Pishach book and story is written by Neerja Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pishach is also popular in Horror Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पिशाच..! - Novels
by Neerja Pandey
in
Hindi Horror Stories
आज भैरवी को घर लौटने में कुछ ज्यादा ही देर हो गई थी। टैक्सी से जल्दी से उतर तेज कदमों से लगभग दौड़ती हुई लिफ्ट की ओर लपकी ।
बार बार कोशिश करने पर भी लिफ्ट की डोर नही खुली। हार कर वो सीढ़ियों की ओर बढ़ी । पर सातवी मंजिल पर अपने फ्लैट तक सीढ़ियों से जाने का सोच के ही पसीने पसीने होने लगी। लेकिन और कोई चारा ना देख भैरवी थके कदमों से धीरे धीरे सीढियां चढ़ने लगी।
आज भैरवी को घर लौटने में कुछ ज्यादा ही देर हो गई थी। टैक्सी से जल्दी से उतर तेज कदमों से लगभग दौड़ती हुई लिफ्ट की ओर लपकी ।बार बार कोशिश करने पर भी लिफ्ट की डोर नही खुली। ...Read Moreकर वो सीढ़ियों की ओर बढ़ी । पर सातवी मंजिल पर अपने फ्लैट तक सीढ़ियों से जाने का सोच के ही पसीने पसीने होने लगी। लेकिन और कोई चारा ना देख भैरवी थके कदमों से धीरे धीरे सीढियां चढ़ने लगी।अभी वो फर्स्ट फ्लोर ही पार कर पाई थी कि उसे लगा उसके
छीटें मारने के बाद भैरवी थोड़े होश में आई। वो डरी सहमी सी बस एक ही चीज बोली जा रही थी "सुनीता आंटी आप मुझे अकेला छोड़ कर मत जाओ।" लेकिन सुनीता के पांच वर्षीय बेटे की तबियत खराब ...Read Moreतो उसका घर जाना जरूरी था। उसने फैसला लिया की जब भैरवी सो जाएगी तो वो अपने फ्लैट में चली जाएगी। अपने पति को वापस भेज कर वो भैरवी को खाना खिलाकर दिलासा देने लगी की वो चिंता न करे उसे कुछ भी होगा। थोड़ी ही
सुनीता भैरवी को इस हालत में देखकर बहुत घबरा गई थी। उसने भैरवी को अंदर बिठाया और उसे शांत कराने लगी। लेकिन भैरवी चुप ही नहीं हो रही थी। वो बार बार घोष अंकल और उल्टा पैर बोले जा ...Read Moreथी। उसे शांत कराने में बहुत समय निकल गया था। सुबह होने वाली थी।अब तक भैरवी सो गई थी। सुनीता को उसका चेहरा देखकर उसपर दया आ रही थी। उसे लग रहा था की भैरवी को घोष अंकल को खोने से सदमा पहुंचा है। अब तक सुनीता को भी
"शापित किताब! इसका क्या मतलब हो सकता है।" भैरवी ने खुद से कहा। लेकिन बहुत देर सोचने के बाद भी भैरवी को नहीं पता चल सका की इस डायरी में क्या है। उसने सोचा की कोई उसके साथ मजाक ...Read Moreके लिए उसे डरा रहा है। यही सोचते हुए वो घर के काम करने में लग गई। वो दिन बिना किसी घटना के बीता रात में भैरवी सोने गई तो उसे नींद नहीं आई। काफी देर तक जागने के बाद भी भैरवी को नींद नहीं आई तो वो उस
नरेश को आज पहली तनख्वाह मिली थी। वो बड़े ही उत्साह से अपने घर की ओर चल पड़ा। वो चाहता था की कितनी जल्दी घर पहुंच जाए और अपनी पहली तनख्वाह अपनी मां के हाथों में रख दे। उसकी ...Read Moreने बहुत मेहनत करके आज उसे इस मुकाम तक पहुंचाया था। तीन साल की उम्र में उसके पिता का स्वर्गवास हो गया था। तब से उसकी मां ने जगह जगह काम करके उसे पाला पोसा था। उसे अच्छे स्कूल में पढ़ाया था। आज उसी मां की मेहनत का फल