Pappa Jaldi Aa Jana book and story is written by Shwet Kumar Sinha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pappa Jaldi Aa Jana is also popular in Thriller in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पप्पा जल्दी आ जाना : एक पारलौकिक सत्य कथा - Novels
by Shwet Kumar Sinha
in
Hindi Thriller
"मुझे स्कूल पहुंचा दो । जब मैं वहाँ जाकर खूब रोऊंगी, तब पापा को मुझे लेने आना ही पड़ेगा।" - पापा से मिलने की आस में सिसकती हुई पांच साल की अनोखी ने अपनी माँ से कहा ।
छोटी सी वह बच्ची यह समझने को कतई तैयार न थी कि उसके पापा उसे छोडकर हमेशा के लिए भगवान जी के पास चले गए हैं और अब लौट कर कभी वापस नही आएंगे।
अनोखी के पापा रमेश की मृत्यु कोरोना से हो गयी थी।
अनोखी ने अंतिम बार अपने पापा को करीब बीस दिन पहले देखा था, जब ऑक्सीज़न स्तर कम हो जाने के कारण उन्हें शहर के अस्पताल में भर्ती कराने ले जाना पड़ा था।
फूल–सी बच्ची अनोखी के क़हर ढाने वाले सवालों का जवाब घरवालों से देते नही बन रहा था। छोटी सी इस बच्ची की बातें घरवालो की आंखे आंसुओं से भर देने के लिए काफी थी।
"मुझे स्कूल पहुंचा दो । जब मैं वहाँ जाकर खूब रोऊंगी, तब पापा को मुझे लेने आना ही पड़ेगा।" - पापा से मिलने की आस में सिसकती हुई पांच साल की अनोखी ने अपनी माँ से कहा । छोटी ...Read Moreवह बच्ची यह समझने को कतई तैयार न थी कि उसके पापा उसे छोडकर हमेशा के लिए भगवान जी के पास चले गए हैं और अब लौट कर कभी वापस नही आएंगे। अनोखी के पापा रमेश की मृत्यु कोरोना से हो गयी थी। अनोखी ने अंतिम बार अपने पापा को करीब बीस दिन पहले देखा था, जब ऑक्सीज़न स्तर कम
...सिसकती हुई अनोखी यह कहते हुए पूजन सामग्रियों को इधर-उधर बिखेरने लगी। फिर पिता के फोटो पर टंगी माला हटाकर फोटो को अपने सीने से लगाए कमरे की तरफ जाने लगी। बड़ी मुश्किल से अपने आंसुओं को रोक रखी ...Read Moreसे अब रहा न गया और दहाड़ मार कर रोती हुई वह एक तरफ जहां अनोखी को संभालती, तो दूसरी तरफ बिखरी हुई पूजन सामग्रियों को समेटने में लगी थी।सुरेश, दिवंगत रमेश का बड़ा भाई जो वहीं पास में बैठा था। उससे यह सब देखकर रहा न गया। वह उठा और अनोखी को अपने गोद में लेकर चुप कराने का
....आधी रात में अनोखी को हवा से बातें करते देख उसकी मां पुष्पा भयभीत हो उठी। लपककर उसने बेटी को गोद में उठाया और कमरे के भीतर लेकर आ गई। फिर दरवाजे पर कुंडी लगा लिया, जिससे वह ...Read Moreबाहर न जाने पाए। अनोखी को अपने सीने से सटा पुष्पा उसे सुलाने का प्रयास करती रही। लेकिन अनोखी अभी भी किसी से बुदबुदा कर बातें कर रही थी । "अब फिर से मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाना। अच्छा, अब मुझे नींद आ रही है और मैं सो रही हूँ। तुम भी जाकर सो जाओ।" “किससे बात कर रही हो, बेटा?”
...“मम्मा, तुम दरवाजा खुला रखना। पप्पा जल्दी वापस आएंगे।”- चमक भरी निगाहों से अनोखी ने अपनी माँ की तरफ देखकर कहा। अनोखी के स्कूल से अकेले घर लौट आने पर सभी भयभीत थें। हालांकि उसके सही-सलामत घर पहुँच ...Read Moreपर सबने भगवान को शुक्रिया अदा किया। सबके मन में यही खीज थी कि स्कूल वालों ने इतनी छोटी सी बच्ची को अकेले घर कैसे जाने दिया। “मम्मा, तुम दरवाजा खुला रखना। पप्पा जल्दी आएंगे।” पुष्पा के दिमाग में अनोखी की कही बातें घूम रहीं थीं। लेकिन उसे पता था की ऐसा कभी संभव नहीं। फिर भी अपनी तसल्ली के लिए एक बार
“शायद कभी रमेश ही यह पैकेट लेकर आए होंगे और आलमीरा में रखकर बताना भूल गए होंगे । यह लड़की भी न ! आजकल बातें बनाना बहुत सीख गयी है।” खुद से ही मन ही मन बातें करते हुए ...Read Moreअनोखी को वह फ्रॉक पहना देती है । फ्रॉक पहनकर अनोखी पूरे घर में इधर-उधर इतराती हुई घूमने लगती है और सबको बताती है कि देखो पापा उसके लिए कितना सुंदर फ्रॉक लेकर आए हैं । इसी तरह से ही कुछ दिन बीते । अनोखी और उसके पापा की बातें कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं ।