औरत पढने-लिखने से लेकर पैसा ...Read Moreतक पुरुष के बराबर खड़ी है | कम से कम अब तो उसे ऐसे मजबूर नहीं करना चाहिए | उसे समाज को अधिकार देना चाहिए कि वह स्वयम अपने लिए अपने मनमुताबिक पुरुष को चुन सके | ऐसे व्यक्ति के साथ जिन्दगी भर रहने की कोशिश करे जिससे वह प्यार करती हो | प्यार को अहमियत दी जाय और शरीरिक