Mulakaat book and story is written by दिलीप कुमार in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mulakaat is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मुलाकात - Novels
by दिलीप कुमार
in
Hindi Love Stories
शाम का समय था... हल्की हल्की हवाओं के साथ छोटी छोटी बारिस की बूंदे पड़ रही थी। बड़ा ही सुहाना मौसम था...मैं ग्राउंड में टहल रहा था अचानक मेरे कानों में आवाज आई ।ओ मिस्टर मैंने पलट कर देखा मुझे कोई दिखाई नही दिया। वही वाक्य फिर से मेरे कानों में गूंजा।मैं रुका और चारो तरफ देखने लगा, तभी सामने की ओर से आवाज आई ओ हेलो मिस्टर मैं यहां हू .... इस अंजान शहर में मुझे पहचानने वाला कोई नही था ।फिर ये कोन थी जो मुझे इस तरह से
शाम का समय था... हल्की हल्की हवाओं के साथ छोटी छोटी बारिस की बूंदे पड़ रही थी। बड़ा ही सुहाना मौसम था...मैं ग्राउंड में टहल रहा था अचानक मेरे कानों में आवाज आई ।ओ मिस्टर मैंने पलट कर देखा ...Read Moreकोई दिखाई नही दिया। वही वाक्य फिर से मेरे कानों में गूंजा।मैं रुका और चारो तरफ देखने लगा, तभी सामने की ओर से आवाज आई ओ हेलो मिस्टर मैं यहां हू .... ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆इस अंजान शहर में मुझे पहचानने वाला कोई नही था ।फिर ये कोन थी जो मुझे इस तरह से
उसे देख कर मेरी सांसे थम गई,,,,,मुझे अब भी अपनी आंखों पर विश्वास नही हो रहा कि वो मेरे सामने है।लेकिन सच तो ये था,कि वो मेरे सामने ही खड़ी थी,और मैं उसे एकटक नजरो से देखे जा रहा ...Read Moreफिर एक बार ओ मिस्टर किस सोच में डूब गये।इतना सुनते ही मेरे अंदर एक खुशी की लहर दौड़ गई।मैं कुछ बोल पता कि वो मेरे पास आ कर बैठ गई, और अपने पर्स से टिकट निकाल कर अपने टिकट पर सीट नम्बर चेक
हर पल अब मैं वर्षा के बारे में सोचे जा रहा था,कि अचानक मेरे मोबाइल फोन पर एक कॉल आया,फोन को मैंने अपने पेंट की राइट साइड की पॉकेट में रख रखा था।और राइट साइड में ही वर्षा मुझसे ...Read Moreकर मेरे कंधे पर सर रख कर सोई हुई थी।और मैं नही चाहता कि वो डिस्टर्ब हो,लेकिन उस फोन की वजह से उसे जागना पड़ा।मैंने ट्रेन के शोर की वजह से फोन को वाईव्रेट मोड में कर रखा था ।लेकिन वाईव्रेट मोड की वजह से वर्षा की नींद में खलल
मुरादाबाद का नाम सुनकर अब मेरी परेशानियों ने मुझे घेर लिया था...!!लेकिन वर्षा की आँखों मे भी अब वो हया औऱ नमी पूरी तरह से साफ झलक रही थी।जो मुझसे वो छुपा रही थी..!शायद वो कुछ कहना चाह ...Read Moreहो मुझसे पर कह नही पा रही...और मैं इसी दुविधा में बैठे सोच रहा था।कि मुरादाबाद से आगे का सफर अब कैसे कटेगा उसके बिना..!.!!उसके साथ कि कमी मुझे अभी से खलने लगी।हम दोनों एक दूसरे से बाते नही कर रहे थे,लेकिन एक दूसरे
मैं वर्षा का नाम सुनकर,मेरे मन ने मुझे सावलो के कटघरे में खड़ा कर दिया,वर्षा यहां? मैं चोंकते हुए,फिर क्या था, मैं बिना देरी किये जल्दी से तैयार हो गया फिर मैंने अपनी बाइक "आर वन फाइब निकाली,और ...Read Moreको कहते हुये मैं वहाँ से शौर्य के घर मकुन्दपुर के लिए निकल गया।मैं वर्षा का ख्याल मन में लेकर काफी तेजी मकुन्दपुर की ओर बढ़ रहा था,कि रास्ते मे जैसे मधुवन चौक पहुँचा वहाँ देखा कि काफी लम्बा जाम लगा हुआ है,समय तरीबन