जलपरी और वृक्ष मानव - Novels
by Shakti Singh Negi
in
Hindi Fiction Stories
अकरोमा की मां एक जलपरी थी। अकरोमा ने दो हजार साल तक घने जंगलों में कठोर तपस्या की। अकरोमा की जटाएं और दाढ़ी - मूंछ पैरों तक बढ़ गये। सारे शरीर पर दीमक की बांबी चढ़ गई। आखिर ब्रह्मा ...Read Moreअकरोमा राक्षस की कठोर तपस्या से खुश हो गये। ब्रह्मा जी प्रकट हुए और बोले वत्स उठो तुम्हें क्या चाहिए? अकरोमा दीपक की बांबी को तोड़ता हुआ बाहर आया और बोला पितामह मुझे तीन वरदान चाहिए।
राक्षस राज अकरोमा अकरोमा की मां एक जलपरी थी। अकरोमा ने दो हजार साल तक घने जंगलों में कठोर तपस्या की। अकरोमा की जटाएं और दाढ़ी - मूंछ पैरों तक बढ़ गये। सारे शरीर पर ...Read Moreकी बांबी चढ़ गई। आखिर ब्रह्मा जी अकरोमा राक्षस की कठोर तपस्या से खुश हो गये। ब्रह्मा जी प्रकट हुए और बोले वत्स उठो तुम्हें क्या चाहिए? अकरोमा दीपक की बांबी को तोड़ता हुआ बाहर आया और बोला पितामह मुझे तीन वरदान चाहिए।1- इच्छा मृत्यु 2-अजेय व अमर रहूं3- अकूत सैन्य बल व अकूत धनसंपदा ब्रह्माजी बोले तथास्तु और अंतर्ध्यान हो गये।अकरोमा ने पास
कुछ देर बाद वह स्त्री एक 6 फीट लंबी गोरी - चिट्टी स्त्री के साथ वहां आई. नई स्त्री के कंधे पर धनुष व पीठ पर तरकश था. उसने भी जानवरों की खाल के वस्त्र पहन रखे थे. ...Read More उसकी कमर से एक लंबी तलवार लटकी हुई थी. उसके सिर पर चिड़ियों के पंखों से बना एक सुंदर मुकुट था. सोमेश समझ गया कि यह इनकी मुखिया है. मुखिया ने सोमेश से कुछ पूछा लेकिन सोमेश की समझ में कुछ नहीं आया. अंत में मुखिया ने हाथ हिलाया और कुछ ही देर में वहां एक बूढ़ी औरत आई. बूढ़ी औरत ने