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गूंगा गाँव - Novels
by रामगोपाल तिवारी (भावुक)
in
Hindi Moral Stories
एक भोर होते ही चिड़ियों ने चहकना शुरू कर दिया। उनमें एक संवाद छिड़ गया था। कुछों का कहना था-‘इस गाँव का किसान बड़ा खराब है, हमारे पहुँच ने से पहले खेतों पर पहुँच जायेगा। जब हम चुनने लगेंगे तो हाय-हाय करेगा। भला ऐसा अन्न क्या अंग लगेगा!’ कुछों का कहना था-‘ यहाँ का आदमी यह नहीं सोचता कि हमारे क्या खेती होती है? हम अपना पेट भरने कहाँ जायें? क्या करें? गोदामों में पहुँचने के बाद तो हमें अनाज की सुगन्ध भी नहीं मिलने की । इस तरह का खाना किसी को भी अच्छा
एक भोर होते ही चिड़ियों ने चहकना शुरू कर दिया। उनमें एक संवाद छिड़ गया था। कुछों का कहना था-‘इस गाँव का किसान बड़ा खराब है, ...Read Moreपहुँच ने से पहले खेतों पर पहुँच जायेगा। जब हम चुनने लगेंगे तो हाय-हाय करेगा। भला ऐसा अन्न क्या अंग लगेगा!’ कुछों का कहना था-‘ यहाँ का आदमी यह नहीं सोचता कि हमारे क्या खेती होती है? हम अपना पेट भरने कहाँ जायें? क्या करें? गोदामों में पहुँचने के बाद तो हमें अनाज की सुगन्ध भी नहीं मिलने की । इस तरह का खाना किसी को भी अच्छा
दो सूर्य डुबने को हो रहा था। चरवाहे अपने पशु लेकर लौट पड़े थे। गाँव के लोग अपने पशुओं को लेने, गाँव ...Read Moreबाहर हनुमान जी के मन्दिर पर प्रतिदिन की तरह इकठ्ठे हो गये। मन्दिर के चबूतरे से, जो जमीन की सतह से छह-सात फीट ही ऊँचा होगा, उस पर खड़े होकर पशुओं के आने की दिशा का अनुमान लगाने लगे। मौजी ऐसे वक्त पर जब-जब यहाँ से निकलता है,उसे वर्षें पुरानी घटना याद हो आती है। जब वह पहली-पहली बार इस गाँव में आया थ। पत्नी सम्पतिया उसके साथ थी। भाई रन्धीरा तथा दो
तीन आम चुनाव में मौजी को खूब मजा आया। दिन भर घूम-घूम कर नारे लगाते रहो। रात को भरपेट भोजन करो,ऊपर से पचास रुपइया अलग मिलते। दिनभर के थके होते, थकान मिटाने रात पउआ ...Read Moreको मिल जाता। महीने भर में वह खा-खा कर सन्ट पड़ गया था। उसने तो जी तोड़ नारे लगाये किन्तु बेचारे पण्डित द्वारिकाधीश जीत न पाये। जीत जाते तो मौजी की पहुँच भोपाल तक हो जाती। मौजी ने भोपाल घूमने के कितने सपने देखे थे। भेापाल देखने की बात मौजी के मन की मन में रह गई। बढ़िया सुन्दर दुकाने होंगी। सब
चार मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित, शिक्षा और संस्कृति का केन्द्र ग्वालियर जिला और जिले की संस्कृत साहित्य के गौरव महाकवि भवभूति की कर्म स्थली डबरा,भितरवार तहसीलें। यह भाग पंचमहल के नाम से ...Read Moreहै। यहाँ एक कहावत प्रसिद्ध है- आठ वई नौ दा। पंचमहल कौ हो तो बता।। इसका अर्थ यह है कि पंचमहल क्षेत्र के ऐसे आठ गाँव के नाम बतायें जिनके नाम के अन्त में वई आता हो तथा नौ गाँवों के नाम का अन्त दा शब्द पर हो। इस क्षेत्र में ही नहीं दूर-दूर तक यह कहावत प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र
दुनियाँ में कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता और न किसी काम के करने से आदमी का मूल्य ही कम होजाता है। सफाई करने का जो काम, लोग अपनाये हुए हैं, वे उसे तब तक करते रहेंगे जब तक उन्हें ...Read Moreकाम से हीनता की भावना नहीं आती। जब-जब जिसे अपना काम छोटा लगने लगा, उसी दिन वे उस काम को तिलांज्जलि दे देंगे। बैसे काम तो काम है। हमारे जिस काम को लोग घृणा की दृष्टि से देखने लगें, उस काम को हमें स्वयं