बेटी’ - Novels
by बेदराम प्रजापति "मनमस्त"
in
Hindi Poems
‘दो शब्दों की अपनी राहें’’
मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव ...Read Moreकी पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को मचल रहा है। आशा है-आप उसे अवश्य ही दुलार, प्यार की लोरियाँ सुनाकर, नव-जीवन बहारैं दोगे। इन्ही मंगल कामनाओं के साथ-सादर-वंदन।
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त एवं ...Read Moreकर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को मचल
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 2 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त ...Read Moreसाहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 3 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, ...Read Moreएवं साहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 4 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त ...Read Moreसाहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 5 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त ...Read Moreसाहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 6 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त ...Read Moreसाहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 7 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त ...Read Moreसाहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 8 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त ...Read Moreसाहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 9 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त ...Read Moreसाहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को
काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 10 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त ...Read Moreसाहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को