दस्तक - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Love Stories
अपनी सीट पर बैठते ही संजना की नज़र मेज पर रखे लिफाफे पर पड़ी थी।उसने लिफाफा हाथ मे लेकर उलट पलट कर देखा।उस पर उसका नाम तो था।लेकिन भेजने वाले का नही।किसने भेजा है?क्यो भेजा है?क्या लिखा है, उसमे?यह ...Read Moreकी उत्सुकता उसके मन मे बलवती हो उठी।वह लिफाफा खोलती उससे पहले कंपनी के हेड ऑफिस से फोन आ गया।उसने लिफाफा एक तरफ रखा और फोन उठा लिया।उसके बाद काम का सिलसिला शुरू हुआ,तो पता ही नही चला।कब लंच का समय हो गया।काम से राहत मिलने पर उसने धीरज की सीट की तरफ देखा था।धीरज की सीट खाली देखकर उसे
अपनी सीट पर बैठते ही संजना की नज़र मेज पर रखे लिफाफे पर पड़ी थी।उसने लिफाफा हाथ मे लेकर उलट पलट कर देखा।उस पर उसका नाम तो था।लेकिन भेजने वाले का नही।किसने भेजा है?क्यो भेजा है?क्या लिखा है, उसमे?यह ...Read Moreकी उत्सुकता उसके मन मे बलवती हो उठी।वह लिफाफा खोलती उससे पहले कंपनी के हेड ऑफिस से फोन आ गया।उसने लिफाफा एक तरफ रखा और फोन उठा लिया।उसके बाद काम का सिलसिला शुरू हुआ,तो पता ही नही चला।कब लंच का समय हो गया।काम से राहत मिलने पर उसने धीरज की सीट की तरफ देखा था।धीरज की सीट खाली देखकर उसे
"हॉ।कहो।""धीरज,मैं तुम्हे चाहनेे- - - अपने प्यार का इजहार करते संंजना बोली,"मैं तुम्हें अपना बनाना चाहती हूू।तुमसे शादी करना चाहती हूं।""हमारे यहाँ शादी का फैसला माता पिताकरते है," संजना की ...Read Moreजानकर धीरज बोला,"मुझे शादी से इनकार नहीं लेकिन बिना उनकी मर्जी में शादी नही कर पाऊंगा।""मैं भी नही चाहती माता पिता के आशीर्वाद के बिना हम शादी करे।लेकिन उन्हें पता कैसे चलेगा?जब तक तुम उन्हें मेरे बारे मे नही बताओगे।""सही कह रही हो,"संजना की बात का समर्थन करते हुए बोला,"गांव जाऊंगा तब पिता से बात जरूर करूँगा।"धीरज के उत्तर से सन्तुष्ठ होते हुए संजना बोली,"हमारी शादी में
माँ का पत्र पढ़कर वह सोचने लगा।बेटा होने के नाते उसका माँ बाप के प्रति फ़र्ज़ था।भाई के नाते बहनों के प्रति भी जिम्मेदारी थी।काफी देर तक सोच विचार करने के बाद उसने मन ही मन में निर्णय लिया।और ...Read Moreसंजना के नाम एक पत्र लिखने बैठ गया।उसने उस पत्र को संजना की मेज पर रख दिया।उसने आफिस में भी किसी को कुछ नही बताया।संजना गांव से लौटी तब उसे यह पत्र मिला था।सुुुबह वह इस पत्र को नही पढ़ पायी थी।लेकिन लंच में उसने लिफाफा खोलकर पढ़ने लगी।प्रिय संजना,माँ का पत्र मुझे आज ही मिला।मैने अपने बारे में बताते