वो यादगार डेट - Novels
by Sweety Sharma
in
Hindi Love Stories
आखिरकार इतने दिनों के बाद , हमारा मिलने का प्लान बन ही गया । खुशी का मानो कोई ठिकाना ही ना था । कब ये रात गुजरेगी , कब दिन निकलेगा ।1-1 मिनट भी सालो जितनी बड़ी लग रही ...Read More। कभी इस करवट तो कभी उस करवट , नींद तो आने का नाम ही नहीं ले रही थी ।इन्हीं सब के चलते फिर एक मैसेज लिख ही दिया । थोड़ा समय से आ जाना इस बार ।पहले सोचा साढ़े आठ का टाइम बोल दू ,पर फिर सोचा हर बार की तरह इस बार भी आना तो लेट से ही है तो आठ
आखिरकार इतने दिनों के बाद , हमारा मिलने का प्लान बन ही गया । खुशी का मानो कोई ठिकाना ही ना था । कब ये रात गुजरेगी , कब दिन निकलेगा ।1-1 मिनट भी सालो जितनी बड़ी लग रही ...Read More। कभी इस करवट तो कभी उस करवट , नींद तो आने का नाम ही नहीं ले रही थी ।इन्हीं सब के चलते फिर एक मैसेज लिख ही दिया । थोड़ा समय से आ जाना इस बार ।पहले सोचा साढ़े आठ का टाइम बोल दू ,पर फिर सोचा हर बार की तरह इस बार भी आना तो लेट से ही है तो आठ
जैसे ही उसका मैसेज देखा कल नहीं आ पाऊंगा , बहुत थका हुआ हूं , मैनेज कर लेना !!पहले तो कुछ समझ नहीं आया क्या कहूं ? कैसे रिएक्ट करूं ? बहुत बुरा भी लग रहा था ।सवाल भी ...Read Moreरहे थे आखिर उसने ऐसा क्यूं किया ?लगभग पांच बजे का समय था , अजीब ये था इस समय भी वो ऑनलाइन था। उसे ऑनलाइन देखकर तुरन्त मैंने मैसेज करना शुरू किया। ये समझो मैं मैसेज की लाइन लगा चुकी थी! मैसेज उस तक पहुंच तो रहे थे पर वो देख नहीं रहा था। यहां कुछ बात नहीं बनी तो मैंने
ऑफ़िस जाकर मैं अपने काम में बिज़ी हो गई थी, बीच में लगभग बारह बजे अपना फोन चैक किया तो देखा उसका मैसेज आया हुआ था। और मैसेज ये था कि - "इतने सारे मैसेज" ! क्या डिलीट किया ...Read More मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था , बहुत कुछ कहना भी चाह रही थी । ऐसा मन कर रहा था उसे सुना दू अच्छे से या पुछु तो सही आखिर उसने ऐसा क्यूं किया। नहीं मिलना चाहता था तो सीधा बोल देता पर फिर खुद को कंट्रोल करते हुए मैंने बस रीपलाई में लिखा - कुछ नहीं। इसके बाद उसका कोई मैसेज
हम लगभग एक साल से एक दूसरे को जानते थे। कभी ज़्यादा बात भी नहीं होती थी, कभी एक - आद बार किसी काम के सिलसिले में बात हो गई जो हो गई वरना नाम और काम के अलावा ...Read Moreदूसरे के बारे में कुछ नहीं जानते थे। तभी मुझे पता चला था उसके घर में कोई बीमार है तो मुझे लगा कि मुझे मिल कर आना चाहिए। मैंने दिव्या से बात की और साथ चलने को कहा। दिव्या उसे और उसके परिवार को मुझसे थोड़ा ज्यादा जानती थी। दिव्या ने उससे बात की और हॉस्पिटल का पूरा पता मालूम कर लिया
हमारी बात नॉर्मल हाल - चाल से ही शुरू हुई थी। वो आज दुखी था, घर में जो बीमार थे उनकी तबीयत को लेकर। मैं उसे समझाने की कौशिश कर रही थी, सब ठीक हो जाएगा। हिम्मत रखो। वहां ...Read Moreध्यान हटाने के लिए और वो ज़्यादा ना सोचे, टेंशन ना ले इसके लिए हम नॉर्मल बात करने लगे। ना ही आज सोने की जल्दी थी और ना ही नींद आ रही थी। कुछ देर बात होने के बाद वो कहने लगा, मुझे लगता था तुम्हारे अंदर बहुत ऐटिट्यूड है पर मैं गलत था। तुम तो बिल्कुल भी ऐसी नहीं हो।मैंने