Jalpari aur Vruksh Manav - 2 in Hindi Fiction Stories by Shakti Singh Negi books and stories PDF | जलपरी और वृक्ष मानव - भाग 2

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जलपरी और वृक्ष मानव - भाग 2

कुछ देर बाद वह स्त्री एक 6 फीट लंबी गोरी - चिट्टी स्त्री के साथ वहां आई. नई स्त्री के कंधे पर धनुष व पीठ पर तरकश था. उसने भी जानवरों की खाल के वस्त्र पहन रखे थे.


उसकी कमर से एक लंबी तलवार लटकी हुई थी. उसके सिर पर चिड़ियों के पंखों से बना एक सुंदर मुकुट था. सोमेश समझ गया कि यह इनकी मुखिया है. मुखिया ने सोमेश से कुछ पूछा लेकिन सोमेश की समझ में कुछ नहीं आया. अंत में मुखिया ने हाथ हिलाया और कुछ ही देर में वहां एक बूढ़ी औरत आई.


बूढ़ी औरत ने सोमेश से अपनी भाषा में कुछ पूछा. सोमेश की समझ में कुछ नहीं आया. सोमेश ने हिंदी व इंग्लिश में कुछ वाक्य बोले.


अब वह बूढ़ी औरत भी हिंदी और इंग्लिश में बोलने लगी. सोमेश को बड़ा आश्चर्य हुआ. सोमेश ने बूढ़ी औरत के प्रश्नों के जवाब दिए. बूढ़ी औरत अब कुछ संतुष्ट नजर आई. वह बोली तुम्हारा उड़न खटोला आकाश से 3 माह पहले गिर गया था. तुम्हारा साथी तुरंत मर गया था. तुम बहुत घायल थे. आज तीन माह बाद तुम होश में आए हो. मैं उरोमा हूं जकारा लैन्ड की प्रधानमंत्री और ये हैं यहां की महारानी जकारा. मैं सारी दुनिया की भाषाएं जानती हूं.


सोमेश धीरे-धीरे पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया. धीरे-धीरे वह उस द्वीप में घूमने लगा. उसने देखा कि दीप की आबादी लगभग 10,000 है. इसमें पुरुष मात्र सौ के करीब है. बाकी सभी स्त्रियां है. सभी लोग ऊंची समतल जमीन पर झोपड़ियां बनाकर रहते हैं. वहां लगभग ₹2000 झोपड़ियां थी. सभी झोपड़ियां सुंदर और दो - तीन पंक्तियों में बनी हुई थी. द्वीप वासी सुबह 4:00 बजे उठते. ओम का जप करते और खेती किसानी करते. वहां के सभी लोग शुद्ध शाकाहारी थे. सोमेश को भी एक बड़ा सा खेत और एक सुंदर सी झोपड़ी दी गई. सोमेश धीरे-धीरे खेती करना सीख गया. रानी जकारा सोमेश के व्यक्तित्व व उसके कामों से बहुत खुश थी. एक दिन अचानक रात के समय सोमेश ने अपने पड़ोस की झोपड़ी से रोने की आवाज सुनी. सोमेश ने जाकर पूछा क्या बात है? आप लोग क्यों रो रहे हैं? अब तक सोमेश उस द्वीप की भाषा समझने और बोलने लगा था.


वो लोग पहले तो चुप रहे फिर बहुत पूछने पर बोले इस द्वीप के पश्चिमी पहाड़ों में गुफा में एक विशाल दानव रहता है. महीने में 1 दिन हर घर से क्रमानुसार एक पुरुष वहां उसका भोजन बनने के लिए भेजा जाता है. इसलिए इस टापू पर पुरुषों की संख्या कम है. आज हमारे घर की बारी है. सोमेश बोला चिंता मत करो मैं तुम्हारी जगह जाऊंगा. आखिर अगले माह मेरा नंबर तो आना ही है. पहले तो पड़ोसी ना-नकुर करते रहे. आखिर वे मान गये. सोमेश पश्चिम दिशा की ओर अपने घोड़े पर बैठकर चल दिया.


कुछ घंटों के लंबे सफर के बाद वह वहां पहुंचा तो उसने देखा कि पहाड़ों की एक विशाल गुफा के सामने एक 50 फीट लंबा - चौड़ा भयानक दैत्य बैठा हुआ है. वो दैत्य भयानक आवाज में बोला - तुम बहुत देर बाद आए हो. मैं तो आज पूरे द्वीप के लोगों को मार देता, अगर तुम थोड़ी और देर करते. सोमेश समझ गया कि ये वही दैत्य है. सोमेश ने अपनी जेब से लेजर पिस्टल निकाली और दैत्य के पैरों पर लेजर किरणों से वार किया. दैत्य एक तरफ हट गया. लेजर किरणों से एक बड़ा पेड़ कट कर गिर गया.


दैत्य ने एक बड़ी चट्टान उठाकर सोमेश पर मारी.सोमेश ने एक और हट कर दैत्य का वार बचाया. इसी तरह बहुत देर तक लड़ाई चलती रही. अचानक सोमेश की लेजर किरणों से दैत्य का एक सींग कट कर गिर गया. दैत्य घबरा गया व बोला ब्रह्मा जी ने कहा था कि जो व्यक्ति तुम्हारे दोनों सींग काट देगा, उसी के हाथों तुम्हारी मृत्यु होगी. तुम मुझे माफ कर दो मैं तुम्हारा गुलाम बन कर रहूंगा.


सोमेश बोला ठीक है, आज से तुम्हे शाकाहारी बनना पड़ेगा. दैत्य ने डर कर उसकी बात मान ली और बोला मैं तुम्हारे हर आदेश का पालन करूंगा. मुझे मत मारो.