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गोपी गीत । - Novels
by NSR...
in
Hindi Spiritual Stories
शरत्ऋतु की पृर्णिमा थी , रात्रि का समय था । भगवान श्यामसुन्दर वन में पधारे । मुरलीधर ने बंशी की तान छेडी । बंशी की ध्वनि कान में पड़ते ही ब्रज…गोपियाँ व्याकुल हो गई । जिस के हाथ में जो काम था, वह उसे छोड़कर बावरी के सामान वन की ओर भागी । गोपियों को अपने पास आई देखकर श्रीकृष्ण ने बनावटी आश्चर्य कै साथ कहा… अरी गोपियों! रांत्रि कै समय तुम वन में कैंसे आ गईं ? गोपी धीरज धारण करके दीन भाव से बोलीं-हमारे प्यारे चितचोर ! घरवालों से
शरत्ऋतु की पृर्णिमा थी , रात्रि का समय था । भगवान श्यामसुन्दर वन में पधारे । मुरलीधर ने बंशी की तान छेडी । बंशी की ध्वनि कान में पड़ते ही ब्रज…गोपियाँ व्याकुल हो गई । जिस के हाथ ...Read Moreजो काम था, वह उसे छोड़कर बावरी के सामान वन की ओर भागी । गोपियों को अपने पास आई देखकर श्रीकृष्ण ने बनावटी आश्चर्य कै साथ कहा… अरी गोपियों! रांत्रि कै समय तुम वन में कैंसे आ गईं ? गोपी धीरज धारण करके दीन भाव से बोलीं-हमारे प्यारे चितचोर ! घरवालों से
* गोपियाँ बोली *गोपियाँ विराहावेश में गाने लगीं…प्यारे ! तुम्हरे जन्म के कारण वैकुंड आदि लोकों से भी व्रज की महिमा बढ गई है, तभी तो सौन्दर्य और मृदुत्नता की देबी लक्षमी जी भी अपना निवासस्थान वैकुंड ...Read Moreयहाँ नित्य निरंतर निवास काने लगी हैं इसकी सेवा करने लगी हैं । परन्तु , प्रियतम्! देखो तुम्हारी गोपियाँ जिन्होंने तुम्हारे चरणों मैं ही अपने प्राण समर्पित कर रखे हैं वन -वन में भटक कर तुम्हें ढूंढ रही हैं। । ९ ।
।। श्री राधे ।।हमारे प्यारे स्वामी! तुम्हारे चरण , कमल से भी सुकोमल ओर सुन्दर है । जब तुम गौओं को चराने के लिए व्रज से निकलते हो , तब यह सोचकर कि तुम्हारे वे युगल कंकड , ...Read Moreऔर कुश-कांटे गड जाने से कष्ट पाते होंगे , हमारा मन बैचेन हो जाता है । हमें बडा दुख़ होता है।। १ १ ।। ।। श्री राधे ।।दिन ढलने पर जब तुम वन से घर लौटते हो तो हम देखती है कि