Secret of universe book and story is written by Rajveer Kotadiya । रावण । in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Secret of universe is also popular in Science in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
Secret of universe - Novels
by Rajveer Kotadiya । रावण ।
in
Hindi Science
बिग बैंग थ्योरी
जार्ज लेमैत्रे (1927) ने ही ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के संदर्भ में एक सिद्धांत का प्रतिपादन किया था जिसे बिग बैंग सिद्धांत कहा जाता है. बिग बैंग सिद्धांत के द्वारा ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति और ब्रह्मांड के विस्तार की परिकल्पना प्रमाणित है.
अतीत में, ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड सघन और गर्म था. पुरा ब्रह्मांड एक छोटे से बिंदु के अन्दर समाहित था और इसी से पूरे ब्रह्मांड का उदभव माना जाता है. ब्रह्मांड के प्रारंभिक विस्तार के बाद, ब्रहमांड के ज़मने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई. जिसकी वजह से सुब-एटोमिक कणों की रचना हुई. ये सब-एटोमिक कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बने हुए थे. कणों की बहुलता के कारण ही बाद में हाइड्रोजन का निर्माण हुआ और बाद में हीलियम और लिथियम का निर्माण भी संभव हुआ. इन्ही कणों के बाद में संगठित होने की वजह से तारों और ग्रहों का निर्माण संभव हुआ. इनमें मौजूद भारी पदार्थों का इन तारों या सुपरनोवा के अन्दर विश्लेषण हुआ और इनके बनने में भी इन प्रक्रियायों की भारी भूमिका रही. इसलिए, बिग बैंग सिद्धांत ब्रह्मांड की प्रारंभिक स्थिति की व्याख्या नहीं करता, लेकिन इसके यह ब्रह्मांड के सामान्य विकास का वर्णन करता है.
बिग बैंग थ्योरीजार्ज लेमैत्रे (1927) ने ही ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के संदर्भ में एक सिद्धांत का प्रतिपादन किया था जिसे बिग बैंग सिद्धांत कहा जाता है. बिग बैंग सिद्धांत के द्वारा ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति और ब्रह्मांड के विस्तार ...Read Moreपरिकल्पना प्रमाणित है.अतीत में, ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड सघन और गर्म था. पुरा ब्रह्मांड एक छोटे से बिंदु के अन्दर समाहित था और इसी से पूरे ब्रह्मांड का उदभव माना जाता है. ब्रह्मांड के प्रारंभिक विस्तार के बाद, ब्रहमांड के ज़मने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई. जिसकी वजह से सुब-एटोमिक कणों की रचना हुई. ये सब-एटोमिक कण इलेक्ट्रॉन,
ब्रह्मांड उत्पत्ति का सिद्धांतब्रह्म, ब्रह्मांड और आत्मा - यह तीन तत्व हैं। ब्रह्म शब्द ब्रह् धातु से बना है, जिसका अर्थ 'बढ़ना' या 'फूट पड़ना' होता है। ब्रह्म वह है, जिसमें से सम्पूर्ण सृष्टि और आत्माओं की उत्पत्ति हुई ...Read Moreया जिसमें से ये फूट पड़े हैं। विश्व की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश का कारण ब्रह्म है।- उपनिषदजिस तरह मकड़ी स्वयं, स्वयं में से जाले को बुनती है, उसी प्रकार ब्रह्म भी स्वयं में से स्वयं ही विश्व का निर्माण करता है। ऐसा भी कह सकते हैं कि नृत्यकार और नृत्य में कोई फर्क नहीं। जब तक नृत्यकार का नृत्य
त्रिगुणी प्रकृति परम तत्व से प्रकृति में तीन गुणों की उत्पत्ति हुई सत्व, रज और तम। ये गुण सूक्ष्म तथा अतिंद्रिय हैं, इसलिए इनका प्रत्यक्ष नहीं होता। इन तीन गुणों के भी गुण हैं- प्रकाशत्व, चलत्व, लघुत्व, गुरुत्व आदि ...Read Moreगुणों के भी गुण हैं, अत: स्पष्ट है कि यह गुण द्रव्यरूप हैं। द्रव्य अर्थात पदार्थ। पदार्थ अर्थात जो दिखाई दे रहा है और जिसे किसी भी प्रकार के सूक्ष्म यंत्र से देखा जा सकता है, महसूस किया जा सकता है या अनुभूत किया जा सकता है। ये ब्रहांड या प्रकृति के निर्माणक तत्व हैं। प्रकृति से ही महत् उत्पन्न
महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि मनुष्य स्वभावतः जिज्ञासु है तथा उसकी सबसे बड़ी इच्छा ब्रह्माण्ड की व्याख्या करना है। ब्रह्माण्ड का विकास इस प्रकार से हुआ है कि समय के साथ इसमें ऐसे जीव (मनुष्य) उपजे ...Read Moreअपनी उत्पत्ति के रहस्य को जानने में समर्थ थे। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कब और कैसे हुई? क्या यह सदैव से अस्तित्व में था या इसका कोई प्रारम्भ भी था? इसकी उत्पत्ति से पूर्व क्या था? क्या इसका कोई जन्मदाता भी है? यदि ब्रह्माण्ड का कोई जन्मदाता है तो पहले ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ या उसके जन्मदाता का? यदि पहले ब्रह्माण्ड
दो प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिकों प्लेटों और अरस्तु ने ब्रह्मांड की प्रकृति से सम्बन्धित ऐसे विचार रखें जो 2000 से भी अधिक वर्षों तक कायम रहें। अरस्तु ने यह सिद्धांत दिया था कि पृथ्वी विश्व (ब्रह्मांड) के केंद्र में स्थिर ...Read Moreतथा सूर्य, चन्द्रमा, ग्रह और तारे वृत्ताकार कक्षाओं में पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं। अरस्तु के इसी विचार को आधार बनाकर दूसरी शताब्दी में टॉलेमी द्वारा ब्रह्मांड का भूकेंद्री मॉडल प्रस्तुत किया गया। हालाँकि प्राचीन भारत के महान वैज्ञानिक आर्यभट ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और खगोल स्थिर है। उनकी यह