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लघुकथाएँ

1)गृह प्रवेश
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नंदिनी आज सुबह से ही उतावली थी । उसने पूजा की सारी तैयारी कर ली थी बस अपने माता- पिता के आने का इंतजार कर रही थी । नंदिनी के पति और उसके दोनों बच्चे उसके काम में हाथ बँटा रहे थे ।

माता- पिता के आते ही वह उन्हें कार में बिठाकर ले गई । नंदिनी के माता -पिता को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि वे कहाँ जा रहे हैं ? 15 मिनट के बाद ही उनकी कार एक छोटे-से बंगले के सामने जाकर खड़ी हो गई । जिस पर यह बंगला बना था वह जमीन नंदिनी के माता-पिता ने उसके ससुराल वालों को दहेज में दी थी ।
नंदिनी ने उस बंगले की चाबी अपने पिताजी को पकड़ाते हुए कहा - "आज माँ और पिताजी आप दोनों का इस घर में गृह प्रवेश है । आपको किराए के घर में अब रहने की जरूरत नहीं है । " नंदिनी की माँ और पिताजी आश्चर्यचकित हो इकलौती बेटी को देखते रह गए उनके खुद के घर में गृह प्रवेश की इच्छा आज पूरी हो गई थी ।

आभा दवे

मुंबई

2)

उपकार
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मधु की शादी बड़ी ही धूमधाम से हुई । विदाई का वक्त आ गया उसने अपनी मम्मी - पापा को बड़े ही करुणापूर्ण नेत्रों से निहारा । उसके मम्मी- पापा का रो -रो कर बुरा हाल था । आज उनकी लाडली दूसरे घर जा रही थी ।
मधु भी अपने मम्मी- पापा से लिपट कर रोने लगी । उसके पास आज कोई शब्द नहीं थे । वह एक अमीर घर की बहू बनने जा रही थी । उसे अपने मम्मी -पापा पर गर्व हो रहा था। उसने रुंधे हुए गले से अपने मम्मी -पापा से से कहा-"आप दोनों का बहुत-बहुत *उपकार *है मुझ पर ,आपने एक अनाथ लड़की को सहारा देकर उसकी जिंदगी को संवार दिया ।" उसके नेत्रों से अश्रु धारा बही जा रही थी। तभी उसकी मम्मी ने उसके आँसू को पूछते हुए कहा " बेटी *उपकार* है तेरा हम पर ,जो तूने हम दोनों को माता -पिता बना दिया । तेरे आने से मेरी जिन्दगी को जीने का सहारा मिला ।" आगे मधु की माँ कुछ न कह पाई । माँ और बेटी की अद्भुत विदाई देख कर सभी भावुक हो रहे थे ।

आभा दवे

3)

हरा-भरा
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सुषमा के अनाथालय में आज फिर कोई अपना दुधमुँहा बच्चा छोड़कर चला गया था । बच्चे की रोने की आवाज सुनकर सुषमा दरवाजे पर दौड़ी आई। उसने प्यार से बच्चे को गोद में उठा लिया । बच्चे को ध्यान से देखने पर पता चला वह लड़की है । उसे देखकर सुषमा की आँखों में प्यार उमड़ आया । उसके अनाथालय में लड़कियों की संख्या अब पंद्रह हो गई थी बाकी 5 लड़के थे ।

तभी बच्चे की रोने की आवाज सुनकर सुषमा की कामवाली बाई भी वहाँ दौड़ी चली आई । उसने सुषमा से कहा -"आज फिर एक नई बच्ची आ गई , पता नहीं किस की औलाद है?"

सुषमा ने दुखी होकर कहा- "किसी के देह व्यापार की औलाद होगी । " फिर चेहरे पर मुस्कान लाकर बोली- "देखो मेरी सूनी गोद को इन बच्चियों ने कैसे हरा -भरा कर दिया ।"

आभा दवे

मुंबई