Medini book and story is written by Annapurna Bajpai in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Medini is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेदिनी - Novels
by Annapurna Bajpai
in
Hindi Fiction Stories
चूल्हे को फुँकनी से फूँक कर जलाती हुई सिया अपने पल्लू से बार - बार आँखों को पोंछती जाती थी , धुँए की जलन से उसकी आँखें बराबर बह रहीं थीं, शायद लकड़ी गीली थी। बार बार फूँकने से उसे खाँसी आ गयी लेकिन वह अनवरत अपने काम में लगी रही । काहे कि दस भूखे पेट उसका इंतजार कर रहे थे। सास, ससुर , उसका पति जगतराम , उसकी दादी सास, उसके तीन बच्चे , उसकी ननद और उनका बेटा।
अँधेरा भी गहरा आया था। यूँ तो गाँव मे बिजली थी पर उनके घर पर नहीं थी क्योंकि पैसा कौन दे ! कमाने वाला एक अकेला मरद जगत राम खाने वाले इतने सारे ।
एक बड़ी सी कुप्पी नुमा लालटेन जला कर बीच आँगन में रखी हुई थी अगल बगल उसके बच्चे पढ़ने के लिए बैठे थे। दो बेटे बड़े थे एक बिटिया सबसे छोटी थी। वह अभी चलना सीख रही थी।
जगत राम शहर चला गया था मजदूरी करने। शाम को जब वह घर आता तो सबके लिए कुछ न कुछ लाता अवश्य । सिया के लिए लाता तो छुपाकर देता । कहीं घर की दो बेढब महिलाएँ देख लें तो बाबा रे ! लंका दहन समझो !
मेदिनीचूल्हे को फुँकनी से फूँक कर जलाती हुई सिया अपने पल्लू से बार - बार आँखों को पोंछती जाती थी , धुँए की जलन से उसकी आँखें बराबर बह रहीं थीं, शायद लकड़ी गीली थी। बार बार फूँकने से ...Read Moreखाँसी आ गयी लेकिन वह अनवरत अपने काम में लगी रही । काहे कि दस भूखे पेट उसका इंतजार कर रहे थे। सास, ससुर , उसका पति जगतराम , उसकी दादी सास, उसके तीन बच्चे , उसकी ननद और उनका बेटा। अँधेरा भी गहरा आया था। यूँ तो गाँव मे बिजली थी पर उनके घर पर नहीं थी क्योंकि पैसा