Mera Pati Tera Pati book and story is written by Jitendra Shivhare in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mera Pati Tera Pati is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेरा पति तेरा पति - Novels
by Jitendra Shivhare
in
Hindi Moral Stories
आधी रात में दरवाजे की बैल बज उठी।
स्वाति ने कमलेश को जगाया।
"सुनो! उठो! देखो बाहर कोई आया है।"
"इतनी रात में कौन आया होगा।" कमलेश ने उंगलियों से आंख मलते हुये कहा। वह दरवाजे के पास पहूंचा। उसने मैजिक आई में से झांककर देखा। बाहर कोई लड़की खड़ी थी। उसके चेहरे पर डर था। कमलेश ने दरवाजा खोल दिया।
"कौन है आप?" कमलेश ने पुछा।
वह कुछ न बोली। सीधे घर के अंदर आ गयी।
"साब मुझे बचा लो।" वह युवती हाथ जोड़ कर बोली। वह स्वाती को देखकर वह उसके पास जा पहुंची। स्वाती ने उसे धीरज बंधाया।
1 आधी रात में दरवाजे की बैल बज उठी। स्वाति ने कमलेश को जगाया। "सुनो! उठो! देखो बाहर कोई आया है।" "इतनी रात में कौन आया होगा।" कमलेश ने उंगलियों से आंख मलते हुये कहा। वह दरवाजे के पास ...Read Moreउसने मैजिक आई में से झांककर देखा। बाहर कोई लड़की खड़ी थी। उसके चेहरे पर डर था। कमलेश ने दरवाजा खोल दिया। "कौन है आप?" कमलेश ने पुछा। वह कुछ न बोली। सीधे घर के अंदर आ गयी। "साब मुझे बचा लो।" वह युवती हाथ जोड़ कर बोली। वह स्वाती को देखकर वह उसके पास जा पहुंची। स्वाती ने उसे
2 गेस्ट रूम का द्वार वह बंद करना चाहती थी मगर कमलेश के बल के आगे उसकी एक न चली। वह बैड पर जा गिरी। कमलेश उसकी तरफ बढ़ने लगा। "कमलेश जी! ये सही नहीं है। आप ये अन्याय ...Read Moreकर सकते।" दीपिका दबी आवाज़ में बोली। "तुम्हारी आवश्यकता मैंने पुरी की। तुम्हें अपने घर में पनाह देकर। अब मेरी जरूरत तुम्हें पुरी करनी चाहिये।" कमलेश बोला। इस तरह के वचनों की उसे कमलेश से उम्मीद नहीं थी। मगर उसे यह भी पता था कि कमलेश अभी वासना की आग में बुरी तरह झुलस रहा है। यदि उसे अभी नहीं
3 सबकुछ सामान्य भी हो जायेगा। किन्तू दिपिका के साथ हुये अन्याय का हिसाब हम सभी को कभी न कभी तो देना ही होगा। उसकी तड़प और आंखों से बहते आसुं कहीं किसी रूप में हम सभी से इस ...Read Moreका प्रतिशोध अवश्य लेंगे। ' स्वाति विचारों में खोई हुयी थी। "स्वाति! स्वाति! कहां खो गयी।" कमलेश ने उसे जगाया। स्वाति ने घृणित नज़रों से कमलेश को देखा। "स्वाति! दिपीका घर छोड़ कर जा रही है। इसे कुछ तो कहो।" कमलेश ने स्वाति से कहा। स्वाति तेजी से उठी। वह दीपिका के कमरे जाना चाहती थी। इससे पुर्व ही दिपीका
4 "इतनी ही पसंद आ गयी है तो जाकर बात कर ले।" देव ने रमन से कहा। "ऐसी कोई बात नहीं है।" रमन ने बात काटी। "वेरी गुड। लेकिन मुझे तो वो लड़की बहुत पसंद आ गयी है। मैं ...Read Moreआया उससे बात कर के।" देवा ने कार का दरवाजा खोलते हुये कहा। "अरे! नहीं देव। यार वो शरीफ लड़की दिखाई दे रही है।" रमन ने बोला। "तब ही तो कह रहा हूं। मैं अभी आया। तु रूक।" देव ने कहा और वह सड़क पार करते हुये आराधना के नजदीक जा पहूंचा। वह आराधना से बातचीत करने लगा। रमन कार
5 "मैं जानता हूं कि मेरे माता-पिता कल यहां आये थे। और उन्होंने तुम्हें जमकर डांटा है।" रमन ने कहा। "हां बेटा! आराधना का जीवन पहले ही कांटों से भरा है। अब तुम इसका जीना ओर मुश्किल न करो।" ...Read Moreने अपनी बेटी का पक्ष लिया। "नजरीये का फर्क है मांजी। मैं आराधना की राहों में फूल बिछाना चाहता हूं और आप इसे कांटों भरी डगर कह रही है।" रमन ने कहा। "कुछ भी हो! लेकिन आपको अपने माता-पिता के कहे अनुसार ही शादी करनी चाहिए।" आराधना अब शुष्क थी। "ठीक है आराधना। जिस दिन माॅम-डैड मुझसे कहेंगे की तुमसे