Khavabo ke pairhan by Santosh Srivastav | Read Hindi Best Novels and Download PDF Home Novels Hindi Novels ख्वाबो के पैरहन - Novels Novels ख्वाबो के पैरहन - Novels by Santosh Srivastav in Hindi Novel Episodes (368) 26.5k 33.1k 66 चूल्हे के सामने बैठी ताहिरा धीमे-धीमे रोती हुई नाक सुड़कती जाती और दुपट्टे के छोर से आँसू पोंछती जाती अंगारों पर रोटी करारी हो रही थी खटिया पर फूफी अल्यूमीनियम की रक़ाबी में रखी लहसुन की चटनी ...Read Moreजा रही थी- “अरी, रोटी जल रही है..... दे अब रोती ही जाएगी क्या?” ताहिरा ने आँखें पोंछीं और रोटी की राख झाड़ फूफी को पकड़ा दी.....बस, आख़िरी दो लोई बची है फूफी हमेशा अंत में खाती हैं, जब सब खा चुकते हैं Read Full Story Listen Download on Mobile Full Novel ख्वाबो के पैरहन - 1 (31) 7.4k 3.3k चूल्हे के सामने बैठी ताहिरा धीमे-धीमे रोती हुई नाक सुड़कती जाती और दुपट्टे के छोर से आँसू पोंछती जाती अंगारों पर रोटी करारी हो रही थी खटिया पर फूफी अल्यूमीनियम की रक़ाबी में रखी लहसुन की चटनी ...Read Moreजा रही थी- “अरी, रोटी जल रही है..... दे अब रोती ही जाएगी क्या?” ताहिरा ने आँखें पोंछीं और रोटी की राख झाड़ फूफी को पकड़ा दी.....बस, आख़िरी दो लोई बची है फूफी हमेशा अंत में खाती हैं, जब सब खा चुकते हैं Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 2 (18) 1.5k 2.2k उदास ताहिरा अँधेरे में भी पेड़ के नीचे बैठी रही बीच-बीच में आँखें भर आतीं फैयाज़ का मुस्कुराता चेहरा आँखों के समक्ष डोल जाता उसने कभी भी फैयाज़ को निराश नहीं देखा था जब भी ...Read Moreसे मिली थी यही पाया था कि फैयाज़ में गहरी महत्वाकांक्षा है बावजूद सारी ज़िम्मेदारियों के वह घबराया नहीं है वह कहता था बहन की जिम्मेदारी पूरी करने के बाद शादी करेगा, और एक सुंदर गृहस्थी की कल्पना से ताहिरा आँखें मूँद लेती थी हमउम्र युवकों से फैयाज़ एकदम अलग था Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 3 (11) 1.7k 2.6k जैसे कुर्बानी से पहले बकरे को हार-माला, तिलक से सजाया जाता है ताहिरा को भी सजाया जा रहा था पिछली रात मेंहदी की रस्म हुई थी गोरे पाँवों तथा हाथों में कलाइयों तक बारीक मेंहदी लगाने ब्यूटी ...Read Moreसे लड़की बुलाई गई थी मंगल कार्यालय और कार्यालय के ऊपर बने फ़्लैट में पूरा घर शादी के माल-असबाब सहित मेंहदी की रात से ही आ गया था जमीला, सादिया के लिये तो जैसे जश्न-सा था सब..... और क्यों न हो, उनकी इकलौती ननद की शादी थी..... Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 4 (17) 1.4k 2k धूप कमरे में आ चुकी थी निक़हत फूफी को झंझोड़ रही थी “उठिए फूफी जान.....देखिए कितना दिन चढ़ आया है ” फूफी घबराकर उठ बैठीं..... रात कब तक जागती रहीं, याद नहीं..... शाहजी को ताहिरा के कमरे ...Read Moreदाखिल होते देखा था..... फिर यादों के झंझावात में कितनी ही देर वे जागती रहीं थीं..... न जाने कितनी बातों को लेकर वे रोई थीं..... गालों पर आँसू सूख गए थे, शायद रोते-रोते सोई होंगी या अल्लाह! ऐसे तो वे कभी नहीं सोईं? भाईजान के घर में तो पाँच बजे से ही काम शुरू हो जाते थे, न जाने कैसे वह इतना सोती रही Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 5 (23) 1.4k 2.1k फूफी को ताहिरा के क़दमों की चाप देर तक टकोरती रही ज़ेहन में उस चाप की टकोर से वेदना उठी .....मन अपराधी हो स्वयं से गवाही माँगने लगा- ‘क्यों किया रन्नी तूने ऐसा? क्यों ख़ानदान की बलिदेवी पर ...Read Moreकी कुर्बानी दे दी? अँधे न देखें तो ख़ुदा उन्हें माफ़ करता है पर तू तो आँख होते अंधी हो गई थी ’ फूफी की आँखें डबडबा आईं बेशुमार आँसू ओढ़नी पर चू पड़े उनकी ज़िन्दगी हो मानो कुर्बानियों की दास्तान है, आहों का जलजला, उम्मीदों की टूटन है रोते-रोते वे तकिये में मुँह गड़ा कर लेट गईं धीरे-धीरे अतीत दस्तक देने लगा Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 6 (22) 1.4k 2.4k नूरा कहता है कि वह फूफी का बेटा है रन्नी को भी नूरा से कुछ अधिक ही प्यार है वर्षों बाद सूने घर में किलकारियाँ गूँजी थीं रन्नी की खुशी का तो कहना ही क्या? उसने ...Read Moreपुरानी रेशमी साड़ी में रुई भरकर, महीन काथा वर्क के डोरे डाले इतनी प्यारी नन्ही सी रज़ाई बनाई थी कि खिलौने बनाते अम्मी मुस्कुरा पड़ी थीं ‘रन्नी की बच्चे की साध मानो हुलसकर सामने आई थी’ लेकिन दूसरे ही पल अम्मी उदास भी हो गई Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 7 (28) 1.2k 2.5k ज्यों फेन से सराबोर समंदर की लहर हुलसकर तट तक जाती है और सब कुछ समर्पित कर बौखलाई-सी लौट आती है, रन्नी भी लौट आई यूसुफ और अपने प्यार की निशानी को खुरच-खुरच कर निकलवा तो दिया पर ...Read Moreसे क्या खुरचने के दाग़ गए? क्यों रन्नी के साथ ही ऐसा होता आया है? हर ओर शिकस्त, ज़िन्दगी की हर बाजी शह और मात से लबरेज?.....कहीं तो अल्लाह एक किरण रोशनी की उसे भी सौंपता? जाकिर भाई के घर से चाबी लेकर रन्नी ने घर का दरवाज़ा खोला नूरा साथ आया था Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 8 (21) 1.1k 1.7k रन्नी लौट तो आई थी अपने अतीत को छोड़कर लेकिन क्या कभी अतीत को बिसरा पाई? चहुँओर बिखरे अपने दिल की किर्चों पर लहूलुहान पैरों को रखती वह भाईजान के बच्चों को बड़ा करने में जुट गई उम्र ...Read Moreगई लेकिन उसके पाँव आज भी लहूलुहान हैं और जब वह अपने पाँवों को सहलाती तो पीछे चुपके से आकर अतीत बैठ जाता कभी भाभी जान उसकी पीठ सहलाकर समय को पीछे धकेल देतीं, और वह उनके बच्चों की मुस्कुराहट में खो जाती Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 9 (18) 1.2k 1.8k अब्दुल्ला ने खूब मन लगाकर सींक कबाब बनाये थे साथ में प्याज़ के बारीक लच्छे और टमाटर की सॉस! शाहजी को मीठी सॉस पसंद न थी सो शहनाज़ बेगम अपने हाथों चटपटी स्पेशल सॉस बनाती थीं धीरे-धीरे ...Read Moreकोठी के संस्कारों की अभ्यस्त हो चुकी थी हालाँकि, प्रतिदिन वह शाहजी के इंतज़ार में अपने को सँवारती थी लेकिन कभी सूनी उदास शामें भी गुज़र जातीं तो उसे बुरा नहीं लगता वह जानती थी, शाहजी का पहला हक बड़ी बेगम का है वह यह भी जानती थी कि उसकी उदासी फूफी को तोड़ देती है..... Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 10 (18) 1.4k 1.9k यादव जी सामान लाकर बरामदे में रख आहे थे रन्नी बी ने घर के भीतर प्रवेश किया तो भोंच्क्की रह गई घर का काया पलट हो गया था बैठक की दीवार नील रंग की, मैचिंग के ...Read Moreफूलदार पर्दे, बेंत की कुसियाँ, सोफे, कांच का बड़ा सा टेबल बीचों बिच बड़े से शो केस में सजे खिलौने, एक और लम्बा टेबल लैम्प फर्श पर बिछा कालीन और दीवार पर लगी बड़ी-सी खान ए काबा की तस्वीर तस्वीर के उपर कढ़ाई द्वारा लिखा हुआ ‘या अल्लाह’ और दायें बाएँ ‘या मोहम्मद’ और ‘या अली’ के फ्रेम किये हुए तुगटे और दूसरी दीवार पर अब्बू अम्मी की फ्रेम की हुई बड़ी फोटो Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 11 (21) 1.3k 2.3k अँधेरा घिर आया है कोठी के सभी लोग न जाने कहाँ कोने-आतड में छुपे से हैं शहनाज़ बेगम और शाहजी तो ताहिरा को ले कर बाज़ार गए हैं ताहिरा की नहीं गाड़ी जो शाहजी ने उसे ...Read Moreके मौके पर भेंट देने को कहा था, आज वो आने वाली है ईद के वक्त न आ सकी गाड़ी ताहिरा के भाग्य पर रन्नी का सीना गर्व से फूल उठता है पर शहनाज़ बेगम और अख्तरी बेगम की सूनी कोख उसके अंदर दहशत भी भर देती है तब लगता है की ताहिरा दांव पर लगी है जिसके एवज में भाईजान की चरमराती गृहस्थी को सम्हालते, सुख, खुशियाँ और एश बख्शते शाहजी के हाथ हैं Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 12 (18) 1.1k 1.6k वे जो जानना चाहती है, कैसे पूछें इस लडकी से कैसे जानें कि शाहजी से वह संतुष्ट है, अथवा नहीं? कोई उपाय नहीं, वे निरुपाय सी आँखे बंद किए पड़ी रही ताहिरा धीमे धीमे बाम मलती रही ...Read Moreकब उनकी आँखे लगी पता ही नहीं चला कब ताहिरा धीमे से उनका सिर गोदी से उठाकर तकिये पर रखकर चल दी यह भी उन्हें पता नहीं चला या अल्लाह! कैसा खौफनाक ख्वाब था वह! वह कांप रही थी देह पसीने से भीगी थी, पूरे कमरे में अँधेरा फैला हुआ था उनके भीतर भी पोर पोर में अँधेरा फैलता जा रहा था नहीं... ऐसा नहीं हो सकता Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 13 (19) 1.2k 1.7k अचानक ताहिरा को महसूस हुआ जैसे फूफी उसे ही देखे जा रही है, वह हडबडा उठी वेटर चाय-नाश्ता ले आया था रन्नी भी तैयार थी, जल्दी-जल्दी सैंडविच खाई और चाय पीकर उठ गई – “हम चलते हैं ...Read Moreताहिरा, तुम्हारे लिए मोती का पूरा सेट लाना है न? या मोती ही वजन कराके ले आउ, घर लौटकर बनवा लेना मनपसंद सेट?” “अब जैसा आप ठीक समझे, मुझे कुछ खास तजुर्बा नहीं है इन बातों का पर फूफी अपने लिए भी मोती का कुछ लाना, यूँ ही मत चली जाना सबके लिए खरीदकर ” रन्नी ने लाड से ताहिरा के माथे को चूम लिया और मन ही मन... Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 14 (24) 1.2k 1.7k ताहिरा भोंचक्की सी फूफी को देखती रही खिड़की के बाहर बादल तैर रहे थे और रेहाना की आँखों में विशाल समुद्र ... जब युसूफ दुबई चले गए थे एकदम निर्मोही होकर तब उन्होंने क्या इतना ही विशाल ...Read Moreआखों में नहीं समोया था? जुदाई का दुःख, मोहब्बत का अहसास उनसे अधिक कौन समझ सकता था? दोनों के बिच ख़ामोशी पसरी पड़ी थी और बिच बिच में ताहिरा की दबी सिसकियाँ रेहाना को विचलित किये हुए थी धीमे-धीमे उन्हों ने आँखे बंद की और सिर सीट से टिका लिया कुछ देर यूं ही टिकी बैठी रही कि लगा उन्हें किसी ने पुकारा हो... Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 15 (25) 1k 1.5k लेकिन फूफी का मन कचोटने लगा. सच ही तो है, ताहिरा के खेलने खाने के दिन है. अभी से बाल बच्चे की झंझट? लेकिन वह तो इसी शर्त पर ब्याही गई थी की जल्द से जल्द कोठी में चिराग ...Read Moreकरेगी. खुदा क्या कभी माफ़ करेगा उन्हें. लोग अनजाने में गुनाह कर बैठते हैं, वह तो जानबूझकर ताहिरा को गुनाह के रस्ते ले गई. ताहिरा के जिस प्रेम के पल्लवित होने में खुद उन्होंने रोड़ा अटकाया था, उसी प्रेम की भीख वे शाहजी का घर भरने चली. क्यों? क्या भाईजान से बेपनाह मोहब्बत की वजह से या ताहिरा को शहनाज़ बेगम और मंझली बेगम के सामने मात न खानी पड़े?.... Listen Read ख्वाबो के पैरहन - 16 (54) 1.1k 1.8k एकदम सुभ डोक्टर ने आकर बताया था की अब मरीज़ की हालत में सुधार है, वे अब देर तक सोयेंगी, इसलिए आप लोग घर जा सकते है, हम हैं ही यहाँ भाईजान ने अपनी लाडली बहन को कांच ...Read Moreदरवाजे से झांक कर देखा, उन्होंने इत्मीनान की साँस ली और नूरा के पीछे स्कूटर पर बैठकर घर चले गये रन्नी की आँख खुली तब तक ऑक्सीजन सिलेन्डर उनके पास से हटा दिया गया था कमरे में कोई नही था, दवाईयों की गंध और ठंडक थी उनका दिमाग एकदम शून्य हो रहा था, साँस फिर तेज चलने लगी थी कल शाम की घटना उसे कतरा-कतरा याद थी Listen Read More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Novel Episodes Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Humour stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Social Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Santosh Srivastav Follow