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और कहानी मरती है - Novels
by PANKAJ SUBEER
in
Hindi Moral Stories
और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (1) कहानी के पात्र आज फिर बग़ावत पर उतारू हैं, ऐसा पिछले एक सप्ताह से हो रहा है। अपनी इस कहानी को जब भी आगे बढ़ाने का प्रयास करता, इसके पात्र फ़ौरन कथा से बाहर आकर अपना विरोध प्रदर्शन करने लगते। इन पात्रों को समझाने के प्रयास में ही पूरा समय व्यतीत हो जाता है, और कहानी वहीं रुकी रहती है। आज भी ऐसा ही हुआ पेन उठाकर रुके हुए घटनाक्रम को प्रारंभ करने ही वाला था कि अचानक निशा सामने आ गई, कहानी की सहनायिका जिसे मैंने अधिक ख़ूबसूरत वर्णित नहीं
और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (1) कहानी के पात्र आज फिर बग़ावत पर उतारू हैं, ऐसा पिछले एक सप्ताह से हो रहा है। अपनी इस कहानी को जब भी आगे बढ़ाने का प्रयास करता, इसके पात्र ...Read Moreकथा से बाहर आकर अपना विरोध प्रदर्शन करने लगते। इन पात्रों को समझाने के प्रयास में ही पूरा समय व्यतीत हो जाता है, और कहानी वहीं रुकी रहती है। आज भी ऐसा ही हुआ पेन उठाकर रुके हुए घटनाक्रम को प्रारंभ करने ही वाला था कि अचानक निशा सामने आ गई, कहानी की सहनायिका जिसे मैंने अधिक ख़ूबसूरत वर्णित नहीं
और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (2) ‘तुम्हारी निशा ....?’ मैंने माथे पर बल डालते हुए कहा ‘निशा तुम्हारी कब से हो गई ? वह मेरी पात्र है, उस पर मेरा अधिकार है। तुम उसे अपनी समझने ...Read Moreभूल मत करो, मेरी क़लम का एक इशारा उसे तुमसे हमेशा के लिये दूर कर सकता है।’ अनुज कुछ देर मुझे घूरता रहा, फ़िर बोला, ‘वह मेरी क्यों नहीं है ? मैंने उससे प्रेम किया है, मेरे बच्चे की मां है वो। मैंने अपने जीवन के कुछ बेहद सुखद क्षणों को उसके साथ जिया है, भले ही वह जीवन एक
और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (3) ‘अच्छा’ माही कुछ निर्णायक स्वर में बोला, और कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया। अपने शरीर पर लिपटा एकमात्र टावेल भी उतारकर फ़ैंक दिया उसने। अब वह एकदम आदम-ज़ात अवस्था ...Read Moreमेरे सामने खड़ा था, अलफ़ नग्न। मैंने ग़ौर से उस शरीर को देखा जिसे मैंने ही ईज़ाद किया है। ‘लो अब मैं भी संबोधनों और संबंधों से मुक्त होकर केवल शरीर बन गया।’ दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए बोला माही, ‘अब मैं माही नहीं रहा, केवल शरीर हूं और शरीर बनकर ही वापस लौट रहा हूं तुम्हारे अवचेतन में, जहां