अवधूत संत काशी बाबा - Novels
by बेदराम प्रजापति "मनमस्त"
in
Hindi Spiritual Stories
जब-जब मानव धरती पर,अनचाही अव्यवस्थाओं ने अपने पैर पसारे-तब-तब अज्ञात शक्तियों द्वारा उन सभी का निवारण करने संत रुप में अवतरण हुआ है। संतों का जीवन परमार्थ के लिए ही होता है। कहा भी जाता है-संत-विटप-सरिता-गिरि-धरनी,परहित हेतु,इन्हुं की करनी। ...Read Moreही महान संत अवधूत श्री काशी नाथ महाराज का अवतरण ग्वालियर जिले की धरती(बेहट) में हुआ,जिन्होंने अपने जीवन को तपमय बनाकर,संसार के जन जीवन के कष्टों का,अपनी सतत तप साधना द्वारा निवारण किया गया। हर प्राणी के प्राणों के आराध्य बनें। आश्रम की तपों भूमि तथा पर्यावरण मानव कष्टों को हरने का मुख्य स्थान रहा है। संकट के समय में जिन्होनें भी उन्हें पुकारा,अविलम्ब उनके साहारे बने। ऐसे ही अवधूत संत श्री काशी नाथ महाराज के जीवन चरित का यह काव्य संकलन आपकी चिंतन अवनी को सरसाने सादर प्रस्तुत हैं।
अवधूत संत काशी बाबा 1 श्री श्री 108 संत श्री काशी नाथ(काशी बाबा) महाराज- ...Read More बेहट ग्वालियर(म.प्र.) काव्य संकलन समर्पण- जीवन को नवीन राह देने वाले, सुधी मार्ग दर्शक एवं ज्ञानी जनों, के कर कमलों में सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति मनमस्त डबरा चिंतन का आईना- जब-जब मानव धरती पर,अनचाही अव्यवस्थाओं ने अपने पैर पसारे-तब-तब अज्ञात शक्तियों द्वारा उन सभी का निवारण करने संत रुप में अवतरण हुआ है। संतों का जीवन परमार्थ के लिए ही होता है। कहा भी जाता है-संत-विटप-सरिता-गिरि-धरनी,परहित हेतु,इन्हुं की करनी। ऐसे ही महान संत अवधूत श्री
अवधूत संत काशी बाबा 2 श्री श्री 108 संत श्री काशी नाथ(काशी बाबा) महाराज- ...Read More बेहट ग्वालियर(म.प्र.) काव्य संकलन समर्पण- जीवन को नवीन राह देने वाले, सुधी मार्ग दर्शक एवं ज्ञानी जनों, के कर कमलों में सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति मनमस्त डबरा चिंतन का आईना- जब-जब मानव धरती पर,अनचाही अव्यवस्थाओं ने अपने पैर पसारे-तब-तब अज्ञात शक्तियों द्वारा उन सभी का निवारण करने संत रुप में अवतरण हुआ है। संतों का जीवन परमार्थ के लिए ही होता है। कहा भी जाता है-संत-विटप-सरिता-गिरि-धरनी,परहित हेतु,इन्हुं की करनी। ऐसे ही महान संत अवधूत श्री
अवधूत संत काशी बाबा 3 श्री श्री 108 संत श्री काशी नाथ(काशी बाबा) महाराज- ...Read More बेहट ग्वालियर(म.प्र.) काव्य संकलन समर्पण- जीवन को नवीन राह देने वाले, सुधी मार्ग दर्शक एवं ज्ञानी जनों, के कर कमलों में सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति मनमस्त डबरा चिंतन का आईना- जब-जब मानव धरती पर,अनचाही अव्यवस्थाओं ने अपने पैर पसारे-तब-तब अज्ञात शक्तियों द्वारा उन सभी का निवारण करने संत रुप में अवतरण हुआ है। संतों का जीवन परमार्थ के लिए ही होता है। कहा भी जाता है-संत-विटप-सरिता-गिरि-धरनी,परहित हेतु,इन्हुं की करनी। ऐसे ही महान संत अवधूत श्री
अवधूत संत काशी बाबा 4 श्री श्री 108 संत श्री काशी नाथ(काशी बाबा) महाराज- ...Read More बेहट ग्वालियर(म.प्र.) काव्य संकलन समर्पण- जीवन को नवीन राह देने वाले, सुधी मार्ग दर्शक एवं ज्ञानी जनों, के कर कमलों में सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति मनमस्त डबरा चिंतन का आईना- जब-जब मानव धरती पर,अनचाही अव्यवस्थाओं ने अपने पैर पसारे-तब-तब अज्ञात शक्तियों द्वारा उन सभी का निवारण करने संत रुप में अवतरण हुआ है। संतों का जीवन परमार्थ के लिए ही होता है। कहा भी जाता है-संत-विटप-सरिता-गिरि-धरनी,परहित हेतु,इन्हुं की करनी। ऐसे ही महान संत अवधूत श्री
अवधूत संत काशी बाबा 5 श्री श्री 108 संत श्री काशी नाथ(काशी बाबा) महाराज- ...Read More बेहट ग्वालियर(म.प्र.) काव्य संकलन समर्पण- जीवन को नवीन राह देने वाले, सुधी मार्ग दर्शक एवं ज्ञानी जनों, के कर कमलों में सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति मनमस्त डबरा चिंतन का आईना- जब-जब मानव धरती पर,अनचाही अव्यवस्थाओं ने अपने पैर पसारे-तब-तब अज्ञात शक्तियों द्वारा उन सभी का निवारण करने संत रुप में अवतरण हुआ है। संतों का जीवन परमार्थ के लिए ही होता है। कहा भी जाता है-संत-विटप-सरिता-गिरि-धरनी,परहित हेतु,इन्हुं की करनी। ऐसे ही महान संत अवधूत श्री
अवधूत संत काशी बाबा 6 6.जीवनानंद पद ...Read More श्री श्री 108 संत श्री काशी नाथ(काशी बाबा) महाराज- बेहट ग्वालियर(म.प्र.) काव्य संकलन समर्पण- जीवन को नवीन राह देने वाले, सुधी मार्ग दर्शक एवं ज्ञानी जनों, के कर कमलों में सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति मनमस्त डबरा चिंतन का आईना- जब-जब मानव धरती पर,अनचाही अव्यवस्थाओं ने अपने पैर पसारे-तब-तब अज्ञात शक्तियों द्वारा उन सभी का निवारण करने संत रुप में अवतरण हुआ है। संतों का जीवन परमार्थ के लिए ही होता है। कहा भी जाता है-संत-विटप-सरिता-गिरि-धरनी,परहित हेतु,इन्हुं की करनी। ऐसे ही