Jhopadi book and story is written by Shakti in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jhopadi is also popular in Adventure Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
झोपड़ी - Novels
by Shakti
in
Hindi Adventure Stories
मैं एक महानगर में अच्छी - खासी सर्विस करता हूं। गांव में बहुत पहले हम सब कुछ बेच कर शहर शिफ्ट हो गए थे। मेरे पास ठीक-ठाक पैसा था। लेकिन मेरा स्वास्थ्य कुछ कमजोर रहता था। इसलिए डॉक्टर की सलाह पर मैं कुछ दिन अपने गांव शुद्ध हवा में रहने के लिए वापस आ गया। गांव में थोड़ा दूर के रिश्ते के मेरे एक दादाजी रहते थे। वह बहुत गरीब थे। वह एक छोटी सी झोपड़ी में रहते थे। हालांकि वह गरीब जरूर थे, लेकिन उन्होंने कुछ बकरियां पाल रखी थी और कुछ छोटे - मोटे खेत उनके पास थे। मैं दादाजी के घर उनसे मिलने गया। मैंने दुआ सलाम की। दादाजी ने कहा आओ बेटा बैठो क्या बात है? बहुत दिनों बाद आए हो। तुम्हें गांव की याद तो आती ही होगी। हालांकि तुमने यहां का सब कुछ बेच दिया है। मैंने कहा दादा जी यह तो ऊपर वाले की कृपा है। आज मैं शहर में अच्छी - खासी प्रॉपर्टी का मालिक हूं और अच्छा खासा पैसा भी कमा रहा हूं। दादा जी हंस कर बोले फिर गांव में वापस लौट कर क्यों आए भाई। मैंने कहा दादा जी यह तो कुदरत का खेल है। डॉक्टर ने कहा तुम्हारा शरीर थोड़ा कमजोर हो गया है। किसी हिल स्टेशन पर कुछ महीने रहो। तो मैंने सोचा मेरा गांव क्या किसी हिल स्टेशन से कम है। कुछ महीने मैं यही रहूंगा। आप मेरे रहने का और खाने का जुगाड़ कहीं पर फिट कर दें। इसके लिए मैं थोड़ा बहुत खर्च भी कर दूंगा। दादाजी मुस्कराए और बोले बेटा इतनी बड़ी झोपड़ी है। एक कोने पर मैं रह लूंगा। एक कोने पर तुम रह लेना।
दादाजी की झोपड़ी मैं एक महानगर में अच्छी - खासी सर्विस करता हूं। गांव में बहुत पहले हम सब कुछ बेच कर शहर शिफ्ट हो गए थे। मेरे पास ठीक-ठाक पैसा था। लेकिन मेरा स्वास्थ्य कुछ कमजोर रहता था। ...Read Moreडॉक्टर की सलाह पर मैं कुछ दिन अपने गांव शुद्ध हवा में रहने के लिए वापस आ गया। गांव में थोड़ा दूर के रिश्ते के मेरे एक दादाजी रहते थे। वह बहुत गरीब थे। वह एक छोटी सी झोपड़ी में रहते थे। हालांकि वह गरीब जरूर थे, लेकिन उन्होंने कुछ बकरियां पाल रखी थी और कुछ छोटे - मोटे खेत
गांव में रहते रहते मुझे काफी समय बीत गया। दादाजी मुझे नई-नई एक्सरसाइज सिखाते। जीवन जीने का नया बढ़िया तरीका सिखाते। जड़ी - बूटियों से उन्होने मेरे शरीर को स्वस्थ किया। धीरे-धीरे मेरा शरीर हष्ट -पुष्ट और बलवान होने ...Read Moreदादा जी के घर में एक अच्छी नस्ल की गाय थी। उसका दूध मैं रोज एक -एक किलो पीने लगा। इससे मेरा शरीर बहुत जल्दी विकसित और सुंदर होने लगा। कुछ ही महीनों में मेरा शरीर किसी बलवान पहलवान की तरह हो गया। मेरी छातियां बाहर को आ गई। हाथ की मांसपेशियां तगड़ी हो गई। पैर भी तगड़े हो गये।
हमारे देश में जंगल बहुत तेजी से खत्म हो रहे हैं और अनाज की भी थोड़ा बहुत कमी है। इसलिए मैंने सोचा कि कहीं बहुत ज्यादा बंजर जमीन मिल जाए तो उसको ठीक करके मैं वहां हरियाली उगाऊंगा और ...Read Moreही पशुपालन और खेती भी करूंगा। भगवान की कृपा से मुझे एक जगह बहुत सस्ते में बहुत ही ज्यादा बंजर जमीन मिल गई। मैंने वह जमीन खरीद ली। उस जमीन को मैंने समतल किया और जमीन के चारों और बाउंड्री करवाई। उस जमीन का मैंने जैविक उपचार कराया। धीरे-धीरे वो जमीन शस्य श्यामला हो गई और वहां हरियाली छा गई।
मेरा सब कुछ ठीक चल रहा था। दादाजी भी स्वस्थ और हट्टे- कट्टे थे। अभी लगता था 20- 25 साल और उन्हें यमराज भी नहीं हिला सकता है। मेरे गांव वाले भी सभी खुश और प्रसन्न थे। सब अपने ...Read Moreको अच्छे ढंग से निपटाते और सुबह- शाम योगासन और भगवान की आराधना करते। सात्विक रूप में गांव की दिनचर्या चल रही थी। सभी गांव वाली हट्टे -कट्टे और निरोग थे। तभी एक समस्या उत्पन्न हो गई। दूर के कई गांवों में बिना बारिश के सूखा पड़ गया और वहां लोग मरने लगे। कोई इधर भागा, कोई उधर भागा। शरणार्थियों
एक बार मैं शहर की झुग्गी- झोपड़ियों में घूम रहा था और झुग्गी -झोपड़ी वालों को खाना, वस्त्र, कंबल आदि प्रदान कर रहा था। तभी मुझे एक बहुत बूढ़ी औरत दिखाई दी। उसके साथ उसका 6 साल साल का ...Read Moreपोता भी था। दोनों की शक्ल मुझे जानी पहचानी सी लगी। मैंने उन्हें भी खाना, कंबल और वस्त्र दिए। लेकिन उन्होंने नहीं लिए। मैं सोचने लग गया यह तो किसी बड़े घर के दिखाई देते हैं। मैंने उनसे पूछताछ करनी शुरू की। उन्होंने बड़े प्रेम से मुझे चाय, नाश्ता आज कराया। बूढ़ी औरत ने कहा बेटा हम किसी से कुछ