Raghuvan ki kahaniya book and story is written by Sandeep Shrivastava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Raghuvan ki kahaniya is also popular in Children Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
रघुवन की कहानियां - Novels
by Sandeep Shrivastava
in
Hindi Children Stories
रघुवन में ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर मधुमक्खी के छत्ते लगे हुए थे मधुमक्खियों का दल दिन भर फूलों से रस चूसता और अपने छत्ते में जाके शहद बनाता जब शहद से छत्ता भर जाता तो वो उसको अपने दोस्त भोलू भालू को खिलाती थीं कोई और रघुवन का जानवर अगर शहद लेने जाता तो वो उसे भिन भिन कर के अपना गुस्सा दिखाती और फिर भी नहीं मानता तो उसे काट भी लेतीं यही क्रम हमेशा चलते रहता रघुपुर गांव के रहने वाले लोग अक्सर लकड़ियां बटोरने के लिए रघुवन में आ जाते थे। ऐसे ही एक
रघुवन में ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर मधुमक्खी के छत्ते लगे हुए थे मधुमक्खियों का दल दिन भर फूलों से रस चूसता और अपने छत्ते में जाके शहद बनाता जब शहद से छत्ता भर जाता तो वो ...Read Moreअपने दोस्त भोलू भालू को खिलाती थीं कोई और रघुवन का जानवर अगर शहद लेने जाता तो वो उसे भिन भिन कर के अपना गुस्सा दिखाती और फिर भी नहीं मानता तो उसे काट भी लेतीं यही क्रम हमेशा चलते रहता रघुपुर गांव के रहने वाले लोग अक्सर लकड़ियां बटोरने के लिए रघुवन में आ जाते थे। ऐसे ही एक
रघुवन में गुड्डू गैंड़ाहाथी की पहचान भोजन के दुश्मन के नाम से होती थी वो जिधर भी कुछ भी खाने योग्य देखता तो उसे ख़त्म कर देता जो भी गुड्डू खाता देखता उसको यही लगता की ...Read Moreलिए खाना बचेगा या नहीं? पर गुड्डू मस्त रहता और मजे से खाता उसको कभी भी किसी ने खाने के कारण परेशानी में नहीं देखा था।एक दिन जिफी जिराफ मजे से घास चार रहा था तभी उधर गुड्डू पहुंचा जिफी भी काया में गुड्डू से कुछ कम नहीं था। लंबा चौड़ा शरीर था उसका। भोजन उसे भी पसंद था।गुड्डू बोला आज
रघुवन में आज सुबह से ही प्रसन्नता का वातावरण था। सभी लोग आँखों में प्रसन्नता लिए किसी की प्रतीक्षा कर रहे थे। झुण्ड के झुण्ड रघुवन के बरगदी हनुमान मंदिर की और बढ़े जा रहे थे। बाबा वानर सुबह ...Read Moreही मंदिर में जाके बैठे हुए थे। कम आयु के प्राणी यह जानने को उत्सुक थे कि आज होने क्या जा रहा है? अपनी छोटी सी आयु में ऐसा उत्सव उन्होंने कभी नहीं देखा था। साहस जुटा कर, टप्पू बंदर ने बाबा वानर से पूछने का निर्णय लिया। टप्पू बाबा वानर के पास जाके बोला “बाबा, आज कौन सा त्यौहार
रघुवन का भोलू भालू शिकारियों के जाल में फंस चुका था जैसे ही शिकारियों के लगाए हुए जाल पर उसने पैर रखा एक शिकारी ने अपनी बन्दुक से रंग बिरंगा छोटा सा तीर उसके सीने में दाग ...Read Moreथोड़ी देर के बाद भोलू बेहोश हो गया। शिकारियों ने उसको जाल में कस कर बाँध दिया था। आधा दर्ज़न शिकारी थे और सबके सब बंदूकों से लैस थे। किसी भी जानवर की हिम्मत नहीं हो रही थी कि भोलू की कुछ मदद कर सके। भोलू अब शायद चिड़ियाघर जायेगा या फिर सर्कस जाएगा।शिकारियों की पिंजरे वाली गाडी रघुवन के कच्चे और
रघुवन में पक्षियों के झुण्ड आसमान में कलरव करते हुए उड़ान भरते रहते थे एक दूसरे को देखऐसे उड़ते जैसे कि कोई प्रतियोगिता चल रही हो अलग अलग प्रजाति के पक्षी एक दूसरे को देख कर ऊँची ...Read Moreउड़ाने भरते रहते थे चमेली चील और गुड्डी गिद्ध का यद्यपि कोई अपना झुण्ड तो नहीं था लेकिन दोनों की उड़ान बाकि सब से बहुत ऊँची थी दोनों जब आसमान में उड़तीं तो सारे पक्षियों से अधिक ऊंचाई पर पहुंचतीं ऐसे ही एक दिन आसमान में उड़ते उड़ते दोनों में एक प्रतियोगिता शुरू हो गई कि कौन कितना ऊपर पहुँच सकता है दोनों