Pachhyataap book and story is written by Ruchi Dixit in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pachhyataap is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पश्चाताप. - Novels
by Ruchi Dixit
in
Hindi Fiction Stories
"पश्चाताप " यह रचना मैने प्रतिलिपि पर वेवसीरीज के तौर पर लिखी थी जिसे अब बिना परिवर्तित करे मै उपन्यास की रूप मातृभारती पर देने जा रही हूँ | प्रतिलिपि पर मैने इसे दस भागो मे प्रस्तुत किया था जो कि, पूर्णिमा का शशिकान्त के घर छोड़ने तक ही है | आगे का भाग मै मातृभारती पर देने जा रही हूँ | मुझे पूर्ण विश्वास है कि इच्छा की तरह ही आपलोग पूर्णिमा को भी उतना ही प्रेम व सम्मान देंगे | धन्यवाद ?रूचि दीक्षित अरे सुन रही है! ले जा इसे ! बिल्कुल भी ध्यान नही रखती बेटे का "|
"पश्चाताप " यह रचना मैने प्रतिलिपि पर वेवसीरीज के तौर पर लिखी थी जिसे अब बिना परिवर्तित करे मै उपन्यास के रूप मे मातृभारती पर देने जा रही हूँ | प्रतिलिपि पर मैने इसे दस भागो मे ...Read Moreकिया था जो कि, पूर्णिमा का शशिकान्त के घर छोड़ने तक ही है | आगे का भाग मै मातृभारती पर देने जा रही हूँ | मुझे पूर्ण विश्वास है कि इच्छा की तरह ही आपलोग पूर्णिमा को भी उतना ही प्रेम व सम्मान देंगे | धन्यवाद रूचि दीक्षित "अरे सुन रही है! ले जा इसे ! बिल्कुल भी ध्यान नही रखती बेटे का "|
अब तक की कहानी मे पूर्णिमा किसी बात को लेकर बहुत दुखी है | उसी दुःख का अनुभव करती हुई वह अपनी बीती हुई ज़िन्दगी को याद कर रही है | पूर्णिमा अपने भाई बहन मे सबसे बड़ी है ...Read Moreमे ही उसकी माँ की मृत्यु हो जाने के कारण उसके छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी उसके ऊपर आ जाती है | पूर्णिमा के जवान होने पर उसके पिता को उसके विवाह की चिन्ता सताने लगी | उसी की उम्र की और लड़कियों का विवाह होते देख वे और भी ज्यादा दुःखी हो गये थे | किन्तु उनकी आर्थिक स्थिति
पश्चाताप के दूसरे भाग मे अब तक आपने पढ़ा पूर्णिमा का पति उससे अपने सुधरने की बात कह कर शाम को घर जल्दी आने की बात करता है किन्तु कई दिन बीतने पर भी वह घर नही ...Read Moreहै | पूर्णिमा दुःखी होकर ईश्वर के सम्मुख रोने लगती है कि तभी , पड़ोस से एक महिला आती है | जिसके पति की कुछ दिन पहले ही उस शहर मे पोस्टिंग हुई है | वे दोनो अच्छी सहेली बन जाती हैं | एक दिन पूर्णिमा ने अपनी सारी कहानी, उसी सहेली प्रतिमा से बता दी | उसकी आर्थिक स्थिति को भाँप
पूर्णिमा का काम दिनोदिन बढ़ता जा रहा था| लोग उसके काम मे सफाई और बारीकी के मुरीद हो चुके थे |यहाँ तक की काम अधिक होने पर उसके मना करने पर लोग अनुरोधपूर्ण मुँह माँगे दाम देने तक को ...Read Moreहो जाते | प्रतिमा भी पूर्णिमा के काम हाथ बटा देती थी | बहुत अधिक काम मिलने पर हाथों से पूरा करना अब मुश्किल हुआ जा रहा था परिणामत: उसे मना करना पड़ता | पूर्णिमा ने प्रतिमा से मशीन लेने की इच्छा जाहिर की, अब तक अपने काम से पूर्णिमा ने इतने पैसे जोड़ लिए थे कि मशीन आ गई
सुबह प्रतिमा से मिलने न जा पाने के कारण, पूर्णिमा रात भर उसी के बारे मे सोचती रही | आखिर क्या हुआ होगा ! क्यो नही आ रही! कही बिमार तो नही हो गई न! मै कल जरूर जाकर ...Read Moreकरूँगी ! चाहे कुछ भी हो जाये ! | यही सोचते हुए पूर्णिमा को कब नींद आ गई पता ही न चला, पति से पूर्णिमा के संवाद बन्द होने के बावजूद भी वह उसकी नजदीकी का कभी विरोध न करती , किन्तु आज प्रतिमा की चिन्ता पति की इच्छा का भी उलंघन कर गई| सुबह उठते ही जैसे