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रघुवन की कहानियां - सतरंगी दवाई

रघुवन में गुड्डू गैंड़ाहाथी की पहचान भोजन के दुश्मन के नाम से होती थी | वो जिधर भी कुछ भी खाने योग्य देखता तो उसे ख़त्म कर देता| जो भी गुड्डू खाता देखता उसको यही लगता की मेरे लिए खाना बचेगा या नहीं? पर गुड्डू मस्त रहता और मजे से खाता| उसको कभी भी किसी ने खाने के कारण परेशानी में नहीं देखा था।
एक दिन जिफी जिराफ मजे से घास चार रहा था तभी उधर गुड्डू पहुंचा | जिफी भी काया में गुड्डू से कुछ कम नहीं था। लंबा चौड़ा शरीर था उसका। भोजन उसे भी पसंद था।
गुड्डू बोला "आज मैं बहुत भूखा हूँ सारी घास खा जाऊंगा "|
जिफी बोला "अरे ऐसे कैसे, मैं भी तो हूँ खाने वाला, मैं तुमसे भी ज्यादा खा सकता हूँ| "
गुड्डू बोला "तुम्हे जितना खाना हो खाओ| मैं तो अपनी मर्जी से खाऊंगा | "
जिफी बोला "अच्छा तो कर लो मुक़ाबला की कौन ज्यादा खाता है ? हो तैयार?"
गुड्डू बोला "मैं तो खाने के लिए हमेशा रहता हूँ | चलो शुरू हो जाओ, अब मुझसे बिना खाये और नहीं रहा जा रहा | "

दोनों घास खाने में लग गए | हरी हरी घास और दो भुक्कड़, घास मैदान से गायब होने लगी | ऐसा लग रहा था की रघुवन में आज घास बचेगी ही नहीं | गुड्डू अपनी मस्ती आनंद लेते हुए घास खा रहा था | जिफी उसको देखता और उससे दोगुनी घास खाता| थोड़ी देर में जिफी का पेट भर गया पर तब भी खाता रहा | गुड्डू अभी भी अपनी मस्ती में खा रहा था| जिफी का पेट दर्द करने लगा अब उसके पेट में जरा भी जगह नहीं बची थी |
गुड्डू उसकी हालत देख के बोला "बस हो गया या और मुक़ाबला करना है?"
जिफी बोला "मुक़ाबला तो हो गया पर अब मेरा क्या होगा? मेरा पेट बहुत दर्द करने लगा है, अब मैं क्या करूँ?"
गुड्डू मुस्कुराते हुए बोला "मैं एक दवाई जानता हूँ पर तुम उसे ला नहीं पाओगे| "
जिफी बोला "मुझे दवाई चाहिए बताओ किधर मिलेगी वो? मैं उसे ले कर आता हूँ| "
गुड्डू बोला "ठीक है, रघुवन के दूसरे छोर पे जो झुरमुट है उसमें एक सतरंगी फूल लगा होगा| उसे जा कर खा लो पूरा दर्द चला जायेगा| और हां जब तक सतरंगी फूल ना खा लो कुछ और ना खा लेना| "

जिफी ने सिर हिलाया और चल पड़ा सतरंगी फूल की खोज में|

बहुत देर के बाद जिफी वापिस आया, बहुत गुस्से में और गुड्डू से बोला "तुमने मुझे बेवकूफ बनाया उधर कोई सतरंगी फूल नहीं था | मैं इतनी दूर चलता हुआ गया और वापिस आया|"
गुड्डू मुस्कुराता हुआ बोला "पहले यह तो बताओ, तुम्हारा पेट दर्द कैसा है |"
जिफी बोला "अरे तुमने दवाई के चक्कर में इतना चला दिया की सारा खाना पच गया और दवाई भी नहीं मिली।"
गुड्डू बोला "मिल तो गई दवाई.... और क्या चाहिए?"
जिफी बोला " ओह्ह्ह्हह...... तो यह थी तुम्हारी सतरंगी दवाई??"
फिर दोनों जोर जोर से हंसने लगे|

फिर सबने मिलकर पार्टी करी |

नोट: यह एक काल्पनिक कथा है और मनोरंजन के उद्देश्य से लिखी गई हैं।