Aadamkhor book and story is written by Roop Singh Chandel in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aadamkhor is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आदमखोर (1) भूरे - काले बादलों का समूह अचानक पश्चिमी क्षितिज में उभरने लगा. सरजुआ के हाथ रुक गये. हंसिया नीचे रखकर वह ऊपर की ओर देखने लगा. हवा का बहाव तेज होता जा रहा था. भूरे बादलों के ...Read Moreद्वीप आसमान में तैरते हुए पूरब की ओर बढ़ने लगे. चीलों और कौओं
आदमखोर (2) "लम्बरदार, आप----?" साश्चर्य उसने पूछा. "कौ---कौ----कौन---?" "मैं हूं सरजू, लम्बरदर!" "स----स----स---र---- जू----ग----ग----- जब-----ठण्ड ----है----. लगता है----प्राण निकल----जायेंगे." किसी प्रकार रमेसर सिंह कह पाये. सरजुआ चुप रहा. रमेसर सिंह को कांपता-दांत किटकिटाता देख उसे अच्छा लग रहा था. ...Read Moreगरीबन का खून चूसा है तैने---- अब कहां गई ऊ हेकड़ी----." वह मन-ही मन बुदबुदाया. "क्या----करने आया था रे यहां?" "आपै ते तो पूछा रही लम्बरदार पतावर खातिर. आज सुब्बो से वही काटित रही." "ओह---ठीक है -- ठीक है. हे भगवान--- फसल तो सब सत्तानास हो गई. लागत है पत्थर गिरी----." सरजुआ फिर चुप रहा. इस समय उसके दिमाग में