Shapit book and story is written by Ashish Dalal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shapit is also popular in Thriller in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शापित - Novels
by Ashish Dalal
in
Hindi Thriller
शापित आशीष दलाल [बचपन में यौनउत्पीड़न का शिकार हुए युवक की अपराधी से बदला लेने की भावना और अंतर्द्वंद पर आधारित अपराध कथा] (१) ‘अंकल ! आपकी दाढ़ी चुभती है.’ दस वर्षीय नमन ने अपने नन्हें हाथों से रोहित के चेहरे को अपने गाल के पास से दूर करने की कोशिश की. रोहित कमरे के कोने में रखी कुर्सी पर बैठा हुआ था और नमन उसके दो पैरों के बीच खड़ा था. ‘ओके. ब्रेव बॉय ! ठीक है. अंकल तुम्हारें गालों नहीं छुएंगे पर तुम्हें अंकल से प्यार है तो जल्दी से उनके गालों पर पप्पी कर दो.’ कहते हुए
शापित आशीष दलाल [बचपन में यौनउत्पीड़न का शिकार हुए युवक की अपराधी से बदला लेने की भावना और अंतर्द्वंद पर आधारित अपराध कथा] (१) ‘अंकल ! आपकी दाढ़ी चुभती है.’ दस वर्षीय नमन ने अपने नन्हें हाथों से रोहित ...Read Moreचेहरे को अपने गाल के पास से दूर करने की कोशिश की. रोहित कमरे के कोने में रखी कुर्सी पर बैठा हुआ था और नमन उसके दो पैरों के बीच खड़ा था. ‘ओके. ब्रेव बॉय ! ठीक है. अंकल तुम्हारें गालों नहीं छुएंगे पर तुम्हें अंकल से प्यार है तो जल्दी से उनके गालों पर पप्पी कर दो.’ कहते हुए
शापित आशीष दलाल (२) पूरे वाकये को आज अचानक ही याद करते हुए अपने हाथ में थाम रखे चाय के कप पर नमन की पकड़ मजबूत हो गई. चंद ही पलों में हथेली पर उभर आई पसीनें की बूंदों ...Read Moreवजह से कप नमन के हाथ से फिसलकर दूर जा गिरा. ‘आज फिर से कप तोड़ दिया?’ आखिर हो क्या गया है तुझे?’ कप के टूटने की आवाज सुनकर सुनंदा नमन के कमरे में दौड़ी चली आई. नमन ने जैसे सुनंदा की उपस्थिति महसूस ही न की. उसकी सूनी आंखें कमरे की खिड़की से बाहर दूर कुछ खोज रही थी.
शापित आशीष दलाल (३) उस घटना के बाद थोड़ी समझ आने पर रोहित से वह जितना दूर रहने की कोशिश करता जिन्दगी के मोड़ उसे बार बार उसके नजदीक आने पर मजबूर कर देते. बारहवीं पास करने के बाद ...Read Moreपापा की हार्ट अटैक से असमय मौत हो जाने के बाद रोहित ने बड़े भाई की तरह नमन को हिम्मत दिलाकर जिन्दगी के संघर्षों से लड़ने के काबिल बनाया था. नमन रोहित को अपने बचपन में भी न समझ पाया और न ही युवावस्था की ओर बढ़ते हुए समझ पा रहा था. रोहित नमन के साथ इस तरह से व्यवहार
शापित आशीष दलाल (४) तीन महीने पहले रोहित से हुई बात को एक बार फिर से याद करते हुए उसके शरीर में भयमिश्रित उत्तेजना छा गई. उस बात के बाद रोहित ने खुद ही नमन से दूरी बनाना शुरू ...Read Moreदी थी और अपने बेटे को नमन के घर में अकेले होने पर यथासंभव उसके यहां भेजने से रोकने लगा था. नमन ने रोहित से अपनी हुई बात के बाद इस परिवर्तन को बड़ी ही अच्छी तरीके से महसूस किया था. रोहित से अपनी हुई इस बात के एक महीने बाद ही रोहित का एक्सीडेंट और फिर मौत होने पर
शापित आशीष दलाल (५) ‘भैया, दुख रहा है. धीरे से पकड़ो न हाथ.’ चिंटू ने नमन के हाथ से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए दर्द से तिलमिलाते हुए कहा. ‘अच्छा धीरे से बस !’ चिंटू के चीखने ...Read Moreनमन का आवेग कुछ कम हुआ उसने उसके हाथ पर अपनी पकड़ कुछ ढ़ीली कर दी. ‘नहीं, मुझे नहीं खेलना है यह खेल. हम दूसरा खेल खेलेंगे.’ तभी चिंटू उठकर बैठने की कोशिश करने लगा. ‘ठीक है. मेरे शेर. अब दूसरा खेल खेलते है.’ कहते हुए नमन ने चिंटू को अपने सीने से लगा लिया. ‘छोड़ो मुझे भैया. ये अच्छा