Laghukathayan book and story is written by Abha Dave in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Laghukathayan is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
लघुकथाएँ - Novels
by Abha Dave
in
Hindi Short Stories
1)गृह प्रवेश--------------नंदिनी आज सुबह से ही उतावली थी । उसने पूजा की सारी तैयारी कर ली थी बस अपने माता- पिता के आने का इंतजार कर रही थी । नंदिनी के पति और उसके दोनों बच्चे उसके काम में हाथ बँटा रहे थे । माता- पिता के आते ही वह उन्हें कार में बिठाकर ले गई । नंदिनी के माता -पिता को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि वे कहाँ जा रहे हैं ? 15 मिनट के बाद ही उनकी कार एक छोटे-से बंगले के सामने जाकर खड़ी हो गई । जिस पर यह बंगला बना था
1)गृह प्रवेश--------------नंदिनी आज सुबह से ही उतावली थी । उसने पूजा की सारी तैयारी कर ली थी बस अपने माता- पिता के आने का इंतजार कर रही थी । नंदिनी के पति और उसके दोनों बच्चे उसके काम में ...Read Moreबँटा रहे थे । माता- पिता के आते ही वह उन्हें कार में बिठाकर ले गई । नंदिनी के माता -पिता को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि वे कहाँ जा रहे हैं ? 15 मिनट के बाद ही उनकी कार एक छोटे-से बंगले के सामने जाकर खड़ी हो गई । जिस पर यह बंगला बना था
लघुकथाएँ --------- 1)फिक्र -------- बेटू इधर आना ,गौरी के पिताजी ने बड़े प्यार से पुकारा । जी पिताजी, गौरी अपना काम छोड़कर पिताजी के पास आकर खड़ी हो गई । "कुछ चाहिए पिताजी ? माँ बस अभी थोड़ी ...Read Moreमें ही बाजार से आ जाएगी ।" गौरी ने हंस कर कहा । पिताजी ने बड़े प्यार से गौरी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा " थोड़े दिनों के बाद तुम्हारी शादी हो जाएगी । तुम अपने ससुराल चली जाओगी । फिर कहाँ तुम्हें अपने पिताजी से बात करने का मौका मिलेगा ? आज जी भर कर तुम से
लघुकथाएँ /आभा दवे ----------------- 1)खुशी ----------दीपेश ने अपने पिताजी से फोन पर तुरंत शहर आने के लिए कहा ।आने का कोई कारण नहीं बताया और फोन रख दिया। दीपेश के पिताजी दीपेश की बात टाल ...Read Moreपाए और शहर के लिए निकल गए। दीपेश उनका इकलौता लड़का था । दीपेश की मां को दुनिया से गए दो साल हो गए थे । दीपेश शहर में एक छोटे से मकान में रह रहा था और शहर में ही नौकरी कर रहा था । इसलिए उसके पिताजी अक्सर गांव में अकेले ही रहते थे। ट्रेन में बैठते ही दीपेश के