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विदा रात - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Moral Stories
सर्दियों के मौसम की एक बेहद ठंडी रात।रात केे बारह बज चुके थे। बरखा के सास श्वसुर और ननद कब के अपने अपने कमरों में सो चुके थे।बरखा भी इस समय तक रोज़ सो जाती थी।लेकिन आज उसकी आँखों मे नींद नहीी थी। बरखा ने शेखर से सबंध विचछेद का निरणय कर लिया था।अपने निरणय की सूचना वह उसे देना चाहती थी।वह अभी घर नहीं लौौटा था।इसलिए वह जगकर उसका इन्तजार कर रही थी। बरखा की शादी शेेेखर से दो साल पहले हुई थी।शादी के बाद काफी दिनों तक बरखा का ध्यान पति की
सर्दियों के मौसम की एक बेहद ठंडी रात।रात केे बारह बज चुके थे। बरखा के सास श्वसुर और ननद कब के अपने अपने कमरों में सो चुके थे।बरखा भी इस समय तक रोज़ सो ...Read Moreथी।लेकिन आज उसकी आँखों मे नींद नहीी थी। बरखा ने शेखर से सबंध विचछेद का निरणय कर लिया था।अपने निरणय की सूचना वह उसे देना चाहती थी।वह अभी घर नहीं लौौटा था।इसलिए वह जगकर उसका इन्तजार कर रही थी। बरखा की शादी शेेेखर से दो साल पहले हुई थी।शादी के बाद काफी दिनों तक बरखा का ध्यान पति की
शेखर की नामर्दी का पता चलने पर उसे अपना सपना बिखरता नज़र आने लगा।हर कुंवारी लड़की की तरह उसने भी सपना देखा था।राजकुमार सा पति,अपना घर और बच्चे यानी छोटा सा सुखी परिवार।उसका घर संसार।बरखा ने शादी से ...Read Moreजिस तरह के पति की कल्पना की थी।पति उसे वैसा ही मिला था।अमीर सम्पन्न पति को पाकर उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा था।लेकिन उसकी खुशी स्थायी नही रह सकी।पति की शारीरिक अक्षमता का पता चलने पर उसे अपने सुखी सपना बिखरता नज़र आने लगा। सेक्स मात्र मनोरंजन का साधन ही नही है।शारीरिक ज़रूरत भी है,जो संतान के सृजन में भी
तब बरखा को एहसास होने लगा कि मात्र भावात्मक लगाव उसकी बने रहने में सहायक नही हो सकता।शारीरिक इच्छा की पूर्ति भी ज़रूरी है।इस इच्छा को पति ही पूरी कर सकता है।वह पुराने जमाने की उन औरतो में से ...Read Moreथी।जो पति चाहे जैसा हो।उसके साथ सारी उम्र गुज़ार देती थी।बरखा आधुनिक ज़माने की शिक्षित औरत थी।वह अपना सारा जीवन शेखर के पीछे तबाह नही कर सकती थी।इसलिए उसने दूसरे रास्ते के बारे में सोचना शुरू कर दिया।हर दृष्टि से सोचकर,हर पहलू पर विचार करकेऔर भविष्य में किन बातों का सामना करना पड़ सकता है।उसने तलाक देने का निर्णय कर
"यह इल्ज़ाम नही हकीकत है,"बरखा बोली,"तुमने धारीरिक कमी को दूर करने के लिए शराब का सहारा लिया।शराब तुम्हे पुरसार्थ प्रदान नही कर सकी।तब तुम मुझसे कतराने लगे।मुझ से दूर रहने का प्रयास करने लगे।मैं चाहतो तो उसी समय तलाक ...Read Moreनिर्णय ले सकती थी।लेकिन ऐसा करना जल्दबाज़ी लगी।"Shekharबरखा बोलते हुुुए रुकी। उसने देखा शेखर उसकी बाटे सुन रहा है।तब वह फिर बोली,"इसलिए तुमहारी नामर्दी का विश्वास होने पर भी मैने समझोता करने का प्रयास किया।तुुुम मुझसे दूूूर रहना चाहते थे लेकिन मै पास।मैैैने बेडरूम में पूरा सहयोग देन का प्रयास किया पर व्यर्थ।अब मैं तुुम्हारे साथ रहकर अपना जीवन