Bhoot bungla book and story is written by Shakti Singh Negi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bhoot bungla is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
भूत बंगला - Novels
by Shakti Singh Negi
in
Hindi Fiction Stories
मेरा नाम अश्वनी सिंह है। मैंने 10 साल तक अलग-अलग जगहों पर छोटे-बड़े कई काम किए। इसके बाद मैं कुछ धन एकत्र कर पाया। होटल लाइन, बैंक लाइन, टीचिंग लाइन, फ्रीलान्सिंग आदि में मैं निपुण हो गया।
किराए के घर में रहता - रहता मैं ऊब गया था। अब मैंने स्वयं का घर खरीदने की सोची। मैंने मित्रों व प्रॉपर्टी डीलर्स से पता किया तो उन्होंने मुझे कई घर दिखाए।
आखिर मुझे एक बंगला पसंद आ गया। क्योंकि यह कौड़ियों के दाम बिक रहा था। मैंने इसे खरीद लिया। मैंने घर की साफ सफाई व रेनोवेशन करवाया।
मेरा नाम अश्वनी सिंह है। मैंने 10 साल तक अलग-अलग जगहों पर छोटे-बड़े कई काम किए। इसके बाद मैं कुछ धन एकत्र कर पाया। होटल लाइन, बैंक लाइन, टीचिंग लाइन, फ्रीलान्सिंग आदि में मैं निपुण हो गया। ...Read Moreकिराए के घर में रहता - रहता मैं ऊब गया था। अब मैंने स्वयं का घर खरीदने की सोची। मैंने मित्रों व प्रॉपर्टी डीलर्स से पता किया तो उन्होंने मुझे कई घर दिखाए। आखिर मुझे एक बंगला पसंद आ गया। क्योंकि यह कौड़ियों के दाम बिक रहा था। मैंने इसे खरीद लिया। मैंने घर की साफ सफाई व रेनोवेशन करवाया। आज घर
भूत बंगला भाग 2 कुछ ही दूरी पर एक विशाल हिम मानव सा प्राणी एक जिंदे इंसान को खा रहा था। मैंने अपने कुलदेव का स्मरण किया। और तलवार एक भाले की तरह उस भयानक प्राणी पर ...Read Moreतलवार उसकी छाती में धंस गई। वो विशाल बालों से भरे शरीर वाला दानव इस वार से घबरा गया और जोर-जोर से चिंघाडने लगा। परंतु धीरे-धीरे वह तलवार की दैवी शक्ति से जमीन पर गिर गया। उसने बड़ी मुश्किल से तलवार अपने सीने से निकाली। अचानक वह प्राणी गायब हो गया। मैंने चीते की फुर्ती से छलांग लगाई और तलवार उठा ली।
दिव्य तलवार के मेरे हाथ में आते ही मेरे सब घाव अपने आप ठीक हो गए और मेरे शरीर में नया बल और उत्साह आ गया। मैंने तलवार से चुड़ैल के दोनों पैर भी काट दिए। चुड़ैल ...Read Moreसे तड़पने लगी। अचानक वह एक सुंदर स्त्री में बदल गई और रो-रो कर मुझसे दया की भीख मांगने लगी। मेरा दिल पिघल गया। मैंने तलवार नीचे कर ली। अचानक चुड़ैल उड़ कर मुझ पर झपटी। वह फिर अपने भयानक रूप में आ गई थी। उसके मुंह में बड़े-बड़े दांत दिख रहे थे। वह अपने मुंह से मेरी गर्दन पर वार करना
प्रेत एक सात्विक मनुष्य के रूप में मेरे साथ बंगले में ही रहने लगा कुछ घंटे हर रोज मेरे आदेशानुसार एक पुस्तक लिखता और शेष समय वह बंगले की साफ-सफाई, मरम्मत, बगीचे में कार्य आदि करता रहता। ...Read Moreप्रेत से मैंने प्रेतों व प्रेत लोक के बारे में कई जानकारियां प्राप्त की। कई भूत - प्रेतों की सिद्धियां भी प्राप्त की। बगीचे में प्राप्त अथाह धन के मैंने कुछ हिस्से किये। एक हिस्सा स्वयं के लिए रखा। दूसरे हिस्से से देश का वाह्य व आंतरिक रिण चुकाया। तीसरा हिस्सा देश के खजाने में जमा किया। चौथा हिस्सा ज्ञान-विज्ञान के अनुसंधान में
चमत्कारी जिन्न स्वस्तिक एक 35 वर्षीय युवक है। लेकिन वह अभी भी बेरोजगार है। छोटे-मोटे काम कर के वह अपनी जीविका चलाता है। देवभूमि उत्तराखंड के एक छोटे से पहाड़ी गांव में वह रहता है। यद्यपि ...Read Moreपोस्ट ग्रेजुएट है। वह बहुत गरीबी में अपने दिन काट रहा है। एक दिन वह अपने छोटे से खेत में हल जोत रहा था कि उसे अचानक ऐसा लगा कि हल की फाल किसी ठोस चीज से टकरा गई है। उसने ध्यान दिया तो पाया कि यह कोई छोटा सा सोने का प्राचीन दिया था। उसने दीए को साफ