Vasundhara gaav book and story is written by Sohail K Saifi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Vasundhara gaav is also popular in Horror Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
वसुंधरा गाँव - Novels
by Sohail K Saifi
in
Hindi Horror Stories
एक 12 वर्ष का बालक डरा सहमा खुद को एक अंधेरे स्टोर रूम बन्द करके बैठा है। उससे देख कर पता लगता है। वो किसी के भय से छुपा बैठा है। थोड़ी देर के बाद वहां बेहद शांति हो गई थी। बालक को लगा जिनसे वो छुप रहा है। शायद वो चले गए, और वो काँपता हुआ दरवाज़े की तरफ आगे बढ़ने लगता है। तभी दरवाज़े पर एक जोर दार कुल्हाड़ी का प्रहार होता है। जिसपर वो बच्चा दहशत से वही वापिस बैठ गया। और कुछ ही क्षणों में उस लकड़ी के दरवाजे को कुल्हाड़ी से चीर कर एक महिला
एक 12 वर्ष का बालक डरा सहमा खुद को एक अंधेरे स्टोर रूम बन्द करके बैठा है। उससे देख कर पता लगता है। वो किसी के भय से छुपा बैठा है। थोड़ी देर के बाद वहां बेहद शांति ...Read Moreगई थी। बालक को लगा जिनसे वो छुप रहा है। शायद वो चले गए, और वो काँपता हुआ दरवाज़े की तरफ आगे बढ़ने लगता है। तभी दरवाज़े पर एक जोर दार कुल्हाड़ी का प्रहार होता है। जिसपर वो बच्चा दहशत से वही वापिस बैठ गया। और कुछ ही क्षणों में उस लकड़ी के दरवाजे को कुल्हाड़ी से चीर कर एक महिला
रेस्टोरेंट में घुसते ही इन्द्र और भानु देखते है। एक आदमी रेस्टोरेंट के मालिक से बेहस कर रहा था उनके बीच गरमा गर्मी इतनी अधिक हो गई थी कि किसी भी पल हातापाई हो जाती मोके की गंभीरता को ...Read Moreहुए इन्द्र और भानु दोनों बीच में आ गए। और हालातों को संभालते हुए। लड़ाई का कारण पूछने लगे जिस पर पता चला कि बात केवल इतनी सी थी कि जो कुछ वो व्यक्ति प्रति दिन खाने में लेता था उसका उलट आज उसको परोसा गया। मगर रेस्टोरेंट मालिक का कहना था कि वो रोज जो कुछ खाते है। वही
अगली सुबह इन्द्र अपने घर पर लेटा हुआ था, वो अपने साथ घट रही अजीब घटनाओं के चलते इतना परेशान था कि लाख कोशिश पर भी उसको नींद नही आ रही थी, वो बेचैनी से रात भर करवटें बदलता ...Read Moreऔर जब भी उसकी आंख लगती तो किसी भयंकर स्वप्न के कारण वो जाग जाता।इसी प्रकार की पीड़ा को भोगते भोगते कब सुबह हो गई, इन्द्र को पता ही नही चला, वो अपनी लाल सुर्ख आँखो से अपनी छत को घूरते हुए किनी खयालों में खोया होता है, तभी उसके फ़ोन की तेज़ बेल बजने लगी, और उसके शरीर मे
इन्द्र और भानु उस अज्ञात कॉलर की बताई जगह के पास पहुँच कर रुकते है।" भानु उसने अकेले आने की शर्त रखी थी, तुम यहाँ मेरा इंतजार करो अगर मुझे कोई गड़बड़ लगी तो तुम्हें वायरलेस से कॉन्टेक्ट करूँगा।इन्द्र ...Read Moreबोल कर भानु को कुछ दूरी पर खड़ा कर उस अज्ञात व्यक्ति के बताए स्थान पर पहुँच जाता है।इन्द्र देखता है, वो एक पुराना गेराज है जो लम्बे अरसे से बंद पड़ा हुआ था।इन्द्र बड़ी सावधानी से आगे बढ़ता है, उसके चारों ओर देखने पर उसको सिर्फ सन्नाटा ही नज़र आया, उसने दो तीन बार :कोई है: कह कर पुकारा
इन्द्र को भानु की पत्नी यानी संगीता की बातों ने बेहद हैरान परेशान सा कर दिया, इन्द्र के मुताबिक वो आज से पहले कभी नही जानता था की भानु की कोई पत्नी भी है।लेकिन इन्द्र ने संगीत की ...Read Moreमें एक ख़ौफ़ महसूस किया था, एक ऐसा डर जो बनावटी नही हो सकता था। अब तक आधी रात हो चुकी थी लेकिन इन्द्र इसकी परवाह किए बिना पहले वो सीधा पुलिस चौकी जाता है ताकि भानु का पता ले सके, उसके बाद उसको जो पता मिलता है सीधा उसकी ओर निकल जाता है।इस बीच रास्ते में वो लगातार संगीता के