Antim Safar book and story is written by Parveen Negi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Antim Safar is also popular in Anything in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अंतिम सफर - Novels
by Parveen Negi
in
Hindi Anything
अंतिम सफर,,,,,,, यह बात तब की है ,जब मैं एक बार ऊंचे पहाड़ों की तरफ घूमने निकल गया था,, मौसम एकदम खुशनुमा था,, धूप खिली हुई थी ,,महीना भी मार्च के शुरुआत का था, पहाड़ों से बहने वाले छोटे झरने बेहद खूबसूरत लग रहे थे ,, , पर जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था ,,मुझे ऐसा लग रहा था,, जैसे कोई धुंध मेरा पीछा कर रही हो ,,और मैं पीछे मुड़कर देखता तो गहरी घाटियों में धुंध तैरती मुझे नजर आ रही थी,,,, पर वह तो मुझसे बहुत दूर थी ,,,फिर चलते ही मुझे ऐसा क्यों आभास हो रहा
अंतिम सफर,,,,,,, यह बात तब की है ,जब मैं एक बार ऊंचे पहाड़ों की तरफ घूमने निकल गया था,, मौसम एकदम खुशनुमा था,, धूप खिली हुई थी ,,महीना भी मार्च के शुरुआत का था, पहाड़ों से बहने वाले छोटे ...Read Moreबेहद खूबसूरत लग रहे थे ,, , पर जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था ,,मुझे ऐसा लग रहा था,, जैसे कोई धुंध मेरा पीछा कर रही हो ,,और मैं पीछे मुड़कर देखता तो गहरी घाटियों में धुंध तैरती मुझे नजर आ रही थी,,,, पर वह तो मुझसे बहुत दूर थी ,,,फिर चलते ही मुझे ऐसा क्यों आभास हो रहा
कहानी का भाग 2 मैं अपने दिमाग में एक बेहद गहरी और डरावनी तस्वीर को लेकर घर आ पहुंचा था । और घर के आंगन पर खड़ा होकर उसे पहाड़ की तरफ देखने लगा था ।जहां कुछ देर पहले ...Read Moreचढ़ने की कोशिश कर रहा था ।अपने घर के दरवाजे से दूर वहां देखना सुकून भरा था। कुछ भी तो नहीं है वहां। फिर क्यों बेवजह में अपने दिमाग में इतनी परेशानी ले रहा हूं।। शायद ऊपर चढ़ते वक्त वाकई में मेरी तबीयत खराब हो गई हो ।और मुझे यह सब कुछ नजर का धोखा महसूस हो रहा हो। आज
कहानी का भाग 3 मेरे साथ दिन में क्या घटा था ।मैं इस वक्त सब भूल चुका था और अपने काम में व्यस्त हो गया था। फिर वही गांव के लोग, दोस्त उनके साथ बातचीत में इतना व्यस्त हो ...Read Moreकी उस पहाड़ की तरह चढ़ते वक्त मेरे साथ क्या हुआ था ।दिमाग से निकल चुका था। सच बताऊं तो यह हादसा इतनी बुरी तरह से दिमाग से निकला था कि, मैं किसी के सामने भी इस बात की चर्चा नहीं कर पाया था। एकदम जैसे मैं इस बात और हादसे को भूल गया हूं। शाम होते ही सभी लोग
मैं रात के समय सोने की कोशिश कर रहा था कमरे की जलती लाइट के साथ मुझे अब नींद नहीं आ रही थी मेरा ध्यान छत की तरफ ही था और मैं फिर से उस पहाड़ी पर हुए घटनाक्रम ...Read Moreबारे में सोचने लगा था। क्या था वहां ,कुछ तो था ,और उस समय से ही मुझे हर चीज अजीब सी महसूस हो रही हैंज़ मैं खुद को स्थिर नहीं कर पा रहा हुँ। मैं घर की छत पर बिना पलक झपकाए देख रहा था और तभी मुझे महसूस होने लगा जैसे मेरी छत का किस्सा गायब होने लगा हो,,,
भाग 5 मैं रजाई ओढ़ कर सोया हुआ था और मुझे खिड़की पर जो गर्म सांस का एहसास हुआ था उसका एहसास होने लगा था पर अब वह एहसास बेहद डरावना ना होकर सुखद लग रहा था। मुझे ऐसा ...Read Moreलगा था कि रजाई का वजन खत्म हो चुका हो और मैं उस मीठे अहसास में फिर से सो गया। अपने उठने के वक्त 7:00 बजे के करीब मेरी आंख खुली थी मुझे बेहद तेज प्यास लगी हुई थी गला ऐसे सूखा हुआ था ,जैसे मैं कहीं तपती रेत में से चलकर आया हूं मेरा बदन पूरी तरह से पसीने