जादुई तोहफ़ा - Novels
by जॉन हेम्ब्रम
in
Hindi Short Stories
गांव के बिलकुल बीचों बीच प्रतीक का घर था। जब भी कोई दूर के रिश्तेदार आते "कितना बड़ा हो गया है" कहते। ये उनके सबसे पसंदीदा वाक्यों में से एक था, पर प्रदीप को इन सब से चिढ़ थी, क्योंकि कहने तक तो ठीक था लेकिन वे उसके गालों को भी प्यार से खींचते हुए कहते थे। उसकी मां उनसे हमेशा सवाल करती
"आपको घर ढूंढने में ज्यादा परेशानी तो नहीं हुई?"
और वो बड़े प्यार से कहते "नहीं! नहीं! हमें कोई दिक्कत नहीं हुई" जबकि वे अंदर ही अंदर उन्हे ताने देकर कहते "उन्हे अपना घर कहीं और बनाने की जगह नहीं मिली थी क्या?"
प्रदीप के गांव में उसके बहुत सारे दोस्त थे, उनकी एक बड़ी टोली भी थी को रोज अपने एक अड्डे पर नज़र आते जो कि इमली का एक बहुत बड़ा पेड़ था। अब प्रतीक की उम्र बढ़ रही थी और साथ ही साथ अक्ल भी। जब भी उसे पता चलता की कोई रिश्तेदार आने वाला है वो अपने दोस्तों से मिलने उसके अड्डे पर चला जाता। क्योंकि वो जानता था की उसके साथ क्या हो सकता है।
एक गांव के बिलकुल बीचों बीच प्रतीक का घर था। जब भी कोई दूर के रिश्तेदार आते "कितना बड़ा हो गया है" कहते। ये उनके सबसे पसंदीदा वाक्यों में से एक था, पर प्रदीप को इन सब से चिढ़ ...Read Moreक्योंकि कहने तक तो ठीक था लेकिन वे उसके गालों को भी प्यार से खींचते हुए कहते थे। उसकी मां उनसे हमेशा सवाल करती "आपको घर ढूंढने में ज्यादा परेशानी तो नहीं हुई?" और वो बड़े प्यार से कहते "नहीं! नहीं! हमें कोई दिक्कत नहीं हुई" जबकि वे अंदर ही अंदर उन्हे ताने देकर कहते "उन्हे अपना घर कहीं और
अगले दिन जैसे ही वह सुबह उठा,फौरन अपने तोते के पास चला गया। तोता पहले से ठीक नजर आ रहा था। फिर नाश्ता वगैरा करके वो अपनी टोली से मिलने चला गया। रोज की तरह सब वहां मौजूद थे। ...Read Moreआज क्या करना है?" अमन ने उससे पूछा।"कल की योजना को पूरी करेंगे। आज जब मैं यहां आ रहा था तो मुझे वो खुसट् माली मिला था शायद वो कोई चीज लाने पास के किसी नगर में गया है और ये एक अच्छा मौका हो सकता है हमारे लिए हम ढेर सारे आम तोड़ सकते है।""और मैं कुछ आम अपनी
अगले दिन वह रोज के समय से पहले उठ गया और उससे मिलने की योजना बनाने लगा। बिना किसी को बताए वो सुबह सुबह ही नदी किनारे उससे मिलने चला गया उसे लगा की वो वहां जरूर होगा लेकिन ...Read Moreभी वो लड़का वहां नहीं था। ऐसे ही कुछ दिन वो रोज सुबह जाता रहा लेकिन उसे वो वहां नहीं मिला। एक दिन जब वो ऐसे ही नदी किनारे टहल रहा था तो उसने एक और बार कोशिश करने की सोची और ये सोचकर पेड़ पर चढ़ गया। उस दिन वो लड़का बगीचे में ही था और उसे वो दिख
अगले दिन फिर सुबह जल्दी उठकर उसने अनुज से मिलने का सोचा। और वो निकलने ही वाला होता है की उसकी मां उसे रोक लेती है। "आज राशन मिलने वाला है इसलिए में पड़ोसियों के साथ जा रही हूं,तुम्हे ...Read Moreछोटी बहन का ध्यान रखना है।""पर मुझे कुछ काम था।""पर वर कुछ नहीं देखो तुम्हारे पिताजी काम पर गए है और राशन लेना भी जरूरी है काम तो होते ही रहेंगे।" और इतना कहकर उसकी मां पड़ोसी के घर चली गई। उधर अनुज आज फिर वहीं उसका इंतजार कर रहा था। एक दिन में ही दोनो की अच्छी दोस्ती हो
अनुज पूरी शाम उस ताबीज़ के बारे में सोचता रहा। उसका मन इधर से उधर घूमता ही रहा।"क्या उसने सिर्फ मज़ाक में कहा था,या वाकई ऐसा कुछ है?" "क्या बात है छोटे मालिक?" उसे परेशान देखा उसके माली ने ...Read Moreपूछा। वही माली जो उस पेड़ को अपनी संपत्ति मानता था।"क्या तुम्हें पता है की आखिर बचपन में मेरे साथ क्या हुआ था?""आप किस बारे में बात कर रहे है?" "तुम्हे पता है, मैं क्या कह रहा हूं।" माली कुछ देर चुप रहा। फिर बोला —"आप वो आम का पेड़ देख रहे है।" उसने आम के पेड़ की तरफ इशारा