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विश्रान्ति - Novels
by Arvind Kumar Sahu
in
Hindi Horror Stories
मुख्य मार्ग पर सामने से किसी राजा के महल जैसी भव्य दिखने वाली उस विशाल हवेली के पीछे भी किसी पर्वतीय पर्यटन स्थल जैसा ही शानदार और आकर्षक नजारा था | हर तरफ प्रकृति का मनमोहक सौंदर्य फैला हुआ था | दूर – दूर तक रंग-बिरंगे फूलों और मौसमी फलों से लदे विशाल हरे – भरे पेड़ खड़े थे, तो बीच – बीच में छोटी – बड़ी झड़ियां और घास के मैदान भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में पीछे नहीं हटना चाहते थे |
इस हवेली के पीछे, सुरक्षा दीवार से लगी हुई सई नदी बहती थी, जिसके ठंडे पानी को छूकर आने वाली हवा कमाल की थी | इसकी ताजगी बदन को छूते ही सारी थकान छू-मंतर कर देती थी | यहीं एक बड़े और ऊँचे टीले पर जमींदार की शिकारगाह बनी हुई थी, जिसमें सुख सुविधा के सारे साधन मौजूद थे |
विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) मुख्य मार्ग पर सामने से किसी राजा के महल जैसी भव्य दिखने वाली उस विशाल हवेली के पीछे भी किसी पर्वतीय पर्यटन स्थल जैसा ...Read Moreशानदार और आकर्षक नजारा था हर तरफ प्रकृति का मनमोहक सौंदर्य फैला हुआ था दूर – दूर तक रंग-बिरंगे फूलों और मौसमी फलों से लदे विशाल हरे – भरे पेड़ खड़े थे, तो बीच – बीच में छोटी – बड़ी झड़ियां और घास के मैदान भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में पीछे नहीं हटना चाहते थे इस
विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) (...और तब, जमींदार के अत्याचारों से उपजी घृणा व जुगुप्सा भरी एक रहस्यमय कहानी)-1 रहस्य एक रात का -------------------- वह पूष अर्थात दिसंबर माह ...Read Moreएक बेहद सर्द रात थी। मटमैले बाजरे को पीसकर बने चितकबरे रंग के आटे जैसे रात के माहौल में, पीली – सफ़ेद रंग की उड़ती हुई धुन्ध में, आइसक्रीम जैसी नाजुक, जमती - पिघलती हुई महीन बर्फ से निर्मित घने कुहरे का साम्राज्य दूर – दूर तक फैला हुआ था। हालाँकि आज पूर्णिमा की रात थी और भरे – पूरे
विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) (दुर्गा मौसी मरीज देखने के लिये रात - बि- रात और दूर – दराज तक भी चली जाती थी) - 2 मरीज देखने की ...Read Moreमें दुर्गा मौसी किसी से मुँह खोलकर कुछ नहीं माँगती थी। लेकिन सक्षम लोग उन्हें सम्मान और उपहार के अलावा यथाशक्ति धनराशि मेहनताना भी दे देते थे। इससे मौसी को कुछ नकद आमदनी भी हो जाती थी, जो लगातार बढ़ती मंहगाई में घर चलाने के काम आती थी। हम कह सकते हैं कि समाज सेवा के साथ ही यह उनकी
विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) (उस रहस्यमय व्यक्ति की आहट से गाँव के कुत्ते व सियार भी अजीब से बेचैन थे) -1 - “हूँ...., तभी तो मैं सोचूँ कि ...Read Moreऐसा कोई नाम ध्यान में क्यों नहीं आ रहा है?” दुर्गा मौसी ने कुछ संतुष्टि की साँसें ली। लेकिन वह अब भी जैसे कुछ याद करने का ही प्रयास कर रही थी इसलिए आगन्तुक युवक उन्हें फिर से जल्दियाते हुए बोला – “सोच - विचार में समय न गँवाइए मौसी ! जल्दी चलिए , मैं बैलगाड़ी लेकर आया हूँ।
विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) (दुर्गा मौसी को आज रास्ते के इस वातावरण में पेड़ और पंछी भी बड़े रहस्यमय लग रहे थे)-4 आगे उनकी देखा – सुनी रास्ते ...Read Moreमिलने वाले कुछ अन्य जानवर भी असमय जागते जा रहे थे और सब के सब चिड़चिड़ाकर अजीब सी आवाज में भौंकते- गुर्राते या खौंखियाते इधर से उधर भागते चले जा रहे हों। गाँव के वफादार चौकीदार कुत्तों व अन्य जंगली जानवरों की इस कुसमय भौंकने या चीखने की आवाजों से घबरा कर उस बरगद पर चमगादड़ जैसे कुछ अन्य पक्षियों