Meri mitti mera khet book and story is written by ARUANDHATEE GARG मीठी in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Meri mitti mera khet is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेरी मिट्टी मेरा खेत - Novels
by ARUANDHATEE GARG मीठी
in
Hindi Moral Stories
ये कहानी है एक किसान की , उसके संघर्ष की , उसके सब्र की और उसके इम्तिहानों की .…....।
गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी में पांच एकड़ का खेत था , जो कि रामलाल का था । खेत में बैठा रामलाल ,अपनी बेटी माधुरी के साथ दोपहर का खाना खा रहा था। खाने में कुछ खास तो नहीं था , सिर्फ कुछ सूखी रोटी और आम का अचार और साथ में दो प्याज और उसके साथ में नमक था । पर उसे भी वह और उसकी बेटी बड़े चाव से , आम के पेड़ के नीचे बैठे खा रहे थे । क्योंकि दोनों ही सुबह छः बजे से खेतो में काम करने में लगे थे और अब एक बजे के करीब जब वे तो थोड़ा थक गए , तो आकर खाना खाने लगे । अब जब मेहनत जम के की हो , तो खाने में जो भी मिल जाए , तो भूखा पेट सब कुछ बड़े ही चाव से खा लेता है । भले ही रोटियों में घी लगा हो , या ना लगा हो । खैर खाना ख़त्म करने के बाद रामलाल वहीं पर , अपना गमछा बिछा कर लेट गया , और माधुरी बर्तनों को साइड में रखकर फिर से खेत के कामों में लग गई ।
ये कहानी है एक किसान की , उसके संघर्ष की , उसके सब्र की और उसके इम्तिहानों की .…....। गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी में पांच एकड़ का खेत था , जो कि रामलाल का था । खेत ...Read Moreबैठा रामलाल ,अपनी बेटी माधुरी के साथ दोपहर का खाना खा रहा था। खाने में कुछ खास तो नहीं था , सिर्फ कुछ सूखी रोटी और आम का अचार और साथ में दो प्याज और उसके साथ में नमक था । पर उसे भी वह और उसकी बेटी बड़े चाव से , आम के पेड़ के नीचे बैठे खा रहे
रामलाल और उसकी बेटी घर आ चुके थे । लेकिन उनके घर आते ही, झमाझम बारिश शुरू हो चुकी थी । बारिश लगातार एक हफ्ते तक चलती रही । पर अगर सिर्फ बारिश ही होती, तो उतना नुकसान नहीं ...Read More। लेकिन उसी एक हफ्ते के बीच, दो बार झमाझम बारिश के साथ ही , ओले भी गिरे । जिससे रामलाल और उसका पूरा परिवार चिंता में आ गया था । एक हफ्ते बाद बड़ी मुश्किल से बारिश रुकी , और उस दिन बादल छट गए थे । सुबह की धूप भी खिलखिला रही थी । पर ये नई धूप
पानी में भीगने की वजह से अब रामलाल बुखार से तप रहा था । माधुरी और सुशीला ने उसे खाट पर लिटाया और रघु डॉक्टर को बुलाने चला गया । डॉक्टर अभी नया - नया गांव की लोगों की, ...Read Moreको हल करने के लिए , भेजा गया था । रघु के साथ डॉक्टर आ गया और उसने रामलाल को चैक किया । उसने रामलाल को चैक करके सभी से कहा । मोहित ( डॉक्टर ) - क्या इन्हें कोई टेंशन.... , मेरा मतलब है कोई चिंता है क्या ? क्योंकि इन्हें बुखार सिर्फ बरसात में भीगने से नहीं हुआ
लगभग एक महीना बीत गया , तीनों को साहूकार के खेतों में काम करते हुए । पर घर में पैसों की बचत के नाम पर , सिर्फ दो सौ रुपए बचे थे । जिससे आज की महंगाई में, सिर्फ ...Read Moreमिर्च मसाले और कुछ तरकारी ( सब्जी ) आ सकती थी । खैर, तब भी वो लोग मन लगा कर लगन से , काम कर रहे थे । और साहूकार , उनकी इसी लगन और मजबूरियों के चलते , खूब काम कराए जा रहा था । पर उनका मजदूरी का पैसा , नहीं बढ़ा रहा था। एक दिन सुशीला के
जगमोहन की बात सुनकर सभी हतप्रभ थे । वहां खड़े कुछ गांव वालों ने , जगमोहन की बात का समर्थन किया । क्योकि गांवों में आज भी , लड़की की इज्जत और दहेज एक समान ही होते हैं । ...Read Moreको खानदान के और मुखिया के , इज्जत और स्वाभिमान से जोड़ा जाता है । माधुरी ये बात बहुत अच्छे से जानती थी , कि उसके पिता के लिए उनके खेत की जमीन , एक तरह से उनके बूंद - बूंद पसीने से कमाई पूंजी है । जिसे अगर उसके पिता ने खो दिया , तो ज़िन्दगी में कभी उसका