Aadhi najm ka pura geet book and story is written by Ranju Bhatia in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aadhi najm ka pura geet is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आधी नज्म का पूरा गीत - Novels
by Ranju Bhatia
in
Hindi Fiction Stories
अमृता इमरोज, प्यार के दो नाम, जिनके बारे में तब जाना ,जब मेरी उम्र सपने बुनने की शुरू हुई थी, और प्यार का वह हल्का एहसास क्या है अभी जाना नहीं था। बहुत याद नहीं आता कि कब किताबें पढने की लत लगी पर जो धुंधला सा याद है कि घर में माँ को पढने का बहुत शौक था और उनकी ‘मिनी लाइब्रेरी’ में दर्जनों उपन्यास भरे हुए थे। माँ तो बहुत छोटी उम्र में छोड़ कर चली गयी और सौगात में जैसे वह अपनी पढने की आदत मुझे दे गयी। यूँ ही एक दिन हाथ में ‘अमृता प्रीतम की रसीदी टिकट’ हाथ में आई और उसको पढना शुरू कर दिया।
अमृता इमरोज, प्यार के दो नाम, जिनके बारे में तब जाना ,जब मेरी उम्र सपने बुनने की शुरू हुई थी, और प्यार का वह हल्का एहसास क्या है अभी जाना नहीं था। बहुत याद नहीं आता कि कब किताबें ...Read Moreकी लत लगी पर जो धुंधला सा याद है कि घर में माँ को पढने का बहुत शौक था और उनकी ‘मिनी लाइब्रेरी’ में दर्जनों उपन्यास भरे हुए थे। माँ तो बहुत छोटी उम्र में छोड़ कर चली गयी और सौगात में जैसे वह अपनी पढने की आदत मुझे दे गयी। यूँ ही एक दिन हाथ में ‘अमृता प्रीतम की रसीदी टिकट’ हाथ में आई और उसको पढना शुरू कर दिया।
जिसने उस वक़्त स्त्री की उस शक्ति को जी के दिखा दिया जब एक औरत अपने घूंघट से बाहर निकलने का सोच भी नहीं सकती थी, अमृता ने न केवल अपनी जिंदगी को इस तरह से जिया, अपने लिखे ...Read Moreचरित्रों को भी उस चमत्कारिक अनूठी ताकत में दिखाया जो न केवल आज वरन आने वाले वक़्त के लिए एक मिसाल बन के रहेंगी, चाहे वह उर्मि हो, चाहे वह ३६ चक की अलका या शाह जी की कंजरी हो या पिंजर की पूरो।
अमृता प्रीतम खुद में ही एक बहुत बड़ी लीजेंड हैं और बंटवारे के बाद आधी सदी की नुमाइन्दा शायरा और इमरोज जो पहले इन्द्रजीत के नाम से जाने जाते थे, उनका और अमृता का रिश्ता नज्म और इमेज का ...Read Moreथा. अमृता की नज्में पेंटिंग्स की तरह खुशनुमा हैं फिर चाहे वह दर्द में लिखी हों या खुशी और प्रेम में वह और इमरोज की पेंटिंग्स मिल ही जाती है एक दूजे से। अमृता जी ने समाज और दुनिया की परवाह किए बिना अपनी जिंदगी जी उनमें इतनी शक्ति थी कि वह अकेली अपनी राह चल सकें.उन्होंने अपनी धारदार लेखनी से अपने समय की समाजिक धाराओं को एक नई दिशा दी थी।
अमृता के लिखे नावल में मुझे ३६ चक बहुत पसंद है। यह उपन्यास अमृता ने १९६३ में लिखा था जब यह १९६४ में छपा तो यह अफवाह फैल गई कि पंजाब सरकार इसको बेन कर रही है। पर ऐसा ...Read Moreनही हुआ। यह १९६५ में हिन्दी में नागमणि के नाम से छपा और १९६६ उर्दू में भी प्रकाशित हुआ। जब इस उपन्यास पर पिक्चर बनाने की बात सोची गई तो रेवती शरण शर्मा ने कहा की यह उपन्यास समय से एक शताब्दी पहले लिखा गया है.
नारी डराती नहीं है मगर पुरुष डरता है. डरे हुए पुरुषों का समाज हैं हम. किसी ना किसी उर्मि का डर हमारे समाज में हर पुरुष को है. जीती जागती हंसती खेलती उर्मि नहीं, उर्मि के मरने के बाद ...Read Moreवो उर्मि से डरता है. उर्मि का पिता उर्मि के मरने के बाद उसका जिक्र करने से भी डरता है. उर्मि का पिता उर्मि का जिक्र सुनने से भी डरता है. मगर अमृता उर्मि का ही जिक्र करतीं जाती हैं. उनके उपन्यास का हर महिला पात्र उर्मि है.