इंतजार दूसरा - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Love Stories
दामोदर गर्दन झुकाये हुए मन ही मन मे कुछ सोचता हुआ चला जा रहा था।तभी उसे हंसने की आवाज सुनाई पड़ी।खनखनाती हंसी सुनकर उसे ऐसा लगा, मानो किसी ने सुराई नुमा गर्दन से सारी की सारी शराब एज ही ...Read Moreमे उड़ेल दी हो।उन्मुक्त हंसी की आवाज कानो में पड़ते ही उसने गर्दन उठाकर देखा।उसे सामने से दो औरते आती हुई नजर आयी।दूर से देखते ही उन दो में से एक को दामोदर पहचान गया था।वह चन्द्रकान्ता चाची थी।लेकिन उसके साथ वाली युवती कौन है? गांव की तो सभी औरतो को वह पहचानता था।चन्द्रकान्ता चाची के साथ युवती कौन है?वह
दामोदर गर्दन झुकाये हुए मन ही मन मे कुछ सोचता हुआ चला जा रहा था।तभी उसे हंसने की आवाज सुनाई पड़ी।खनखनाती हंसी सुनकर उसे ऐसा लगा, मानो किसी ने सुराई नुमा गर्दन से सारी की सारी शराब एज ही ...Read Moreमे उड़ेल दी हो।उन्मुक्त हंसी की आवाज कानो में पड़ते ही उसने गर्दन उठाकर देखा।उसे सामने से दो औरते आती हुई नजर आयी।दूर से देखते ही उन दो में से एक को दामोदर पहचान गया था।वह चन्द्रकान्ता चाची थी।लेकिन उसके साथ वाली युवती कौन है? गांव की तो सभी औरतो को वह पहचानता था।चन्द्रकान्ता चाची के साथ युवती कौन है?वह
"तभी तुम बेलगाम घोड़ी की तरह इधर उधर घूमती फिरती हो"।"क्या मतलब?"दामोदर की बात सुनकर माया को गुस्सा आ गया,"तुम मुझ पर लाछंन लगा रहे हो?""मेंरे कहने का आशय वो नही है,जो तुम समझ रही हो?"माया का उग्र ...Read Moreदेेखकर दामोदर घबरा गया।"तो तुम क्या कहना चाहते हो?""तुम जैसी हसीन पत्नी से कौन कम्बख्त दूर रहना चाहेगा । लेकिन तुम्हारा पति फ़ौज़ में है।बेचारा चाहकर भी तुमहारे पास नही रह सकता।"दामोदर ने दिल में आयी बात माया को बता दी।"बेेेचारी का पति हैै कन्हा?"कमरे में आते समय दामोदर की बात चन्द्रकान्ता ने सुन ली थी।इसलिए माया बोलती उससेे पहले चन्द्ररकांता
गणतंत्र दिवस की परेड देझने वालो की खासी भीड़ थी।लोग मिलो तक सड़क के दोनों तरफ खड़े थे।वे भी एक जगह खड़े हो गए थे।परेड शुरू होने पर फौजी जवानों को देखकर माया की आंखे पति को याद करके ...Read Moreहो गई।परेड देखकर वे घर लौट आये थे।अगले दिन चन्द्रकान्ता, दामोदर और माया घूमने के लिए गए थे। कुतुब मीनार,लालकिला,ज़ू घूमते समय वे यह भूल गए थे कि मौसी भी उनके साथ है।वे एक दूसरे का हाथ पकड़कर ऐसे चल रहे थे मानो दो प्रेमी हो।उसी दिन शाम को वे सभी उपकार फ़िल्म देखने गए थे।सिनेमा हॉल में माया और
अगर उसके पिता की अचानक तबियत खराब न होती,तो शायद वह मुम्बई से न लौटता।उसने पिता का बहुत इलाज कराया।लेकिन बचाया नही जा सका।वह वापस नही लौट सका उसे अपने पिता के धंधे को सम्हालना पड़ा।"तुम दोनों बैठकर बाते ...Read Moreअभी आयी।"मौसी की आवाज सुनकर वह अतीत से वर्तमान में लौट आया था।"मौसी बता रही थी।तुम्हारी शादी हो गई।"माया ने दामोदर से पूछा था।"तीन महीने हो गए"।"गुपचुप शादी कर ली।मुझे खबर भी नही की।भूल गए मुझे।क्यो बुलाते?मै लगती कौन हू, तुम्हारी।बुलाया उसे जाता है,जिससे कोई सम्बन्ध हो",माया, दामोदर को उल्हाना देते हुए बोली,"शायद अपशकुन के डर से नही बुलाया होगा।मुझ