Dil na Janeya book and story is written by दुःखी आत्मा जलीभूनी in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dil na Janeya is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दिल ना जानेया - Novels
by दुःखी आत्मा जलीभूनी
in
Hindi Love Stories
दिल्ली की सड़कों पर नील अवस्थी गुस्से में गाड़ी चलाए जा रहा था। उसके कानों में चारु की कही बातें गूंज रही थी "नामर्द हो तुम! तुम जैसे इंसान के साथ शादी करना अपने खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारना होगा। मैं हमेशा सोचती थी कि आखिर तुम अपने काम में इतना बिजी क्यों रहते हो? किस बात का जुनून है तुम्हें? लेकिन नहीं! तुम्हें तो कुछ महसूस ही नहीं होता, मेरे छूने से भी नहीं। मैं यह शादी नहीं कर सकती। तुम जैसा इंसान मुझे कभी खुश नहीं रख पाएगा, बच्चे तो दूर की बात है।"
अपना यह अपमान नील से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने गुस्से में चारु को एक थप्पड़ लगा दिया। "तुम जैसी लड़की के साथ मैं भी कोई रिश्ता नहीं जोड़ना चाहता। अपने लिए कोई ऐसा इंसान ढूंढो जो तुम्हारी गर्मी शांत कर सके।"
जो नील कभी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं करता था, कोर्ट रूम में भी अपनी मर्यादा उसने हमेशा बनाए रखी आज चारु की इन बातों ने उसे अंदर तक जला दिया था। इतना बड़ा अपमान वो कैसे कर सकती थी? आखिर एक महीने बाद उन दोनों की शादी होने वाली थी। सबको शादी की खबर थी और आज ऐसे ही नील सारे रिश्ते खत्म कर चला आया। वैसे खत्म तो सब कुछ चारु ने हीं किया था।
नील का फोन बार बार बज रहा था लेकिन वो अपने गुस्से में इतना पागल हो गया था कि उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था, सिवाय चारु के उन अपमान भरे शब्द के। अपने जीवन में सफल होने के बावजूद, हर तरह के सुख सुविधा जुटाने के बावजूद आज चारु ने उस पर नामर्द होने का ठप्पा लगा दिया।
दिल ना जानेया (प्रोमो) दिल्ली की सड़कों पर नील अवस्थी गुस्से में गाड़ी चलाए जा रहा था। उसके कानों में चारु की कही बातें गूंज रही थी "नामर्द हो तुम! तुम जैसे इंसान के साथ शादी करना अपने खुद ...Read Moreपैरों पर कुल्हाड़ी मारना होगा। मैं हमेशा सोचती थी कि आखिर तुम अपने काम में इतना बिजी क्यों रहते हो? किस बात का जुनून है तुम्हें? लेकिन नहीं! तुम्हें तो कुछ महसूस ही नहीं होता, मेरे छूने से भी नहीं। मैं यह शादी नहीं कर सकती। तुम जैसा इंसान मुझे कभी खुश नहीं रख पाएगा, बच्चे तो दूर की बात
अवस्थी हाउस, दिल्ली सुबह के 8:00 बज रहे थे। घर के मुखिया नवीन अवस्थी इस वक्त पूजा करने में लगे हुए थे। पूजा के मंत्र पढ़ते हुए उन्होंने चारों तरफ नजर दौड़ाई जिसे उनकी पत्नी शालिनी ने समझ लिया ...Read Moreवह सीधे अपने बेटे के कमरे में गई जहां उनका बेटा स्वप्निल इस वक्त घोड़े बेचकर पेट के बल आराम से तकिए पर पैर रखे सोया हुआ था। शालिनी जी बिस्तर पर बैठ कर उसके बाल सहलाते हुए बोली "उठ जा बच्चा! तेरे पापा अभी पूजा कर रहे हैं और तुझे ढूंढ रहे हैं। इससे पहले कि उनकी आरती और