Wo yaadgaar date - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

वो यादगार डेट - 1

आखिरकार इतने दिनों के बाद , हमारा मिलने का प्लान बन ही गया । खुशी का मानो कोई ठिकाना ही ना था ।
कब ये रात गुजरेगी , कब दिन निकलेगा ।
1-1 मिनट भी सालो जितनी बड़ी लग रही थी ।
कभी इस करवट तो कभी उस करवट , नींद तो आने का नाम ही नहीं ले रही थी ।
इन्हीं सब के चलते फिर एक मैसेज लिख ही दिया ।
थोड़ा समय से आ जाना इस बार ।
पहले सोचा साढ़े आठ का टाइम बोल दू ,
पर फिर सोचा हर बार की तरह इस बार भी आना तो लेट से ही है तो आठ ही बोल देती है ।
कम से कम साढ़े आठ तक तो पहुंच ही जाओगे ।
और मैसेज में लिख दिया सुबह आठ बजे मिलेंगे , और लेट मत होना ।
वहां से भी तुरन्त जवाब आया -
यार ये तो बहुत जल्दी है आंख कैसे खूलेगी , चलो एक काम करना सात बजे फोन करके उठा देना ।
मैंने भी तुरन्त जवाब देते हुए कहा -
हां हां मैं उठा दूंगी , फोन की घंटी बस खुली रखना ।

गुड नाईट का मैसेज किया और सुबह होने का इंतज़ार करने लगी ।
पर सुबह थी कि होने का नाम ही नहीं ले रही थी ।

ऐसे में एक ही चीज जो काम आती है
प्यार भरे पुराने गाने ।
और ये वो गाने होते है ,
जो सुनते ही साथ में बिताया हर लम्हा तरोताजा होकर आंखो के सामने आ जाता है ।
और उस समय चेहरे पर मुस्कान होती है ,
दिल में खुशी होती है ।
कभी गाने का मन होता है ,
तो कभी कदम अपने आप थिरक उठते हैं ।

सब कुछ अच्छा लगने लगता है ।
और ऐसा लगता है हमारी ज़िंदगी वाकई में कितनी अच्छी है ।
और टच वुड कह कर कामना करते हैं , कहीं किसी की नजर ना लग जाए ।

गाने भी एक के बाद एक बदलते जा रहे थे ।
सुबह का इंतजार करना और मुश्किल होता जा रहा था ।
पर ये कमबख्त नींद भी आज साथ नहीं दे रही थी ।
पर सारा कसूर नींद का भी नहीं था ।
मिलने की खुशी ही इस कदर थी कि शब्दो में बयान करना मुश्किल हो रहा था और होती भी क्युं ना , आखिरकार इतने समय बाद जो मिल रहे थे ।

अब गानों से भी बोर हो चली थी ,
फिर याद आया अगले दिन शाम को तो ऑफिस की प्रेजेन्टेशन भी है ।
नींद तो वैसे भी नहीं आ रही तो सोचा वही बैठ कर बनाई जाए ।
लगभग रात के डेढ़ बज रहे थे ।
लैपटॉप खोला और काम करना शुरू कर दिया ।
सोचा आज इस नींद से भी बदला लिया जाए ।
अभी तक नींद मुझे तड़पा रही थी पर अब मेरी बारी थी ।
और जैसे ही काम करना शुरू किया तो हलकी हल्की नींद आने लगी ।
पर इस बार मुझे नहीं सोना था , उठी और मुंह धोकर आई और आकर फिर काम में लग गई
लगभग सुबह के पांच बज गए थे प्रेजेन्टेशन ख़तम करते करते पर आखिरकार काम भी पूरा हो गया था और बस तीन घंटे बाकी थे ।
खुशी भी बहुत थी बस और तीन घंटे ।
जाकर लेट गई । आंख बन्द कर ली ।
तभी याद आया ऑफिस में एक बार फिर मैसेज करके याद दिला दू की कल मैं नहीं आउंगी ।
फोन उठाया और मैसेज करने के लिए इंटरनेट ओन किया तो उसके काफी मेसेज की नोटिफिकेशंस थी ।
मैं समझ गई थी जो हाल मेरा है , उसका भी कुछ ऐसा ही हाल है ।
तुरन्त उसका मैसेज खोला और पढ़ा ,,,
मैसेज में लिखा था ..
बहुत थका हुआ हूं ,,
सुबह उठना नहीं हो पाएगा ,,
कल नहीं मिल पाएंगे ,,
मैनेज कर लेना ।

इसके बाद कुछ कहने के लिए बचा ही नहीं था ।
समझ भी नहीं आ रहा था , कैसे रिएक्ट करू ।

क्या वाकई ये इतना बड़ा कारण था कि मिलने नहीं आया जा सकता था ??
और इसी बात को सोचते हुए दिन निकल गया था
और जिस समय हमें साथ होना चाहिए था , मैं ऑफिस में थी ।

आगे क्या हुआ ,
अगर आप जानना चाहते हैं तो ज़रूर बताए ।।