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Weekend Chiththiya by Divya Prakash Dubey | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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वीकेंड चिट्ठियाँ by Divya Prakash Dubey in Hindi
Novels

वीकेंड चिट्ठियाँ - Novels

by Divya Prakash Dubey Matrubharti Verified in Hindi Letter

(112)
  • 12.9k

  • 29.7k

  • 77

उन सभी लड़कियों के नाम जो पहले नहीं मिलीं! ज़िंदगी से यूं भी तमाम शिकायतें हैं मुझे. लेकिन उन तमाम शिकवों में से एक ये भी है कि ज़िंदगी मुझे तुमसे पहले नहीं मिलवा सकती थी. हालांकि ऐसे सोचो ...Read Moreतुम अगर पहले मिल जाती तो क्या हो जाता, क्या कुछ बदल जाता? हां शायद या नहीं शायद. यार, प्यार में ‘शायद’ से ज्यादा Certain कोई verb ही नहीं होती.

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 1

(23)
  • 2.6k

  • 3.1k

उन सभी लड़कियों के नाम जो पहले नहीं मिलीं! ज़िंदगी से यूं भी तमाम शिकायतें हैं मुझे. लेकिन उन तमाम शिकवों में से एक ये भी है कि ज़िंदगी मुझे तुमसे पहले नहीं मिलवा सकती थी. हालांकि ऐसे सोचो ...Read Moreतुम अगर पहले मिल जाती तो क्या हो जाता, क्या कुछ बदल जाता? हां शायद या नहीं शायद. यार, प्यार में ‘शायद’ से ज्यादा Certain कोई verb ही नहीं होती.

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 2

  • 881

  • 1.3k

सविनय निवेदन है कि मैं आपके यहाँ नौकरी के आवेदन हेतु सम्पर्क करना चाहता हूँ। मैं पहले ही बता दूँ कि मैं वो हूँ जो एक प्राइवेट इंजीन्यरिंग कॉलेज से इंजीन्यरिंग कर चुका हूँ । नहीं ऐसा नहीं है ...Read Moreमेरे कॉलेज में कंपनी प्लेसमेंट के लिए नहीं आयी थी। कंपनी का कट ऑफ मार्क्स 75 के ऊपर था और आपको तो पता ही है प्राइवेट कॉलेज से इंजीन्यरिंग करके अगर कोई 75 के ऊपर नंबर ल पा रहा है तो ये कहीं न कहीं लड़के का नहीं सिस्टम का दोष है। ऐसे लोगों को डिग्री मिलनी ही नहीं चाहिए।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 3

  • 618

  • 1.1k

प्रिय बेटी, तुम्हें चिट्ठी लिखते हुए एक अजीब सी घबराहट हो रही है। लग रहा है तुमसे पहली बार कोई बात करने जा रहा हूँ। नहीं नहीं इसलिए नहीं कि मेरे पास लिखने के लिए बातें नहीं है । ...Read Moreइसलिए कि इतनी बातें हैं कि समझ नहीं आ रहा कि आखिर शुरू कहाँ से करूँ। सबकुछ माँ पर छोड़कर हम शायद भूल ही गए हैं कि एक बाप और बेटी सीधे भी बात कर सकते हैं।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 4

  • 552

  • 943

संडे वाली चिट्ठी‬ ------------------ डीयर T, ऑफिस में हमारे डिपार्टमेंट से लेकर फ्लोर तक सब कुछ अलग है। कोई भी एक ऐसी वजह न है कि मैं तुमसे बात शुरू कर पाऊँ। अब मेरे अंदर का वो कॉलेज का आवारा टाइप लड़का ...Read Moreसुबह ऑफिस की लिफ्ट में सिमट कर खड़े-खड़े खो गया है। अब पहले दूसरे या फिर फाइनली तीसरे प्यार वाली गलतियाँ खुशी से दोहरने की हिम्मत भी नहीं बची है।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 5

  • 485

  • 1.1k

डियर टी, मैं सबकुछ लिख के कुछ भी आसान नहीं करना चाहता न तुम्हारे लिए न अपने लिए। कभी कभी सामने दिखती खूबसूरत सड़कों के किनारे पड़ने वाली टुच्ची सी पगडंडियाँ हमें उन पहाड़ों पर लेकर जाती हैं जिसके ...Read Moreमें हम लाख सोच के भी सोच नहीं सकते। वैसे भी सड़कों और पगडंडियों में बस इतना सा फर्क होता है। सड़कें जहां भी ले जाएँ वो हमेशा जल्दी में रहती हैं और पगडंडियों अलसाई हुई सी ठहरी हुई। वो ठहर कर हम सुस्ता सकते हैं, सादा पानी पी सकते हैं, बातें कर सकते हैं। प्यार और सुस्ताने में मुझे कोई फर्क नहीं लगता है।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 6

  • 437

  • 1.2k

संडे वाली चिट्ठी ------------------------------- प्रिय बेटा, चिट्ठी इसीलिए लिख रहा हूँ क्यूँकि हर बात फ़ोन पर नहीं बोल सकते। हम लोग कुछ बातें बस लिख के ही बोल सकते हैं। फ़ोन पे जब तुमसे रोज़ पूछता हूँ कि पढ़ाई सही से हो रही ...Read Moreन और तुम एक ही टोन में रोज़ बताते हो कि हाँ पापा अच्छे से हो रही है । तब मन करता है कि बोलूँ तुमको कि हफ़्ते में एक दो दिन कोर्स वाली किताब को हाथ मत लगाया करो।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 7

  • 375

  • 964

संडे वाली चिट्ठी‬ ------------------ प्यारे बेटा, मैंने अपने दादा जी की शक्ल कभी नहीं देखी थी. वो मेरे इस दुनिया में आने से बहुत पहले चले गए थे. मैं जब बचपन में अपने दोस्तों को अपने दादा जी के साथ खेलते, कहानी ...Read Moreकी ज़िद्द करते देखता था तो लगता था कि मेरे बचपन का कुछ हिस्सा अधूरा रह गया. घर पे दादा जी की एक ही तस्वीर थी जो बहुत धुंधली हो चुकी थी. तब एक तस्वीर सैकड़ों यादें सहेज लेती थी. अब सैकड़ों तस्वीरें मिलकर भी उतनी यादें नहीं सहेज पातीं.

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 8

  • 364

  • 912

कोटा में IIT की तैयारी कर रहे सैकड़ों लड़के लड़कियों के नाम, यार सुनो, माना तुम लोग अपने माँ बाप की नज़र में दुनिया का सबसे बड़ा काम कर रहे हो। माना तुम लोग जब रोज़ कोचिंग के लिए जाते ...Read Moreतो दूर बैठे तुम्हारे माँ बाप को लगता है जंग पे जा रहे हो। माना IIT से पास होने के बाद जिन्दगियाँ बदल जाती है। माना कि ये इम्तिहान पास करने लायक है।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 9

  • 427

  • 1.2k

दुनिया के नाम एक चिट्ठी, जब ये चिट्ठी तुम्हें मिलेगी तब तक शायद मैं न रहूँ। कम से कम मैं वैसा तो नहीं रहूँगा जैसा अभी इस वक़्त हूँ। बहुत दिनों से मैं कोई बड़ी उदास चिट्ठी लिखना चाहता था। ...Read Moreचिट्ठी जिसको लिखने के बाद मुझे सूइसाइड नोट की खुशबू आए। ऐसी चिट्ठी जिसमें कोई उम्मीद न हो, कोई ऐसा भरोसा न हो कि कोई बात नहीं एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 10

  • 466

  • 1.8k

Dear फलाने अंकल-ढिमकाना आंटी, जब मैं class 10th का बोर्ड एग्जाम देने वाला था तब आप दोनों घर आते और मेरे घर वालों से कहते देखिये अगर बच्चे के 90 से कम आए तो समझिए लड़का पढ़ने में कमजोर ...Read More। बोर्ड एग्जाम हुआ मेरे 90 से बहुत कम नंबर आए । मेरे घर वालों को इतना बुरा नहीं लगा लेकिन आप पूरे मुहल्ले में लोगों को बताने लगे ‘देखा हमने पहले ही कहा था, लड़का कमजोर है कुछ नहीं करेगा आवारा निकलेगा’।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 11

  • 397

  • 976

डीयर ए जी, आपको अभी चिट्ठी से पहले कभी ए.जी. नहीं बोले लेकिन मम्मी पापा को जब ए.जी. बोलती थीं तो बड़ा ही क्यूट लगता था। आपने कभी सोचा है हम लोग प्यार करने में बोलने में अपने मम्मी पापा ...Read Moreनकल करना चाहते हैं। जैसे मम्मी पापा से जिद्द करती थीं वैसे ही हम आपसे जिद्द करना चाहते हैं। जैसे मम्मी गुस्सा होने का नाटक करती थी पापा के साथ वैसे ही हम भी नाटक करना चाहते हैं।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 12

  • 503

  • 1.4k

संडे वाली चिट्ठी‬ ------------------ डीयर आदित्य धीमन, और उन तमाम लोगों के नाम जो सोशल नेटवर्क पर लड़कियों ‘पब्लिकली’ को माँ बहन की गाली देते हैं।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 13

  • 441

  • 1.2k

चिट्ठियाँ लिखने का एक फ़ायदा ये है कि आपको लौट कर बहुत सी चिट्ठियाँ वापिस मिल जाती हैं। इधर एक चिट्ठी ऐसी आई जिसमें किसी ने मुझसे पूछा कि मान लीजिये आज आपका इस दुनिया में आखिरी दिन है ...Read Moreआपके पास कोई 20 साल का लड़का कहानी लिखना सीखने के लिए आए। आपकी हालत ऐसी नहीं हैं आप बोल पाएँ। तब आप उसको अपनी आखिरी चिट्ठी में क्या लिखकर देंगे।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 14

  • 389

  • 1.1k

सुनो यारपागलआदमी, तुमसे ही बात कर रहा हूँ, तुम जो सड़क के किनारे फटे कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, उलझे बालों के साथ हर मौसम में पड़े रहते हो। ज़ाहिर है तुम ऐसे पैदा तो नहीं हुए होगे। मुझे मालूम है ...Read Moreचिट्ठी तुम तक कभी नहीं पहुँचेगी । इसीलिये वो सारी चिट्ठियाँ लिखना सबसे ज़रूरी होता है जो कभी अपने सही पते पर नहीं पहुँचती।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 15

  • 415

  • 1.1k

बाक़ी सब में कितना कुछ समा जाता है न, मौसम, तबीयत, नुक्कड़, शहर, घरवाले, पति, ससुराल सबकुछ । उम्मीद तो यही है कि शादी के बाद बदल गयी होगी। नहीं शादी से कुछ भी नहीं बदलता, घर से ...Read Moreहै। शादी के बाद घर बदलता है न इसलिए बदलना पड़ता है। नहीं घबराओ मत तुम्हारी याद में पागल नहीं हुआ जा रहा । दारू पहले जितनी ही पीता हूँ। । एक लड़की से दोस्ती भी कर ली है उसकी शक्ल तुमसे नहीं मिलती है ।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 16

  • 419

  • 1.4k

डियर J, मुझे ये बिलकुल सही से पता है कि मैं अपने हर रिश्ते से चाहता क्या हूँ। मुझे क्या हम सभी को शायद ये बात हमेशा से सही से पता होती है।एक बना बनाया सा रस्ता होता है हमारे ...Read Moreकि बाप वाला रिश्ता है भाई वाला वैसा बॉयफ्रेंड वाला ऐसा, पति वाला वैसा। दुख हमें तभी होता है जब रिश्ते अपने हिसाब से नहीं हमारे हिसाब से रस्ते नहीं पकड़ते।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 17

  • 376

  • 1.1k

संडे वाली चिट्ठी‬ ------------------ Dear पापा जी, कुछ दिन पहले आपकी चिट्ठी मिली थी। आपकी चिट्ठी मैं केवल एक बार पढ़ पाया। एक बार के बाद कई बार मन किया कि पढ़ूँ लेकिन हिम्मत नहीं हुई। मैंने आपकी चिट्ठी अटैची में ...Read Moreके नीचे दबाकर रख दी है। अटैची में ताला लगा दिया है। मैं नहीं चाहता मेरे अलावा कभी कोई और आपकी चिट्ठी पढ़े।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 18

  • 630

  • 2k

डीयर बीवी, मैं इंटरनेट पर हर हफ्ते में इतने ओपेन लेटर पढ़ता हूँ और ये देखकर बड़ा हैरान होता हूँ कि कभी किसी पति ने अपनी बीवी को कोई ओपेन लेटर क्यूँ नहीं लिखता। चिट्ठियों के नाम पर ऐसा ...Read Moreफैला हुआ है कि ऐसा लगता है जैसे कोई अपनी बीवी को छोड़कर पूरी दुनिया में किसी को भी चिट्ठी लिख सकता है।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 19

  • 427

  • 1.2k

संडे वाली चिट्ठी‬ ------------------ पिछले हफ्ते पहली किताब( टर्म्स एंड कंडिशन्स अप्लाई) आए हुए 6 साल पूरे हुए। 6 साल पहले ये चिट्ठी सही में लिख कर अमिताभ बच्च्न को पोस्ट की थी। हाँ कभी जवाब नहीं आया बल्कि कूरियर वापिस ...Read Moreगया था। कूरियर अभी भी के पड़ा हुआ है। कभी अमिताभ बच्चन से फुरसत में मुलाक़ात होगी तो वही बिन खुला कूरियर उनको दे दूँगा, उनके पास मेरे 100 रुपये उधार हैं।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 20

  • 596

  • 1.8k

तुम्हें dear लिखूँ या dearest, ये सोचते हुए लेटर पैड के चार कागज़ और रात के 2 घंटे शहीद हो चुके हैं। तुम्हारी पिछली चिट्ठी का जवाब अभी तक नहीं मिला तो सोचा कि पिछले दिनों दिवाली की ...Read Moreथी। डाकिये को मैंने दिवाली ‘का कुछ’ अलग से नहीं दिया था इस चक्कर में उसने चिट्ठी दबा ली होगी।

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 21

  • 1k

  • 2.9k

सेवा में, कुमारी डिम्पल, सविनय निवेदन है कि तुम हमें बहुत प्यारी लगती हो। हम ये चिट्ठी अपने ख़ून से लिखकर देना चाहते थे लेकिन क्या करें हम सोचे कहीं तुम हमारा ख़ून देखकर डर न जाओ इसलिये नहीं लिखे।

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