आसमान में डायनासौर - Novels
by राज बोहरे
in
Hindi Children Stories
आसमान में डायनासौर 1 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे यकायक हड़कंप सा मच गया था। ...Read More उड़नतश्तरियां ही उड़नतश्तरियां!! आसमान भरा हुआ था उड़नतश्तरियों से। उड़नतश्तरी यानी कि आसमान में उड़ने वाली वे अंजान चीजें जो दिखने में नाश्ते की तश्तरी की तरह दिखाई देती हैं जो आसमान में घुमती हुई दिखती है। सारा संसार उनके कारण परेशान है, लेकिन आज तक पता नही लगा पाया कि क्या चीजे हैं, और कहा से आती है। एक बार वे दिखीं तो अमेरिका के हवाई जहाजो ने उनका पीछा किया लेकिन देखते ही देखते वे गायब हो
आसमान में डायनासौर 1 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे यकायक हड़कंप सा मच गया था। ...Read More उड़नतश्तरियां ही उड़नतश्तरियां!! आसमान भरा हुआ था उड़नतश्तरियों से। उड़नतश्तरी यानी कि आसमान में उड़ने वाली वे अंजान चीजें जो दिखने में नाश्ते की तश्तरी की तरह दिखाई देती हैं जो आसमान में घुमती हुई दिखती है। सारा संसार उनके कारण परेशान है, लेकिन आज तक पता नही लगा पाया कि क्या चीजे हैं, और कहा से आती है। एक बार वे दिखीं तो अमेरिका के हवाई जहाजो ने उनका पीछा किया लेकिन देखते ही देखते वे गायब हो
आसमान में डायनासौर 2 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे और एक दिन बहुत सुबह की घटना है यह ...Read More जब सारी दुनिया अपने काम से धंधो में व्यस्त थी, तब बिना किसी प्रचार-प्रसार के प्रोफेसर दयाल अपने यान में सवार हो रहे थे। वह दिन भी अन्य दिनों की तरह सामान्य था। मौसम साफ था और प्रोफेसर दयाल और अजय व अभय अपने यान में बैठ चुके थे। खाने का सामान रखने वाली अलमारी में खट्टे-मीठे चटपटे सभी व्यंजनांे की ट्युबों का ढ़ेर रखा था। पानी की ट्युब एक अलमारी में रखी थी। और यान के
आसमान में डायनासौर 3 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे सामने के पर्दे पर शुक्र के अलावा दूसरे ग्रहों भी दिख रहे थे और प्रो. दयाल दूसरे ग्रहों को ...Read Moreबारी-बारी से देखने लगे थे। उन्होंनेे अंदाजा लगा लिया कि पृथ्वी के अलावा और कहीं भी जीवन है तो अंतरिक्ष में चलता फिरता कोई यान या उड़नतश्तरी उन्हें जरूर दिखेगी। सहसा वे चौके। पर्दे पर शुक्र ग्रह से बहुत दूर एक नारंगी रंग का बिंदू चमकता दिख रहा था। जिसके पीछे लंबी पूंछ दिख रही था। प्रो. दयाल बड़े प्रसन्न हुये-“तो यह है नया भा,पुच्छल तारा वे
आसमान में डायनासौर 5 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे प्रो. दयाल को अपनी धरती की याद आ गई जिसका विकास करोड़ो ...Read Moreमें हुआ है। उन्होंने अजय-अभय को बताया कि ब्रहमाण्उ का यही नियम है कि हरेक ग्रह हजारों साल में धीरे धीरे ठण्डा गर्म होता हुआ विकास करता है और कभी बहुत गर्म वातावरण से बहुत ठण्डे वातावरण से होता हुआ सामान्य गर्म वातावरण मे आता है, तो ऐसे ही जीव पैदा होते हैं। हमारी पृथ्वी ने भी ऐसे ही विकास किया है और पहले पृथवी पर भी ऐसे ही डायनासोर हआ करते थे। ऐसा लगता है
आसमान में डायनासौर 6 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे ...Read More जब वे जागे तब फिर रंग विरंगी गेंदे आसपास तैरती दिख रही थी। अबकी बार उन सबने अपना लक्ष्य हरे हरे ग्रह को बनाया था। दूर से हरे रंग की झिनमिलाहट छोड़ता यह ग्रह आंखो को बड़ा अच्छा लग रहा था। लाल ग्रह की याद करके कभी-कभी उन्हें इस ग्रह के बारे में कुशंकाये हो जाती थी कि कहीं यहां भी पृथ्वी की तरह यहां भी विकास का क्रम न चल रहा हो और खतरनाक जानवरों से सामना न हो बैठे। कुछ देर बाद हरे ग्रह की हरियाली
आसमान में डायनासौर 7 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे गगन की रफ्तार बढ़ाकर प्रो. दयाल ने उसे दूसरे कोने की ...Read Moreबढ़ा दिया। अचानक उनको एक जगह पानी सा दिखा तो वह उधर बढ़े। पानी से भरे खूब बड़े तालावों में नीला पानी लहरा रहा था, पानी के किनारे वाले घने जंगल में उन्हे विचित्र आकार प्रकार के पक्षी भी देखने को मिले और दयाल सर जल्दी ही आर्कियोप्टेरिक्स पक्षी को पहचान गये। उन्होंने बताया कबूतर जैसी बनावट का वह पक्षी भी पृथ्वी पर सत्रह करोड़ साल पहले खत्म हो गया है। इसका मतलब वह ग्रह पृथ्वी
आसमान में डायनासौर 8 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे गगन यान को थोड़ा ऊँचा उठाकर वे एक तरफ बढ़े और ...Read Moreका दृश्य गौर से देखने लगे। गगन की रफ्तार इस समय बहुत तेज हो गई थी। चट्टानी हिस्से से बहुत दूर जहां घना जंगल था उसके पास उन्हें सांड जैसे आकार का एक जंतु गेंडा जैसी मोटी चमड़ी वाला दिखा जिसकी नाक तथा दोनो आंखो के ऊपर तीन नुकीले सींग उठे हुये थे। मुंह से गर्दन तक एक मोटी परत चढ़ी हुई थी जैसे उसने लोहे का कनटोप लगा लिया हो। प्रो. दयाल ने बताया
आसमान में डायनासौर 9 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे तीसरे दिन उन्होंने यान में लगा कम्प्युटर चालू किया और अभी ...Read Moreदेखे गये ग्रहों की जानकारी और चित्र देखने चाहे बटन दबाते ही सारी जानकारी पर्दे पर दिखने लगी। इसके साथ ही उन्होंनेे कम्प्युटर के इंटननेट को चालू किया तो बड़ा अचरज हुआ िकवे अपने देश से वायरलेस पर तो सम्पर्क नही ंकर पा रहे थे पर जाने किस ग्रह के आसपास थे कि इंटरनेट चल रहा था सो प्रोफेसर दयाल ने नेट चालू किया और कम्प्युटर के बहुत सारे बटन दबाकर इतिहास और जीवाश्मिक से संबंधित जानकारी
आसमान में डायनासौर 10 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे बाहर आते ही सचमुच तैरने लगे थे। ...Read Moreअब कुछ लाभ हुआ। उन यानों के भी दरबाजे खुले और प्रत्येक में से एक एक मनुष्य निकले। अंदाज प्रो. दयाल ने यान में बैठे अजय अभय ने लगाया कि स्पेस सूट में ढ़के होने के बाद भी वे सबके सब पृथ्वी वासियों जैसे लग रहे थे । प्रो. दयाल ने कुछ हरकत आरंभ की। पहले वे दोनों बांह फैलाकर एक कदम आगे बढ़े और उन लोगों की ओर ताका मगर उन पर कोई प्रतिक्रिया
आसमान में डायनासौर 11 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे प्रो.दयाल ने चालक की ओर अपना हाथ हिलाकर इंजिन के चलाने ...Read Moreतेल के बारे में पूछा तो उसने इशारे से जमीन पर लगे पेड़ और फसलों को बताया और दोनों हाथ आपस में रगड़ कर बताया कि यह मशीन वह पेड़ों और फसलों के तेल से चलता है। उस व्यक्ति ने उड़नतश्तरी कि खिड़की के बाहर दिखते खेतों और पेड़ो की और इशारा किया तो वे लोग भी बाहर देखने लगे। प्रो.दयाल चौके क्योकिं पृथ्वी पर अभी वह खोज पूरी भी नही हो पाई थी कि