Choupade ki chedel book and story is written by PANKAJ SUBEER in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Choupade ki chedel is also popular in Horror Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
चौपड़े की चुड़ैलें - Novels
by PANKAJ SUBEER
in
Hindi Horror Stories
चौपड़े की चुड़ैलें (कहानी : पंकज सुबीर) (1) हवेली वैसी ही थी जैसी हवेलियाँ होती हैं और घर वैसे ही थे, जैसे कि क़स्बे के घर होते हैं। कुछ कच्चे, कुछ पक्के। इस क़स्बे से ही हमारी कहानी शुरू होती है। कहानी शुरू तो होती है लेकिन, उसका अंत नहीं होता है। उसका अंत होना भी नहीं है। क्योंकि यह वो कहानी नहीं है जिसका अंत हो जाए। शहर से कुछ दूर यह क़स्बा बसा था। हवेली जर्जर हो चुकी थी। मगर उसे देख कर लगता था कि कभी इसकी शानौ-शौक़त देखने लायक रही होगी। दीवरों के रंग अब उड़
चौपड़े की चुड़ैलें (कहानी : पंकज सुबीर) (1) हवेली वैसी ही थी जैसी हवेलियाँ होती हैं और घर वैसे ही थे, जैसे कि क़स्बे के घर होते हैं। कुछ कच्चे, कुछ पक्के। इस क़स्बे से ही हमारी कहानी शुरू ...Read Moreहै। कहानी शुरू तो होती है लेकिन, उसका अंत नहीं होता है। उसका अंत होना भी नहीं है। क्योंकि यह वो कहानी नहीं है जिसका अंत हो जाए। शहर से कुछ दूर यह क़स्बा बसा था। हवेली जर्जर हो चुकी थी। मगर उसे देख कर लगता था कि कभी इसकी शानौ-शौक़त देखने लायक रही होगी। दीवरों के रंग अब उड़
चौपड़े की चुड़ैलें (कहानी : पंकज सुबीर) (2) क़स्बे के जवान होते लड़कों के लिए चौपड़ा मुफीद जगह थी दिन काटने की। चौपाल पर बूढ़ों का कब्ज़ा था और मंदिर के पीछे के मैदान पर जवानों का। तो लड़कों ...Read Moreअपना अड्डा बनाया नागझिरी और चौपड़े में । गरमी के दिनों में तो वहाँ हम्मू ख़ाँ भी होता था। लम्बी और मेंहदी के रंग में रँगी दाढ़ी, सिर पर गोल जालीदार टोपी, टोपी से झाँकते मेंहदी में रंगे बाल, बड़ी मोहरी का सफेद पायजामा और उस पर गोल गले का सफेद कुरता। कुरते की जेब से लटकते तम्बाख़ू-सुपारी की थैली
चौपड़े की चुड़ैलें (कहानी : पंकज सुबीर) (3) उस रात के बाद से सब कुछ बदल गया। सब कुछ बदल गया मतलब यह कि चौपड़े का सारा माहौल ही बदल गया। चौपड़ा अब सचमुच ही भूतिया हो गया। भूतिया ...Read Moreगया से तात्पर्य यह कि अब वहाँ रात को चुड़ैलों की महफिल सजनी बंद हो गई। अब रात बिरात किसी को वहाँ पर चूड़ियों के खनकने और पायलों के छनकने की आवाज़ें नहीं सुनाई देती थीं। तो क्या उस दिन के बाद इन लड़कों ने कुछ हंगामा मचाया या कुछ ऐसा किया कि जिससे बवाल मचा। नहीं, ऐसा कुछ भी
चौपड़े की चुड़ैलें (कहानी : पंकज सुबीर) (4) यह जो रसायनों की उत्पत्ति थी यह आने वाले दिनों में और, और, और का कारण बनने वाली थी और बनी भी। सोनू ने उसके बाद कई-कई बार उस नंबर पर ...Read Moreकिए। हर बार कॉल काटने के बाद आया हुआ मैसेज एक बड़ी राशि कट जाने की सूचना देता था। हर बार किसी नई आवाज़ से बातें होती थीं। सोनू चाहता था कि कल जिससे हुई थी उससे से ही हो लेकिन, वैसा नहीं होता था। सोनू की इच्छा थी कि अगर कोई रिपीट में एक बार भी मिल जाए तो