Khunte book and story is written by Kusum Bhatt in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Khunte is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
खूँटे - Novels
by Kusum Bhatt
in
Hindi Short Stories
‘‘मुझे हवा के घूँट पीने हैं....’’ आवाज झमक कर चेतना में गिरती है... सफेद पिलपिले हाथों से चेहरा घुमाने लगा है बेताल - सीधे..... ‘‘लिजलिजे स्पृश के बोझ तले दबी मेरी गर्दन टीसने लगी है... चल ही तो रही हूँ जाने कब से... जाने कहाँ... अंधेरी सुरंग कभी समाप्त ही नहीं होती...! मकान खंडहर में तब्दील हो चुका होगा या थोड़ा बचा होगा साबुत... गोया मेरी स्मृति जस की तस... इसे क्यों नहीं पोंछ पाया वक्त अपने सूखे रूमाल से...?
‘‘मुझे हवा के घूँट पीने हैं....’’ आवाज झमक कर चेतना में गिरती है... सफेद पिलपिले हाथों से चेहरा घुमाने लगा है बेताल - सीधे..... ‘‘लिजलिजे स्पृश के बोझ तले दबी मेरी गर्दन टीसने लगी है... चल ही तो रही ...Read Moreजाने कब से... जाने कहाँ... अंधेरी सुरंग कभी समाप्त ही नहीं होती...! मकान खंडहर में तब्दील हो चुका होगा या थोड़ा बचा होगा साबुत... गोया मेरी स्मृति जस की तस... इसे क्यों नहीं पोंछ पाया वक्त अपने सूखे रूमाल से...?
दूसरी तरफ वह जगह इस पर रामदेई नानी जिसे हम छोटी नानी कहते अलाव जलाया करती थी जाड़े के दिनांे पूरा गांव आकर घेर लेता था अलाव... आँच से दहकते चेहरे बतरस बांटने एक दूसरे से गोया... इतने भीगे ...Read Moreसे कि पहाड़ की पथरीली जिन्दगी होने लगती पलक झपकते ही सेमल फूल सी हलकी।
‘‘ऊपर चढ़ नंदिनी...’’ शिवा भी अब खंगालने को उत्सुक है... कल नीम अंधेरे में मैंने इस यात्रा की सरगोशी की थी तो वह चिहुँकने लगी थी - बंजर हुए रास्ते पर पिरूल हटाते चलेंगे तो शाम हो जायेगी...।’’ उसी की सलाह पर अब सुबह पौ फटने से पहले हमारी यात्रा शुरू हुई थी...