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स्पर्श - Novels
by Saroj Verma
in
Hindi Love Stories
क्या कहा तुमने ? तुम सेठ रघुवरदयाल की बेटी के संग ब्याह नहीं करोगें,अगर तुम ऐसा नहीं कर सकते तो मेरे घर में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है,रामनारायण जी अपने बेटे मधुसुदन से बोले।। बाबू जी! आप चाहते हैं कि मैं उस आधे दिमाग़ वाली लड़की से ब्याह कर लूँ तो ये कभी नहीं हो सकता,मधुसुदन बोला।। तुझे ज़रा सी बात क्यों नहीं समझ आती?तू अपनी छोटी से नौकरी में अपनी तीनों बहनों का ब्याह नहीं कर सकता और फिर विभावरी ,रघुवर दयाल जी की इकलौती बेटी है,वो चाहते हैं कि विभावरी से ब्याह करने के बाद तू उनके
क्या कहा तुमने ? तुम सेठ रघुवरदयाल की बेटी के संग ब्याह नहीं करोगें,अगर तुम ऐसा नहीं कर सकते तो मेरे घर में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है,रामनारायण जी अपने बेटे मधुसुदन से बोले।। बाबू जी! आप चाहते ...Read Moreकि मैं उस आधे दिमाग़ वाली लड़की से ब्याह कर लूँ तो ये कभी नहीं हो सकता,मधुसुदन बोला।। तुझे ज़रा सी बात क्यों नहीं समझ आती?तू अपनी छोटी से नौकरी में अपनी तीनों बहनों का ब्याह नहीं कर सकता और फिर विभावरी ,रघुवर दयाल जी की इकलौती बेटी है,वो चाहते हैं कि विभावरी से ब्याह करने के बाद तू उनके
शादी की सभी रस्में पूर्ण हो चुकीं थीं,चूँकि शादी उसी शहर में थी तो सभी बाराती अपने अपने घर वापस लौट गए थे,कुछ ख़ास मेहमान बचे थे तो उनके ठहरने का इन्तजाम रघुवरदयाल जी यानि कि जो अब मधुसुदन ...Read Moreपूज्यनीय ससुर बन चुके थे उनके बंगले पर कर दिया गया था,ये तय हुआ कि विभावरी की विदाई सुबह होगी और शाम तक वो फिर अपने पति के साथ रघुवरदयाल जी के घर लौट आएगी... सभी बचे हुए हुए बाराती उस रात रघुवरदयाल जी के बंगले पर ही ठहर गए और फिर मधुसुदन को भी उसके सुहाग कक्ष में
विभावरी जब तैयार होकर आई तो उसने लहंगे की जगह अब लाल साड़ी पहनी थी और वो हौले हौले चल रही थी,ताकि उसके सिर का पल्लू ना सरकें,फिर उसे औरतों ने कार में मधुसुदन के साथ बैठा दिया और ...Read Moreचल पड़ी,जब कार मधुसुदन के घर के द्वार पर पहुँची तो मधुसुदन की माँ और बहनों ने उसे कार से उतार कर नेगचार की विधि पूर्ण की फिर भीतर जाकर मुँहदिखाई की रस्म के बाद पास-पड़ोस की औरतें चलीं गईं,तब मधुसुदन की माँ ने विभावरी से कहा.... बहु! रसोई छूने की रस्म भी निभा दो क्योकिं शाम तक तो
मधुसुदन ने विभावरी का सिर सहलाना शुरू किया तो विभावरी सो गई,विभावरी के सो जाने के बाद मधुसुदन भी बिस्तर पर ही उसके बगल में लेट गया,सुबह होने को थी लेकिन आज विभावरी जागी नहीं थी क्योकिं शायद ये ...Read Moreशराब का असर था,उसी वक्त विभावरी ने करवट ली और मधुसुदन के सीने पर रख दिया,मधुसुदन विभावरी के कोमल स्पर्श से सिहर उठा और उसे अपनी बाँहों में भर लिया और फिर उसने उसके कोमल होठों को अपने होठों से स्पर्श कर लिया.... मधुसुदन की आतुर कामनाएं विभावरी को अपने आगोश में कसती जा रही थीं तभी विभावरी की
सुबह हुई विभावरी नहा-धोकर तैयार हो चुकी थी,मधुसुदन अभी भी अपने कमरें में सोया पड़ा था,फिर दोनों सास-बहु नाश्ते की तैयारी में लग गई,नाश्ता बन गया तब तक मधुसुदन भी तैयार होकर आ चुका था,तो शान्ती बोली.... बहु!चल सबके ...Read Moreनाश्ता लगा दें,फिर रसोई साफ करके शाम की पूजा के लिए भी तो खाना बनाना होगा,इसलिए तो मैने नाश्ता थोड़ा हैवी सा बना दिया है,ताकि दोपहर के खाने से छुट्टी मिल जाएं,वैसे भी आज तो बहुत काम है,ऊपर से हम दोनों का निर्जला उपवास,सबको नाश्ता करवाने के बाद तू थोड़ी देर आराम करले,जब काम होगा तो मैं तुझे बुला लूँगी,तुझे