नि.र.स. - Novels
by Rajat Singhal
in
Hindi Poems
नि.र.स.
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क्या तुम्हे पता है कि -
गर तुम कुछ ना कहो, ना लिखो,
ना ही मेरी हकीकत में हो,
तो मै नि.र.स. हो जाता हूँ।
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नि.र.स.
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क्या तुम्हे पता है कि -
गर तुम कुछ ना कहो, ना लिखो,
ना ही मेरी हकीकत में हो,
तो मै नि.र.स. हो जाता हूँ।
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नि.र.स. - एक प्यार का एहसास ---------------------------------------------------------------- ये गुमशुदा लेखनी लिखती मेरी कलम,
किसी की यादें, बातें, व मुलाकाते,
आंखों से गिर कागज पर स्याही बन,
देख नि.र.स. नि:शब्दता को शब्द दे जाती हैं।।...
नि.र.स. - यादों का सफर --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- बस ताउम्र वजह तलाशता रहा, कि कोई तो वजह होगी। र.स. से मै नि.र.स. हो गया, इसकी भी तो कोई वजह होगी।। ...Read More
नि.र.स. - एहसास हमारा, जिक्र तुम्हारा
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Dedicate to my Pen
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गर रिहाई हो इस प्यार से,
तो कलम से लिख एहसास को,
गर एहसास नि.र.स. हो जाए,
तो नि.र.स. की स्याही ना हो।
नि.र.स. - इंतजार - एक लम्बा सफर --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Dedicate to my Pen --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- नज्मे १. प्यार के सवाल - जवाब २. हवा नें दखल दी ३. मै क्या लिखूँ?४. बहुत देर तक५. मै, तुम और ...Read Moreमै खफा हूँ, बस बेवजह हूँ७. एक अंजान सफर --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- प्यार के सवाल - जवाब उसने अगर पूछ लिया, कि तुम कितना प्यार करते हो? तो हम धरा क्षितिज से, गगन धुरी तक गहरा प्यार बता देंगे।। उसने अगर पूछ लिया, कि तुम इतना क्यो प्यार करते हो ? तो हम आँखो के नम से, उसको रूह तक समाई दिखा देंगे।। उसने अगर
नि.र.स. - कलम के किरदार -------------------------------------------------------------------------------------------------- Dedicate to my pen -------------------------------------------------------------------------------------------------- नज्में १. खुद की तलाश२. अंहकार की कलम३. लिखना तो हमें आता ही नहीं४. मुझे कौन जाने५. उलझे हुए सवाल६. ये डर क्यो है?७. कलम के किरदार ८. ...Read Moreये अंधेरा मेरा है?९. मेरी कलम से कुछ मांग तो१०. ये नग्में आपके है -------------------------------------------------------------------------------------------------- खुद की तलाश खुद को बनाने बैठा था "मै"। "पर", न जाने कितने रिश्ते खो गए।। और गर रिश्तो "पर" आश लिए बैठा रहता। तो "मै" का वजूद, शायद खो सा जाता।। "मै" का स्वालंभी होना गर गलत है, तो