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ठौर ठिकाना - Novels
by Divya Shukla
in
Hindi Moral Stories
ठौर ठिकाना (1) आज दिन भर की भागदौड़ ने बुरी तरह थका दिया था मुझे. घर में घुसते ही पर्स बेड उछाल दिया और सीधे वाशरूम में घुस गई. देर तक गुनगुने पानी से शावर लेने से कुछ राहत मिली.हाउसकोट डाल कर गीले बाल झटकती हुई लाबी में आई तो मुझे देखते ही कमला कहने लगी " अरे दीदी आप सर से नहा ली अब तो ठंड पड़ने लगी है सर पकड़ लेगा तो परेशान हो जायेंगी ". " तुम गर्मागर्म काफ़ी पिला दो बस कुछ नहीं होगा वो भईया इसबार जो काफ़ी सीड्स लाया था वही बनाना ". "
ठौर ठिकाना (1) आज दिन भर की भागदौड़ ने बुरी तरह थका दिया था मुझे. घर में घुसते ही पर्स बेड उछाल दिया और सीधे वाशरूम में घुस गई. देर तक गुनगुने पानी से शावर लेने से कुछ राहत ...Read Moreडाल कर गीले बाल झटकती हुई लाबी में आई तो मुझे देखते ही कमला कहने लगी " अरे दीदी आप सर से नहा ली अब तो ठंड पड़ने लगी है सर पकड़ लेगा तो परेशान हो जायेंगी ". " तुम गर्मागर्म काफ़ी पिला दो बस कुछ नहीं होगा वो भईया इसबार जो काफ़ी सीड्स लाया था वही बनाना ". "
ठौर ठिकाना (2) घर पहुँचते पहुँचते देर हो गई. कमला ने खाने को पूछा भी मना कर दिया मैने. सुबह जल्दी जाना भी था बस एक कप चाय पी कर सो गई. इन्ही सब उलझनों में रात को नींद ...Read Moreनहीं आई. सुबह आठ बजे ही मनोज का फोन आ गया उसे लग रहा था कहीं मै देर न कर दूँ आने में. तैयार हो कर मैने जल्दी जल्दी नाश्ते की खानापूरी की देर हो रही थी अभी रास्ते में मेडिकल शाप पर भी रुकना था एडल्ट डाइपर का पैकेट लेना था. नौ बजने से जरा पहले ही वहां पहुँच गई
ठौर ठिकाना (3) सिर्फ रमा आंटी ही नहीं यहाँ रहने वाला कोई भी सदस्य कभी अपनों के बारे में कुछ नहीं कहता लेकिन उनकी पीड़ा उनके मौन में, उनकी आँखों में साफ़ झलकती उन आँखों कभी न आने वालों ...Read Moreइंतजार दिखता. दया माँ को उनके नाती यहाँ छोड़ गये, बेटी दामाद की एक्सीडेंट में मृत्यु के बाद जिन दो नन्हे बच्चों को कलेज़े से लगा कर पाला था, अपने बुढापे के लिये संजोई सारी पूंजी और पति का बनवाया घर बेंच कर जिन्हें पढाया लिखाया शादी ब्याह किया. उन्होंने ही नानी को ओल्डहोम में पहुंचा कर अपने कर्तव्यों की